‘गलत जन’ के निशाने पर ईमानदार अधिकारी!

  • पिछली बार की तरह इस बार की साजिश भी हुई बेनक़ाब
  • बेहूदा हरकतों से बाज़ नहीं आ रहे है साज़िशकर्ता
  • झूठे और बेबुनियाद आरोपों लगा कर बदनाम करने की करी जा रही है कोशिश

देहरादून। सूचना विभाग में डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट के सूचना महानिदेशक बनते ही शुरू हुई फुसफुसाहट अब एक बड़ी साजिश की तरफ बढ़ गयी है। खनन माफ़िया और कुछ नेताओं को जुगलबंदी से निकले कुछ छोटे-मोटे पत्रकार और उनके आका मुख्यमंत्री और उनके ईमानदार अधिकारियों के विरोध में आजकल फिर नए अफसाने लिख रहे है। पिछले साल से ही डॉ. बिष्ट के ख़िलाफ कुछ पत्रकारों ने सुनियोजित तरीक़े से अपने आकाओं के इशारे पर विरोध की एक खास रणनीति अपनाई हुई है। इसके तहत सबसे पहले न्यूज़ पोर्टल वालों की बैठक बुलाई गयी, जिसमें कुछ दिन पहले जारी हुए विज्ञापन कुछ बड़े अख़बारों को ही देने और छोटे पत्र-पत्रिकाओं को नजरंदाज करने का मुद्दा बनाकर सूचना महानिदेशक पर पक्षपात का आरोप लगाया गया। उस बैठक में इन सभी के पोर्टलों को सूचना विभाग में सूचीबद्ध कराने का झाँसा देकर विरोध के असली मक़सद को छुपाते हुए अपनी रणनीति में शामिल किया गया। उसके बाद शुरू हुए धरना-प्रदर्शन, तालेबंदी और मशाल यात्रा लेकिन यहाँ तक पहुँचते-पहुँचते सारी रणनीति फ़ेल हो गयी और अधिकतर लोगों ने षड्यन्त्र की बू आते ही इस प्रकरण से किनारा कर लिया। अब जब इनकी अपनी असलियत सबके सामने खुली तोइनके सामने अपने झूठे वर्चस्व को बचाने की चुनौती खड़ी हो गयी। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पर लगातार झूठे आरोपों की झड़ियाँ लगाने से जहां एक तरफ़ सूचना विभाग ने इनको विज्ञापन देना बंद किया वहीं दूसरी तरफ झूठी खबरों को बढ़ा-चढ़ा कर सुर्खियाँ बटोरनेकी कोशिशों पर विधायकों और विभागीय अधिकारियों ने भी इन्हें विज्ञापन देने से अपने हाथ पीछे खींच लिए। पूर्ववर्ती सरकारों में चाँदीकाट चुके ये कथित पत्रकार विज्ञापनों की बंद हुई इस बंदरबाँट को अपने हक पर डाका समझने लग गए।
इसमें शायद किसी को भी संदेह नहीं है कि डॉo मेहरबान सिंह बिष्ट एक बेहद ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी है। जिनको किसी भी परिस्थिति में गलत दबाव में न आने वाले अधिकारी के रूप में जाना जाता है, इसीलिए मुख्यमंत्री ने उनको अपना अपर सचिव बनातेहुए पहले खनन निदेशक और फिर सूचना महानिदेशक की भी ज़िम्मेदारी दे दी है। डॉo बिष्ट ने खनन विभाग में आते ही गैर क़ानूनीतरीकों से चल रहे कार्यों का संज्ञान लेते हुए उन पर तत्काल रोक लगा दी जिससे बौखलाए स्थानीय खनन माफ़ियाओं ने अपने राजनीतिक आकाओं से डॉo बिष्ट के ख़िलाफ़ शिकायतों की झड़ी लगा दी। इन कार्यों में अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े कई राजनीतिक धुरंधरों ने डॉo बिष्ट को दबाव में लाने की भरसक कोशिश की मगर वह टस से मस नहीं हुए यहाँ तक कि सरकार को मिलने वाले करोड़ों रुपए का हवाला देकर मुख्यमंत्री तक शिकायतें पहुँचाई गई लेकिन मुख्यमंत्री ने डॉo बिष्ट की क़ाबिलियत और ईमानदारी पर पूरा भरोसाकरते हुए साज़िशकर्ताओं की शिकायतों को न सिर्फ अनसुना कर दिया बल्कि डॉo बिष्ट को सूचना महानिदेशक जैसी महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी भी दे दी।
पहले खनन और फिर सूचना विभाग पर चौकीदारी से गलत ढंग से खनन करने वाले माफ़ियाओं और नोट लेकर खबरें छापने वाले चिंदी-चोर पत्रकारों में खलबली मच गयी। माफ़ियाओं से पैंसे लेकर इन पत्रकारों ने डॉo बिष्ट के ख़िलाफ चरणबद्ध ढंग से अनर्गल बयान बाज़ियां व खबरें पोर्टलों पर छापनी शुरू कर दी।
हाल ही में इनके द्वारा एक वीडियो को खबर बनाकर प्रचार और प्रसारित किया गया जिसमें डॉo मेहरबान सिंह बिष्ट और उत्तराखंडअंतरिक्ष केंद्र के निदेशक डॉo महेंद्र प्रताप बिष्ट पर कई गलत आरोप लगाए गए है साथ ही व्हटसप ग़्रुप का स्क्रीन शॉट वीडियो मेंदिखाया गया है जिसमें तीन-चार लोगों की साधारण सी चैट को अपने खिलाफ षडयंत्र बताकर प्रचारित किया जा रहा है। सूत्रों से पताचला है कि वीडियो में दिखाए जानेवाले स्क्रीन शॉट्स 2 साल से भी ज़्यादा पुराने है, लेकिन राई का पहाड़ बनाने में ये उस्ताद पत्रकारइसमें भी अपने पक्ष में कुछ संभावनायें तलाश रहे है।गौरतलब है कि चरणबद्ध तरीक़े से किए जा रहे इन कार्यों के दौरान वीडियो बनाने वाले पत्रकार रंगदारी के मामले में जेल भी जा चुके हैऔर हाल ही में महाराष्ट्र के राजभवन के खिलाफ झूठी खबर चलाने पर राजभवन द्वारा मुकदमा दर्ज भी किया जा चुका है। सबसे बड़ा सवाल यह भी उठ रहा है कि भ्रष्टाचार में जो अधिकारी लिप्त माने जा रहे है उनके खिलाफ लिखने के लिए क्या इनकी कलम की स्याही खत्म हो चुकी है और क्यूँ पूरे राज्य में मुख्यमंत्री और उनके इन दो अधिकारियों के सिवाय इन्हें सब ईमानदार नज़र आ रहे है। शुरुआत में 30-35 और अब 10-15 पत्रकारों को मिलकर त्रिवेंद्र सरकार के खिलाफ किसी खास उद्देश्य के लिए बनाया गया यह संगठन अब आगे कौन सा नए गुल खिलाता है अब यह आगे देखने वाली बात होगी।

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