पिंडर घाटी की तीनों वन रेंजों में धधक रहे जंगल

थराली से हरेंद्र बिष्ट।

पिंडर घाटी के अंतर्गत तीनों वन रेंजों के जंगलों में दवानल की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। सोमवार की देर रात से थराली-देवाल मोटर सड़क से लगे गांव के ग्रामीण मध्य रात्रि से ही वनाग्नि को आवादी क्षेत्र में प्रवेश करने से रोकने के लिए जूझते रहे। हालांकि वे नाकामयाब रहे।
पिछले एक सप्ताह से लगातार पिंडर घाटी के पूर्व पिंडर रेंज देवाल, मध्य पिंडर रेंज थराली एवं पश्चिमी पिंडर रेंज नारायणबगड़ के के जंगल सुलगते आ रहे हैं। पिछले दो दिनों से अचानक वनाग्नि की घटनाओं में तेजी आने लगी हैं। ग्रामीणों को साथ लेकर वन विभाग  द्वारा वनाग्नि पर नियंत्रण पाने के तमाम प्रयास अब असफल साबित होने लगे हैं। वनाग्नि अब गांवों के खेतों तक दस्तक देने लगी हैं, जिससे ग्रामीणों में दावानल को लेकर दहशत बढ़ने लगी है।

सोमवार की देर रात थराली-देवाल के बीच बसे ऊणी, कोठी, नंदकेसरी, धरा तल्ला, सिरमथल, बेराधार आदि गांवों में अचानक वनाग्नि भड़क उठी।जिस कारण पूरी रात गांव के ग्रामीण वनाग्नि के खेतों एवं घरों तक पहुंचाने की आशंकाओं के चलते पूरी रात जागते रहें। मंगलवार को भी पूरे दिन इस सड़क के हिल साईड के जंगल दवानल से सुलगते रहें।और वन विभाग के अधिकारी, कर्मचारी ग्रामीणों के सहयोग से इस पर नियंत्रण पाने का प्रयास करते रहे। परंतु बीच-बीच में तेज हवाओं के चलते तमाम प्रयासों के बावजूद वनाग्नि पर नियंत्रण नहरे पाया जा सका। मोटर सड़क के ऊपरी भाग के जंगलों में आग लगें होने के कारण लगातार सड़क पर पत्थरों, पेड़ों के गिरने का सिलसिला जारी रहा। जिसके कारण वाहनों के आवागमन के साथ आम लोगों को आने जाने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। पूरे दिन इन गांवों के ग्रामीण गांव के आसपास ही खड़े रहे ताकि आग गांव में प्रवेश न कर सके। समाचार लिखे जाने तक पूरे क्षेत्र के जंगल बुरी तरह सुलग रहे हैं और इस से उठने वाले गहरे धुएं के कारण आम लोगों को सांस लेने में दिक्कतों के साथ अन्य समस्याओं से जूझना पड़ रहा हैं। वातावरण में धुआं इस कदर वातावरण में छाया हुआ हैं कि 50-60 मीटर से आगे कुछ भी दिखाई नही पड़ रहा हैं। 

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