उत्तराखंड चुनाव : समर्थन और विरोध पर पंड़ों में दोफाड़!

देवस्थानम बोर्ड का मामला

  • चार धामों से जुड़ी पंचायतों व मंदिर समितियों ने चुनाव लड़ने की घोषणा को बताया एक व्यक्ति का बयान
  • पंड़ों के विधानसभा चुनाव लड़ने के ऐलान पर कहा, ‘तीर्थ पुरोहित महापंचायत कोई राजनीतिक दल नहीं’

देहरादून। आगामी चुनाव में भाजपा का विरोध करने के मामले में पंडे़–पुरोहितों में मतभेद सामने आये हैं। पंडों के 15 सीटों पर चुनाव लड़ने के तीर्थ पुरोहितों की महापंचायत के ऐलान का चार धामों से जुड़ी पंचायतों व मंदिर समितियों ने कड़ा विरोध करते हुए साफ किया है कि तीर्थ पुरोहित महापंचायत कोई राजनीतिक दल नहीं है।
समाचार पत्रों में चार धाम तीर्थ पुरोहित हक–हकूकधारी महापंचायत समिति की ओर से 15 सीटों पर भाजपा को हराने के लिए चुनाव लड़ने का समाचार प्रकाशित हुआ है। इसके बाद पंडेे़ पुरोहितों के एक बड़े वर्ग ने इस घोषणा का कड़ा विरोध किया है। शुक्रवार को जारी एक बयान में कहा गया कि 15 सीटों पर चुनाव लड़ने का चार धाम से जुड़ी पंचायतें और मंदिर समितियां विरोध करती हैं।
गंगोत्री मंदिर समिति के सचिव व चार धाम महापंचायत के संयोजक सुरेश सेमवाल ने कहा है कि महापंचायत एक गैर राजनीतिक संगठन है और इसका राजनीति से दूर–दूर तक कोई वास्ता नहीं है। उन्होंने कहा कि 15 सीटों पर चुनाव लड़ने से संबंधित जो समाचार प्रकाशित हुआ है‚ उस पर उनकी पंचायत की कोई सहमति नहीं है। बदरीनाथ के ब्रह्म कपाल तीर्थ पुरोहित पंचायत समिति के केंद्रीय अध्यक्ष उमेश सती ने भी इस ऐलान का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि उनकी संस्था गैर राजनीतिक है और केवल धार्मिक मामलों में काम करती है। समाचार पत्रों में प्रकाशित बयान बयान सिर्फ एक व्यक्ति का निजी बयान है। तीर्थ पुरोहित महासभा यमुनोत्री धाम के अध्यक्ष पुरुषोत्तम उनियाल ने भी चुनाव लड़ने के किसी भी निर्णय का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि महा पंचायत पूरी तरह गैर राजनीतिक संस्था है‚ इसलिए चुनाव लड़ने जैसी बातें एकदम गलत है।
उल्लेखनीय है कि बीते बृहस्पतिवार को ऋषिकेश में पत्रकार वार्ता में चारधाम तीर्थ पुरोहित हक हकूकधारी महापंचायत समिति के अध्यक्ष कृष्णकांत कोठियाल‚ मंत्री हरीश डिमरी और कोषाध्यक्ष लक्ष्मीनारायण जुगरान व अन्य ने कहा था कि देवस्थानम बोर्ड को भंग न करने के विरोध में तीर्थ पुरोहित भाजपा को हराने के लिए 15 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेंगे। गौरतलब है कि चारों धामों के तीर्थाटन को व्यवस्थित और सुविधाजनक करने के लिए सरकार ने वैष्णो देवी की तर्ज पर देवस्थानम बोर्ड का गठन किया है। बोर्ड़ बनने के बाद धामों में चढ़ने वाला चढ़ावा व दान की राशि पर सरकारी नियंत्रण बढ़ने की आशंका के चलते इसका विरोध हो रहा है। हालांकि सरकार ने पंडे़–पुरोहितों की शंका का समाधान करने के लिए पूर्व सांसद व बदरी–केदार मंदिर समिति के पूर्व अध्यक्ष मनोहरकांत ध्यानी की अध्यक्षता में कमेटी बनायी है। इस बाबत ध्यानी ने बोर्ड की प्रासंगिकता की पैरवी करते हुए कहा है कि बोर्ड़ सही बना है और पंडे़–पुरोहित अपनी आपत्ति के कारण बताएं। इसके बाद ध्यानी का भी पंड़ों की ओर से विरोध हो रहा है। ताजा घटनाक्रम से तीर्थ पुरोहितों में बिखराव के संकेत सामने आये हैं जो उनके अपने हित में नहीं है।

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