बहुत कठिन है डगर पनघट की
- कांग्रेसियों ने कहा, दलबदलू लोगों को पार्टी से दूर रखने में ही सबकी भलाई
- विधायक मनोज रावत के बाद राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा ने किया विरोध
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अचानक उठाये गये ‘धमक’ भरे कदम से हरक सिंह रावत अब चौराहे पर आ गये हैं। उन्हें ‘न तो खुदा मिला और न ही विसाले सनम’। भाजपा से किक आउट पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत को तीन दिन के बाद भी कांग्रेस से ‘न्योते’ का इंतजार है। हालांकि कांग्रेस में उनकी एंट्री से पहले ही विरोध शुरू हो गया है। पहले केदारनाथ विधायक मनोज रावत और अब राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा ने भी हरक को पार्टी में नहीं लिए जाने की बात कही है। मीडिया से बातचीत में प्रदीप टम्टा ने कहा कि जो लोग आज हरक सिंह रावत को पार्टी में शामिल किए जाने की पैरवी कर रहे हैं, शायद वह 18 मार्च 2016 की घटना को भूल गए हैं, जब साजिश के तहत लोकतंत्र की हत्या की गई थी।
इस साजिश में शामिल हरक ने पांच साल सरकार में रहकर भाजपा की गलत नीतियों की कभी आलोचना नहीं की, लेकिन अब जब उन्हें पार्टी ने निकाल दिया है, तब उन्हें फिर कांग्रेस याद आ रही है। वह जानते हैं कि इस बार राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है। इसलिए कांग्रेस पार्टी का रुख करना चाहते हैं। हम जनता को क्या जवाब देंगे।
टम्टा के अनुसार उनका व्यक्तिगत मत है कि ऐसे दलबदलू लोगों को पार्टी से दूर रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि वह व्यक्तिगत रूप से इस तरह की जोड़ तोड़ में विश्वास नहीं करते हैं। बावजूद इसके यदि शीर्ष नेतृत्व हरक को पार्टी में लेने का निर्णय लेता है, तो हम पार्टी से बाहर नहीं जाएंगे। पार्टी को भी निर्णय लेते समय 2016 में हुए अपराध का संज्ञान लेना चाहिए। माफी मांग लेने भर से कुछ नहीं हो जाता। इसकी क्या गारंटी है कि उन्होंने (हरक सिंह) जो पहले किया है, उसे फिर से नहीं दोहराएंगे। टम्टा के इस बयान से कांग्रेस में आने की हरक की चाह और राह निष्कंटक नहीं दिख रही है।