उत्तराखंड : जहां-जहां धरती फटी वहां बह रहे झरने!

आसमानी आफत

  • महज एक घंटे की बारिश ने बदल दिया पिथौरागढ़ जिले के टांगा गांव का भूगोल
  • आसमान से बरसी आफत में लगभग 200 स्थानों पर फटी धरती उगल रही पानी
  • विधायक धामी ने गांव वालों को सुरक्षित जगह पर बसाने तक वहीं रहने का किया ऐलान

पिथौरागढ़। हिमालय की गोद में बसा टांगा गांव शायद अब फिर से आबाद हो सके। गांव के ठीक नीचे बहने वाली मोतीगाड़ नदी का पानी कई दशकों से जमीन को काट-काटकर निगल रहा था, लेकिन आसमान से बरसे पानी ने महज एक घंटे के भीतर गांव का भूगोल बदल दिया। इस गांव का ऐसा कोई हिस्सा नहीं है, जिसे आसमानी आफत ने बख्श दिया हो।
रविवार रात आसमान से बरसी आफत ने इस गांव की जमीन को 200 से अधिक स्थानों पर चीर दिया, जहां-जहां धरती फटी है वहां से 72 घंटे बाद भी झरने बह रहे हैं। बंगापानी तहसील के टांगा गांव में चार अलग-अलग तोक हैं। मुख्य गांव टांगा में लगभग 20 परिवार रहते हैं। मोतीगाड़ नदी से लगभग आठ सौ मीटर ऊपर बसे टांगा गांव की जमीन को नदी का पानी धीरे-धीरे निगल रहा था। इससे गांव के बायीं ओर बसे करीब छह मकान खतरे में आ गए थे। अधिक बारिश में इसी किनारे की ओर बसे मकानों के नदी में समाने का खतरा बना रहता था, लेकिन रविवार को गांव के वे मकान जमींदोज हो गए जो सबसे सुरक्षित समझे जाते थे। 

चारों ओर खेतों के बीच हल्की ढलवां जमीन पर घर बनाकर बसे ग्रामीणों ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि इस स्थान पर आसमानी आफत इस कदर टूटेगी कि 11 लोगों की जान ही ले लेगी। गांव के ऊपरी हिस्से में जिस स्थान पर भूस्खलन से जीत राम का मकान मलबे के साथ बहा था, वहां से लगभग 100 मीटर की दूरी पर करीब छह परिवार रह रहे हैं। अब इन मकानों के दोनों ओर जमीन में दरारें पड़ चुकी हैं, जबकि नीचे नदी की ओर से भी जमीन खिसक रही है।   
गांव के बायीं ओर करीब 400 मीटर दूर एक और तोक हैं। जहां पर स्कूल हैं। यह जगह भी खतरे से खाली नहीं है। तीन मकानों के मलबे में बहने और पूरी जमीन के रोखड़ में बदल जाने से लोगों की आंखों में खौफ के साथ अपने और बच्चों के भविष्य की चिंता नजर आती है। खेतों के बहने से अब खेती किसानी संभव नहीं है। महिलाएं आंखों में आंसू लिए घरों से जरूरी सामान लेकर एक स्थान पर बनाए गए अस्थाई शिविर में शरण लिये हुए हैं। सामान उठाए जानकी देवी ने एक ही बात बार-बार कह रही थी कि शासन प्रशासन उन्हें जल्दी सुरक्षित स्थान पर विस्थापित कराए।

उधर भूगर्भ वैज्ञानिक प्रदीप कुमार का कहना है कि टांगा गांव में नदी से कटाव हो रहा है। गांव की भूवैज्ञानिक जांच होगी। इसके लिए भूवैज्ञानिकों की एक टीम के देहरादून मुख्यालय से जनपद के प्रभावित क्षेत्र में पहुंचने की सूचना है। भू सर्वेक्षण के बाद ही आगे की कार्रवाई होगी। धारचूला के विधायक हरीश धामी ने कहा, मैंने विधान सभा के आपदा प्रभावित गांवों की समस्या को हमेशा सदन में उठाया है। यह गांव पूरी तरह से खतरे में है और लोगों को सुरक्षित रात बिताने के लिए जगह भी नहीं है। इस क्षेत्र में संचार सुविधा भी नहीं है। गांव के ऊपरी क्षेत्र में लगातार भूस्खलन हो रहा है। यहां के परिवारों का शीघ्र सुरक्षित स्थान पर विस्थापन किया जाना चाहिए। जब तक गांव के परिवारों को सुरक्षित स्थान पर नहीं बसाया जाता, मैं मौके पर रहूंगा। मुख्यमंत्री को शीघ्र दौरा कर यहां का हाल जानना चाहिए। 

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