वक्त की हर शै गुलाम : अब हरदा के जानी दुश्मन रणजीत के बदले सुर!

  • पूर्व सीएम हरीश रावत से 36 का आंकड़ा रखने वाले कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा, हरीश रावत बड़े नेता और मेरे गुरु

नैनीताल। ‘आदमी को चाहिये, वक्त से डरकर रहे, कौन जाने वक्त का कब बदले मिजाज।’ आज जब वक्त पूर्व सीएम हरीश रावत के साथ है तो उनसे 36 का आंकड़ा रखने वाले कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष रणजीत रावत का सुर बदला-बदला नजर आ रहा है। अब वह खुले मंच पर कह रहे हैं कि हरीश रावत बड़े नेता हैं और उनके गुरु रहे हैं। टिकट मिलना, न मिलना हाईकमान की मर्जी पर है। पार्टी हाईकमान का जो भी निर्णय होगा, वह उसका सम्मान करेंगे।
कांग्रेस कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत में रणजीत ने हरीश रावत के रामनगर से चुनाव लड़ने के सवाल पर कहा कि उनका (हरीश रावत का) लाइन ऑफ एक्शन क्या होगा, यह तो वहीं जानें मगर उन्हें विश्वास है कि पार्टी टिकट उन्हें ही (रणजीत को) देगी। निर्दलीय चुनाव लड़ने के सवाल पर रणजीत ने कहा कि वह रणनीति ही क्या जो बता दी जाए। हालांकि भाजपा कार्यकर्ताओं को कांग्रेस की सदस्यता दिलाने के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम के बीच अचानक रणजीत के फोन पर आई एक कॉल ने उन्हें असहज कर दिया। करीब दस मिनट तक वह फोन पर बात करते रहे। मंच पर पार्टी नेताओं का भाषण चल रहा था। इस बीच रणजीत के फोन की घंटी बजी तो वह अलग कमरे में चले गए। वहां कुर्सी पर बैठकर उन्होंने करीब दस मिनट तक बात की। वार्ता के दौरान उन्होंने बार-बार रामनगर से ही चुनाव लड़ने की बात कही। अंत में सब कुछ पार्टी आलाकमान पर छोड़ने की बात कहकर फोन काट दिया।
गौरतलब है कि रामनगर विधानसभा सीट हमेशा हॉट सीट मानी जाती रही है। यहां के लिए कहा जाता है कि जिस पार्टी का विधायक यहां से जीता है उत्तराखंड में उसी पार्टी की सरकार बनी है। 2002 में कांग्रेस के योगेम्बर सिंह रावत विधायक बने तो कांग्रेस की सरकार बनी। 2007 में भाजपा के दीवान सिंह बिष्ट चुनाव जीते और सरकार भाजपा की बनी। 2012 में रामनगर से कांग्रेस के टिकट पर अमृता रावत चुनाव जीती और सरकार कांग्रेस की बनी। 2017 में एक बार फिर से दीवान सिंह बिष्ट चुनाव जीते और सरकार भाजपा की बन गई। इस बार यहां पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष रणजीत रावत के बीच पेच फंसा हुआ है।

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