पूजा अर्चना के साथ मां नंदा देवी लोकजात यात्रा का समापन

  • बेदनी बुग्याल में पूजा-अर्जना के बाद लौट रही अपने ननिहाल देवराड़ा
  • बारिश में हाड़ कंपाती ठंड भी नहीं रोक पायी भक्तों का उत्साह

ग्वालदम। आज सोमवार सुबह शुभ मुहूर्त में बेदनी कुंड में पूजा-अर्चना के साथ नंदा देवी लोकजात यात्रा का समापन हो गया। मां नंदा देवी शनिवार को अपने 12वें पड़ाव वांण घर में रत्रि विश्राम के लिए पहुंची। यहां से रविवार को मां नंदा के भाई लाडू देवता ने उन्हें गैरोली पाताल के लिए विदा किया। 13वें पड़ाव पर मां नंदा गैरोली में रात्रि विश्राम के लिए रुकीं। आज सोमवार को 14वें दिन सुबह गैरोली पाताल से नंदा की डोली बेदनी बुग्याल के लिए रवाना हुईं। यहां पुजारियों ने पूजा-अर्चना की। कई लोगों ने बेदनी कुंड के समीप अपने पितरों का श्राद्ध किया। निर्जन पहाड़ पर हाड़ कंपाती ठंड भी श्रद्धालुओं का उत्साह नहीं रोक पायी। परंपरा के अनुसार आज भी वांण गांव की महिलाएं डोली के साथ सहेलियों की तरह रहती है और जागर गीतों से मां नंदा को रिझाती हैं। लोकजात यात्रा पूरी होने के बाद मां नंदा वापस बांक गांव लौट गईं। अब वह 6 माह अपने ननिहाल देवराड़ा में विराजेंगी। वहीं पर उनकी पूजा होगी। छह माह के प्रवास के बाद मां नंदा अपने मायके कुरुड़ रहेंगी।

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