उत्तराखंड पर ‘बोझ’ बनी पुनर्नियुक्ति की ‘परंपरा’ को त्रिवेंद्र ने दी विदाई!

राज्य के दोहरे नुकसान पर कसा शिकंजा

  • सरकार ने कही बड़ी बात- प्रस्ताव देने वाले विभागों को लिखकर देना होगा कि उनके यहां कोई योग्य व्यक्ति ही नहीं 
  • कार्मिक विभाग की अनुमति बिना सेवानिवृत्त हो चुके अफसरों व कर्मियों की सरकारी विभागों में पुनर्नियुक्ति को माना जाएगा अवैध
  • पदोन्नति में ‘काबिलियत’ के प्रमाणपत्र को भी परखा जाएगा और इस तरह के अक्षम अफसरों की अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने की तैयारी
  • कार्मिकों का भारी भरकम ढांचा और सरप्लस स्टाफ के होते हुए भी कई विभागों में अभी तक चल रहा था पुनर्नियुक्ति का खेल

देहरादून। राज्य में सेवानिवृत्त हो चुके अधिकारियों और कर्मचारियों को फिर से विभागों में तैनाती (पुनर्नियुक्ति) देने या अनुबंध पर रखने की ‘परंपरा’ पर त्रिवेंद्र सरकार ने सशर्त रोक लगा दी है। अब अगर कहीं तैनाती देनी अपरिहार्य है तो संबंधित विभाग को यह लिखकर देना होगा कि विभाग में पद को धारण करने वाला कोई योग्य व्यक्ति नहीं है। इसके साथ पदोन्नति में ‘काबिलियत’ के प्रमाणपत्र को भी परखा जाएगा और इस तरह के अक्षम अधिकारियों की अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने की भी तैयारी की जा रही है।
मुख्य सचिव ओम प्रकाश की ओर से जारी आदेश के मुताबिक विभागों में पहले से पुर्ननियुक्त किए गए अधिकारी छह माह से लेकर एक साल के अंदर विभाग के अन्य अधिकारियों को प्रशिक्षित करेंगे। जिन विभागों में सेवानिवृत्ति आयु 62 वर्ष से अधिक है, वहां किसी भी सूरत में पुनर्नियुक्ति नहीं की जाएगी। साथ ही कार्मिक और सर्तकता विभाग की सहमति के बिना की गई किसी भी पुनर्नियुक्ति को गंभीर कदाचार माना जाएगा और ऐेसे मामलों में पुर्ननियुक्त अधिकारी का वेतन रोका जाएगा।
सरकार के आदेश के मुताबिक पुनर्नियुक्ति के कारण राज्य को वित्तीय बोझ का सामना करना पड़ रहा है । इसके साथ ही संबंधित विभाग के योग्य अधिकारियों की क्षमता का पूरा उपयोग भी नहीं हो पा रहा है। गौरतलब है कि वर्ष 2013 में पुनर्नियुक्ति को लेकर आदेश जारी किए गए थे। इसके बावजूद भारी भरकम ढांचा होते हुए भी कई विभागों में पुनर्नियुक्ति की परंपरा बन गई है। कार्मिक विभाग की समस्या यह है कि कार्मिक एवं सतर्कता विभाग पुनर्नियुक्ति के प्रस्ताव को खारिज कर देता है तो संबंधित विभाग सीएम से अनुमोदन कराकर तैनाती दे रहे हैं। कई मामलों में तो चार या पांच या इससे भी अधिक कार्मिकों को इस तरह से पुनर्नियुक्ति दी जा रही है।
मुख्य सचिव के मुताबिक विशेष दक्षता वाले कामों को करने के लिए समय रहते अगर अन्य कार्मिकों को तैयार कर लिया जाता तो पुनर्नियुक्ति की नौबत न आती। ऐसे में आदेश दिया गया है कि पुनर्नियुक्ति वाले अधिकारी छह माह के अंदर अन्य कार्मिकों को प्रशिक्षण देकर योग्य बनाएंगे। इस खेल में सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि विभागों में समूह ग और घ के पदों पर भी पुनर्नियुक्ति की जा रही है। इन पदों के लिए किसी विशेष तकनीकि ज्ञान या दक्षता की जरूरत नहीं होती है। जिससे युवाओं के लिये बेहतर रोजगार के अवसरों पर भी पलीता लगाया जा रहा था। मुख्य सचिव ने ऐसे मामलों के सामने आने पर गहरी नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देशों के मुताबिक योग्य अधिकारियों और कर्मचारियों के लिये प्रोन्नति के रास्ते बंद नहीं होन दिये जाएंगे और रोजगार के अवसर तलाश रहे युवाओं को भी मायूस नहीं होने दिया जाएगा।  

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