लक्ष्मण रेखा तो ‘लक्ष्मणरेखा’ ही रहेगी जनाब!

सियासी शतरंज के मोहरे

  • सरकार को कठघरे में खड़े करने का मतलब ‘बड़े बाबू’ को अब आ रहा समझ में
  • योगी के नाम पर विवादास्पद विधायक को पास जारी करना जनाब को पड़ा भारी
  • तो सरकार ने दिखाई ‘हनक’ और ऐसे अफसरों को फेंटा ताश के पत्तों की तरह

देहरादून। कई बार कई नौकरशाह खुद को सरकार से बड़ा समझने की गलतफहमी पाल लेते हैं। हालांकि सरकार की नीतियों और उसकी प्राथमिकताओं की ‘लक्ष्मणरेखा’ को लांघना या नजरअंदाज करना या उनसे बिल्कुल बाहर जाकर सरकार को कठघरे में खड़े करने जैसे फैसले लेने वाले अक्सर यही भूल कर जाते हैं।
हालांकि सब नौकरशाह सरकार के ‘बड़े बाबू’ ही तो होते हैं। वो बात अलग है कि कुर्सी पर बैठकर उनकी सोच कुछ ऐसी हो जाती है… ‘तुमसे पहले जो शख्स यहां तख्तनशीं था, उसको भी अपने खुदा होने का इतना ही यकीं था’ जब कुछ खास बड़े बाबुओं को सरकार फ्री-हैंड देती है तो वे इस ‘फ्री-हैंड’ और ‘मनमानी’ के बीच का फर्क भूल जाते हैं या नजरअंदाज कर जाते हैं तो उनकी करतूतों का बट्टा सरकार की साख पर ही लगना शुरू हो जाता है। उत्तराखंड सरकार ने बड़े बाबुओं को ताश के पत्ते की तरह की फेंटकर यह संदेश दे दिया है कि मनमानी और सरकार की नीतियों की उपेक्षा को और अधिक बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
आज गुरुवार इन बड़े बाबुओं के फेरबदल में कई निहितार्थ छिपे हैं। त्रिवेंद्र सरकार ने कई ऐसे बड़े बाबुओं पर भी तलवार चलाई है, जिनके बारे में सोशल मीडिया लगातार कह रहा था कि सरकार इनकी जेब में है और इनका कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता। लेकिन सरकार ने मजबूत इच्छाशक्ति के साथ ये दिखा दिया कि काम तो उनकी मंशा के अनुसार ही होगा।
आज हुए दायित्वों के फेरबदल में अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश के पास से सरकार ने लोनिवि जैसा विभाग हटा दिया है। कोई सोच भी नहीं सकता था कि ऐसे नाक के बाल और ताकतवर अफसर से कोई विभाग हट भी सकता है। यूं तो जनाब कई मामले चर्चा में रहे। पर सबसे अहम योगी के नाम पर अपनी हदों से बाहर जाकर एक विवादास्पद विधायक को ‘पास’ जारी करना शायद इन्हें भारी पड़ गया।
इसी में सरकार ने अप्रत्याशित तौर पर नितेश झा से स्वास्थ्य महकमा हटा दिया है। पहली नजर में किसी को भरोसा न हुआ कि झा के साथ भी ऐसा हो सकता है। कोरोना के इस दौर में भी ये बड़े बाबू अपने दफ्तर से बाहर नहीं नजर आये। सारा काम अपने अधीन अपर सचिव पर छोड़ दिया। सोशल मीडिया में भी यह मामला छाया। आखिर में सरकार ने ‘समझा’ ही दिया कि आखिर किसकी चलेगी। आज गुरुवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के एक्शन ने साफ कर दिया कि उनके लिये उत्तराखंड का हित सर्वोपरि है और इस ‘लक्ष्मणरेखा’ को पार करने वाला उनका कोई चहेता नहीं हो सकता। खासतौर पर चर्चाओं और विवादों में रहने वाले उनके कतई भी करीबी नहीं हो सकते। चाहे कोई कितना बड़ा अधिकारी हो, कर्मचारी हो या उनका अपना कोई खास रिश्तेदार भी हो, इस पैमाने पर सबको खरा उतरना ही होगा।
विधाय़क अमनमणि त्रिपाठी को पास जारी करने वाले देहरादून के अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) रामजी शरण को रुद्रप्रयाग स्थानान्तरित कर दिया। आज गुरुवार को आईएएस और पीसीएस अधिकारियों के ये तबादले उनके लिए तथा अन्य अधिकारियों के लिए किसी सबक से कम नहीं है। अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश से लोक निर्माण विभाग तथा अध्यक्ष ब्रिज, रोपवेज, टनल एवं अदर इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कारपोरेशन ऑफ उत्तराखंड लिमिटेड (ब्रिडकुल) की जिम्मेदारी वापस ले ली गई है। इसके एवज में उनको कोई अन्य जिम्मेदारी नहीं दी गई।

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