उत्तराखंड : हाईकोर्ट ने महिला संविदा कर्मियों को दी बड़ी सौगात!

  • नियमित महिला कर्मियों की भांति एक वर्ष में 31 दिन का शिशु देखभाल अवकाश देने का दिया आदेश

नैनीताल। उत्तराखंड की महिला संविदा कर्मियों को बड़ी सौगात देते हुए हाईकोर्ट ने उन्हें भी नियमित महिला कर्मियों की भांति साल में 31 दिन का शिशु देखभाल अवकाश देने का आदेश दिया है। कोर्ट के आदेश से राज्य की हजारों संविदा महिला कर्मचारी लाभान्वित होंगी।
मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन, न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की तीन सदस्यीय खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार गढ़वाल में तैनात आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. तनुजा टोलिया ने 2018 में पुत्र के जन्म होने के बाद बाल्य देखभाल अवकाश न मिलने पर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
याचिका में हाईकोर्ट के ही एक आदेश का हवाला देते हुए अवकाश के लिए आदेश पारित करने का आग्रह किया गया था। याचिका में कहा गया था कि सरकार की ओर से 2011 में जारी शासनादेश के अनुसार रेगुलर महिला कार्मिक को दो बच्चों के 18 साल होने तक दो साल यानी 730 दिन का बाल्य देखभाल अवकाश देय है। जबकि सरकार ने संविदा महिला कर्मचारी को बाल्य देखभाल अवकाश देने का विरोध करते हुए कहा कि इनकी नियुक्ति एक वर्ष के लिए होती है। इनके नियुक्ति पत्र में साफ लिखा है कि वर्ष में 14 दिन का अवकाश देय होगा। ये जिस दिन कार्यालय नहीं आएंगी, उस दिन का भुगतान नहीं दिया जाएगा। इनकी नियुक्ति संविदा के रूप में हुई है, जिसे राजकीय सेवा नहीं माना जा सकता।
इस प्रकरण पर कोर्ट ने सुनवाई के बाद 14 जुलाई को निर्णय सुरक्षित रख लिया था। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि महिला संविदा कर्मचारी भी 30 मई 2011 के शासनादेश के आधार पर बाल्य अवकाश के लिए पात्र होंगी। अदालत ने साफ किया है कि महिला संविदा कर्मियों को दो साल के बजाय एक साल में 31 दिन का बाल्य देखभाल अवकाश दिया जाएगा।

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