राहतभरी खबर : पहली बार उत्तराखंड में एक दिन में आये केसों से ज्यादा हुई रिकवरी!

स्वास्थ्य सचिव की प्रेस वार्ता

  • राज्य सरकार ने लागू किया डिसेंट्रलाइज्ड कोविड केयर सिस्टम, दूरस्थ क्षेत्रों में भी होगा लागू
  • हल्द्वानी व ऋषिकेश में बन रहे 500 बेड के अस्पतालों में 25 ऑक्सीजन सपोर्टेड व आईसीयू बेड बच्चों के लिए होंगे आरक्षित
  • म्यूकोरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस की चुनौती से निपटने के लिए भी राज्य सरकार तैयार

देहरादून। आज सोमवार को सचिवालय स्थित मीडिया सेंटर में प्रदेश में कोविड-19 की स्थिति और जानकारी प्रदान करने के लिए प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया। इसमें सचिव स्वास्थ्य अमित नेगी ने बताया कि कल उत्तराखंड में 4496 केस थे और 5034 रिकवर हुए। यह काफी समय बाद हुआ कि केसों से रिकवरी ज्यादा आई है। हमारा यही प्रयास रहेगा कि हम इसी तरह की स्थिति बनाकर रखें।
उन्होंने बताया कि पिछले एक महीने में कुल 2600 ऑक्सीजन बेड, 678 आईसीयू बेड और 192 वेंटिलेटर बढ़ाए गए हैं। एक वर्ष में स्वास्थ्य सुविधाओं में भी काफी सुधार हुआ है। जहां मार्च 2020 में ऑक्सीजन सपोर्ट बेड 673 थे, आज बढ़कर 6000, आईसीयू बेड 216 थे  आज बढ़कर 1495, वेंटिलेटर 116 थे, आज 983, ऑक्सीजन सिलेंडर 1193 थे  आज 10,000 से अधिक हैं और ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर 275 थे आज बढ़कर 1500 से अधिक हो चुके हैं।
उन्होंने बताया कि प्रदेश में ऑक्सीजन मैनेजमेंट भी बेहतर है। यहां जमशेदपुर व दुर्गापुर से आई ट्रेनों में से पहली ट्रेन से हमें 80 मीट्रिक टन ऑक्सीजन और दूसरी ट्रेन से 100 मीट्रिक टन ऑक्सीजन प्राप्त हुई है। साथ ही आज जो ट्रेन आने वाली है, उससे 80 मीट्रिक टन ऑक्सीजन आएगी, जिसकी सभी जनपदों के अस्पतालों में सप्लाई जारी है। हम रिजर्व भी बना रहे हैं। उन्होंने बताया कि एक अप्रैल से अब तक ई-संजीवनी के तहत 26 हजार 900 टेली कम्युनिकेशन किए गए और इनकी संख्या लगातार बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। इसी प्रकार 104 हेल्पलाइन पर 1 लाख 10 हजार से अधिक कॉल्स अटेंड किये गये। कोविड-19 की वेबसाइट के भी 9 लाख विजिटर्स हैं। यहां सारी सूचनाएं उपलब्ध हैं।
उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा नई व्यवस्था डिसेंट्रलाइज्ड कोविड केयर सिस्टम लागू किया जा रहा है जो शहरी के साथ ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में भी लागू होगा। इसके लिए विभिन्न चरणों में प्रक्रिया अपनाई जाएगी। इसके तहत हम हर ब्लॉक में एक कोविड केयर सेंटर स्थापित करेंगे। साथ ही ब्लॉक में एक कंट्रोल रूम भी होगा, जिसके लिए मैन पावर की व्यवस्था की जाएगी। साथ ही हमारा प्रयास रहेगा कि ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल टेस्टिंग लैब भी हो, जो गांव-गांव जाकर लोगों को सैंपलिंग की व्यवस्था प्रदान करे।
सचिव डॉ. पंकज कुमार पांडेय ने बताया कि हमारी मेडिकल यूनिवर्सिटी के वॉइस चांसलर की अध्यक्षता में गठित एक्सपर्ट कमेटी में कुछ और लोगों को जोड़ा गया है। इसके तहत पिथौरागढ़ मेडिकल कॉलेज के क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्ट प्रो. बरोनिया, सरकारी मेडिकल कॉलेजों के प्रतिनिधियों, एक अन्य पब्लिक हेल्थ एडवाइजरी कमेटी में शामिल दून मेडिकल कॉलेज के कम्युनिटी मेडिसिन के हेड के साथ ही स्टेट सर्विलांस ऑफिसर को भी इस कमेटी में जोड़ा गया है। अब ये सभी इस कमेटी में भी सलाह दे सकते हैं। हमारी एक्सपर्ट कमेटी ने संस्तुति दी है। हमारा फोकस प्रीवेंशन पर है। ब्लैक फंगस सामान्य रूप से पाया जाता है। हमें इससे बचने के लिये सावधानियां रखनी हैं। म्यूकोरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस की चुनौती से निपटने के लिए भी राज्य सरकार तैयार है। उन्होंने कहा कि ऐसे लोग जो दूसरी गंभीर बीमारियों से ग्रस्त हैं  और अनियंत्रित मधुमेह, स्टेरॉयड के अधिक इस्तेमाल से इम्युनिटी कमजोर होने या अधिक समय तक आईसीयू में रहने वाले मरीज फंगल इंफेक्शन के लिए संवेदनशील होते हैं। जागरूकता और रोग की जल्दी पहचान फंगल इन्फेक्शन को फैलने से रोक सकता है। ब्लैक फंगस के लिए आवश्यक दवाओं का प्रबंध किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि हल्द्वानी और ऋषिकेश में बन रहे 500 बेड के अस्पतालों में 25 ऑक्सीजन सपोर्टेड व आईसीयू बेड बच्चों के लिए आरक्षित किए जाएंगे। हमारे पास पर्याप्त वैक्सीन है और लगातार 18 वर्ष से अधिक और 45 वर्ष से अधिक उम्र वालों को वैक्सीनेशन किया जा रहा है। वैक्सीन लगवाने के प्रति लोगों में काफी उत्साह भी देखा जा रहा है।
आईजी अमित सिन्हा ने बताया कि अब तक 178 टीमों ने 1839 स्थानों पर दबिश दी है, जिनमें 27 एफआईआर हुई है और 38 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। साथ ही 204 बरामदगी भी की गई है। उन्होंने बताया कि मास्क न पहनने पर 1 लाख 19 हजार लोगों पर और कोविड के नियमों के उल्लंघन पर कुल 2 लाख 93 हजार लोगों पर कार्रवाई की गई है। इस दौरान 4 करोड़ 71 लाख का शमन शुल्क वसूला गया है।
मानसिक स्वास्थ्य आल पोस्ट कोविड मैनेजमेंट के स्टेट नोडल अफसर डीआईजी डॉ. नीलेश भरणे ने बताया कि कोविड के संक्रमण के कारण जनमानस में मानसिक तनाव एवं मानसिक रोग उत्पन्न होने की संभावनाओं के दृष्टिगत राजकीय चिकित्सालयों में कार्यरत मनोचिकित्सकों द्वारा प्रातः 9ः00 बजे से दोपहर 1ः00 बजे तक ई- संजीवनी पोर्टल के माध्यम से उपचार एवं परामर्श की सुविधा प्रदान की जा रही है। साथ 104 हेल्पलाइन के माध्यम से प्रशिक्षित परामर्शदाताओं के द्वारा भी मानसिक स्वास्थ्य हेतु आम जनमानस को परामर्श प्रदान किया जा रहा है।
मानसिक स्वास्थ्य हेतु एम्स ऋषिकेश के वरिष्ठ मनोचिकित्सक, राज्य में कार्यरत मनोचिकित्सक, अन्य राज्यों के विशेषज्ञ मनोचिकित्सकों एवं राज्य के परामर्शदाताओं के साथ एक वाट्सएप ग्रुप बनाया गया है। ग्रुप में विशेषज्ञों द्वारा चिकित्सकों एवं परामर्श दाताओं को मानसिक स्वास्थ्य हेतु प्रशिक्षण प्रदान कर प्रश्नों का उत्तर दिया जा रहा है। मानसिक स्वास्थ्य के सम्बन्ध में प्रत्येक शनिवार को ऑनलाइन के माध्यम से सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है। जिसका लिंक सोशल मीडिया में माध्यम प्रसारित किया जा रहा है। कोरोना संक्रमण के कारण होम आइसोलेशन  में रह रहे रोगियों का दूरभाष पर परामर्शदाताओं द्वारा मानसिक स्वास्थ्य का आकलन कर आवश्यकतानुसार परामर्श प्रदान किया जायेगा।

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