देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत को भारत रत्न देने की मांग

देहरादून। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी के आकस्मिक निधन से पूरा देश स्तब्ध है। उत्तराखंड के जांबाज सपूत सीडीएस जनरल बिपिन रावत के चले जाने से सड़कों से लेकर घर-घर में शोक है। हर कोई दीप, मोमबत्ती जलाकर चित्र पर पुष्प अर्पित कर जनरल रावत और उनकी पत्नी को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है। वहीं, केदारनाथ के वरिष्ठ तीर्थ पुरोहित श्रीनिवास पोस्ती ने भारत सरकार से देश के पहले सीडीएस स्व.बिपिन रावत को भारत रत्न देने की मांग की है।

उन्होंने कहा कि केदारनाथ एवं टिहरी में उनसे भेंट हुई थी। रावत देश के प्रत्येक नागरिक की सुरक्षा के बारे में सोचते थे। वे गढ़वाल एवं उत्तराखंड के लिए बहुत कुछ करना चाहते थे। उधर, प्रदेश सरकार सीडीएस जनरल बिपिन रावत की यादों को उत्तराखंड में संजोने के लिए कदम बढ़ाएगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड निवासी जनरल रावत का देश की सुरक्षा में बड़ा योगदान रहा है। राज्य के विकास के लिए भी वह हमेशा चिंतित रहते थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि जनरल रावत हमेशा हमारी स्मृति में रहें, इसके लिए सरकार कुछ न कुछ कार्य अवश्य करेगी।

बता दें कि सेना का हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त होने से  देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी समेत 13 लोगों की मौत की मौत हो गई थी। दुर्घटना में बुरी तरह जलने के कारण शवों की पहचान के लिए डीएनए जांच कराई जा रही है। अब तक सिर्फ तीन शवों की पहचान हो पाई है, जिनमें जनरल रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत और ब्रिगेडियर एलएस लिद्दर की पहचान हो चुकी है। ब्रिगेडियर एलएस लिद्दर का आज पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। वहीं, जनरल रावत और उनकी पत्नी सैन्य सम्मान के साथ शाम चार बजे पंचतत्व में विलीन होंगे। बिपिन रावत उत्तराखंड के रहने वाले थे। उनके निधन पर उनके पैतृक गांव पौड़ी जिले के ग्राम पंचायत विरमोली के सैंण गांव में मातम पसरा हुआ है। सीडीएस बिपिन रावत का उत्तराखंड से खास लगाव था। वह यहां के सीमांत इलाकों से हो रहे पलायन के लिए हमेशा चिंतित रहते थे।

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