नैनीताल : ब्रिटिशकालीन कब्रिस्तान मेमोरियल पार्क के रूप में होगा विकसित, जीर्णोद्धार शुरू

नैनीताल। तालों का शहर नैनीताल देश ही नहीं पूरी दुनियां का पसंदीता टूरिस्ट प्लेस है। नैनीताल की खूबसूरती और ठंडी आबोहवा की वजह से सैलानी अपने आप यहां खींचे चले आते हैं। नैनीताल को जहां से देखा जाए, यह शहर वहीं से बेहद खूबसूरत है। इसे भारत का ‘लेक डिस्ट्रिक्ट’ कहा जाता है, क्योंकि यह पूरी जगह झीलों से घिरी हुई है। झीलों के अलावा भी नैनीताल शहर में कई ऐतिहासिक धरोहर हैं। इनमें से एक है पाइंस में बना कब्रिस्तान। जिसके संरक्षण का जिम्मा अब पर्यटन विभाग ने ले लिया है। पर्यटन विभाग इसे मेमोरियल पार्क के रूप में विकसित करने जा रहा है। ब्रिटिशकालीन कब्रों के संरक्षण के साथ ही कब्रिस्तान को विशेष थीम पर विकसित किया जाएगा, जिससे पर्यटक गतिविधि बढऩे के साथ ही विदेशी अपने स्वजनों की यादें ताजा कर पाएंगे।
भवाली रोड पर पाइंस स्थित यह कब्रिस्तान 1895 में स्थापित किया गया था। लेकिन यह ऐतिहासिक धरोहर अब शराबियों और अराजक तत्वों का अड्डा बनकर रह गया है। इसे देखते हुए पर्यटन विभाग ने इसके संरक्षण की पहल शुरू की है। करीब 1.37 करोड़ की लागत से इसका जीर्णोद्धार का काम शुरू कर दिया गया है। अगले साल गर्मियों तक यह कार्य पूरा करने का लक्ष्य है। जिला पर्यटन अधिकारी अरविंद गौड़ ने बताया कि कब्रिस्तान को विदेशों की तर्ज पर मेमोरियल पार्क के रूप में विकसित किया जाना है। इसके तहत चारों और से बाउंड्री, मुख्य गेट का जीर्णोद्धार, पाथवे निर्माण, कब्रों का केमिकल ट्रीटमेंट जैसे कार्य होने हैं। कब्रिस्तान में फूलों का गार्डन बनाने का भी प्रस्ताव है।
यह कब्रिस्तान अपने आप में एक इतिहास संजोए हुए है। किस तरह नैनीताल शहर अंग्रेजों के अधीन था, यह इस बात की भी गवाही देता है। पाइंस का कब्रिस्तान शहर के अन्य कब्रिस्तानों की अपेक्षा इसका अलग इतिहास होने के कारण यह विशेष है। यहां ब्रिटिश लोगों को ही दफनाया जाता था। ईसाई वर्ग के अन्य व्यक्तियों को शहर के अन्य कब्रिस्तानों में दफनाने की व्यवस्था थी। प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध के कई सैनिकों की भी कब्र यहां मौजूद है। आजादी के बाद से अब तक ईसाइयों के एक अभिजात्य वर्ग को ही यहां दफनाने की व्यवस्था है। 

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