- अब दोनों को बड़ी जिम्मेदारी देने की चर्चाएं, सियासी गलियारों में हलचल बढ़ी
देहरादून। बीते शनिवार का कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत और विधायक उमेश शर्मा काऊ ने नई दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की। इससे पहले दोनों नेता पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी व राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी से मिले। इसके बाद बलूनी की मौजूदगी में ही हरक और काऊ ने नड्डा से मुलाकात की। इस मुलाकात को लेकर सियासी हलकों में चर्चा का बाजार गर्म रहा। हरक को प्रदेश भाजपा में बड़ी जिम्मेदारी देने और काऊ को मंत्री बनाए जाने की अटकलें दिन भर गरमाती रही। हालांकि भाजपा संगठन से जुड़े सूत्रों ने ऐसी किसी भी संभावना से साफ इंकार किया। इससे पहले सुबह एक कार्यक्रम के दौरान पुष्कर सिंह धामी भी मंत्रिमंडल में खाली पद को भरने के सवाल को टाल गए।
हालांकि हरक ने कहा कि नड्डा और बलूनी से यह उनकी शिष्टाचार भेंट थी। पूर्व कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य और उनके बेटे के कांग्रेस में जाने के बाद बदली राजनीतिक परिस्थितियों पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से बातचीत हुई। गढ़वाल और कुमाऊं मंडल की एक-एक सीट पर चर्चा हुई और अगले दो महीनों के दौरान पार्टी की क्या रणनीति हो सकती है, इस पर विचार हुआ। भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष या चुनाव अभियान समिति की जिम्मेदारी देने की संभावना से उन्होंने इंकार किया।
सूत्रों के मुताबिक भाजपा विधायक उमेश शर्मा काऊ ने नड्डा के सामने अपनी विधानसभा में राजनीतिक परिस्थितियों को लेकर दुखड़ा रोया। उन्होंने नड्डा से शिकायत की कि पार्टी के कुछ नेता और कार्यकर्ता उनके खिलाफ काम कर रहे हैं। नड्डा ने उन्हें आश्वस्त किया और चुनाव की तैयारी में जुट जाने की सलाह दी। यशपाल आर्य और उनके बेटे संजीव आर्य बाद से कांग्रेस के बागियों की घर वापसी की चर्चाओं से भाजपा में हलचल है। आर्य के साथ काऊ के भी कांग्रेस में जाने की संभावनाएं जताई जा रही थी। बदली हुई परिस्थितियों में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने हरक सिंह रावत से गुप्त मंत्रणा की थी। उसके बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष की ओर से हरक और काऊ को मंत्रणा का बुलावा आ गया। दल बदल को लेकर आशंकित भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व को इस बात का इल्म है कि कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत अहम कड़ी है। पार्टी के पास ऐसी सूचनाएं हैं कि हरक की कांग्रेस नेतृत्व से घर वापसी को लेकर बातचीत हो सकती है।
नड्डा से मुलाकात के बाद हरक सिंह रावत की अमित शाह से भी मुलाकात हो सकती है। उन्हें नड्डा ने दिल्ली में ही रुकने की सलाह दी थी। लेकिन अब यह मुलाकात अगले कुछेक दिनों में होगी। उधर कैबिनेट मंत्री और शासकीय प्रवक्ता सुबोध उनियाल को भी भाजपा का नया प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चाएं खासी गर्म रही। कुमाऊं से ठाकुर सीएम और गढ़वाल से ब्राह्मण अध्यक्ष को आधार बनाकर उनियाल के नाम चर्चाएं हुईं। हालांकि पार्टी के जिम्मेदार पदाधिकारियों ने हरक और उनियाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की संभावना से साफ इनकार किया।
दिल्ली में शीर्ष नेताओं से मुलाकात के बाद लौटे काऊ ने मंत्री बनने के सवाल पर कहा कि चुनाव के लिए अब महज कुछ महीनों का वक्त बचा है। कुछ समय बाद आचार संहिता लग जाएगी। ऐसे में अभी मंत्री बनकर कौन रिस्क लेना चाहेगा। तीन माह में जनता की अपेक्षाओं को पूरा कर पाना मुश्किल है। चुनाव में जनता तो कपड़े फाड़ देगी। अभी मंत्री बनकर कौन अपने कपड़े फड़वाना चाहेगा।
उन्होंने कहा कि अंशकालिक नहीं बल्कि पूर्णकालिक की बात कीजिए। यशपाल आर्य के वापस कांग्रेस में जाने के बाद से काऊ चर्चा में बने हुए हैं। बार-बार इस तरह की बात सामने आ रही है कि काऊ भी कांग्रेस में लौट सकते हैं। जिस तरीके से रायपुर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा पदाधिकारियों और काऊ के बीच मतभेद बने हुए हैं, उसको देखकर इसकी संभावना भी जताई जा रही है।
हालांकि काऊ का कहना है कि अब इतना समय नहीं रह गया है कि मंत्री बनकर कुछ परफॉर्म किया जा सके। उल्टा लोगों को नाराजगी जरूर हो जाएगी। इससे चुनाव में फायदा होने के बजाय नुकसान हो सकता है। उन्होंने कहा कि हम लोगों के बीच रहकर काम करने वाले हैं। मैं सबसे ज्यादा सक्रिय विधायकों में शामिल रहा हूं। मेरे क्षेत्र की जनता ने 2017 के चुनाव में मुझे प्रदेश में सबसे बड़े अंतर से जीत दिलाई है।
उधर राज्यसभा सदस्य प्रदीप टम्टा का दावा है कि भाजपा के कई विधायक कांग्रेस के संपर्क में हैं। टम्टा ने पूर्व विधायक ललित फर्स्वाण के आवास पर कार्यकर्ताओं से विधानसभा चुनाव की तैयारी में जी जान से जुटने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि आने वाला समय कांग्रेस का है।