पेड़ हैं तो जीवन है, हम हैं : त्रिवेन्द्र

  • इस हरेला पर्व पर हम अधिक प्राणवायु देने वाले वृक्ष जैसे पीपल, बरगद, नीम को करें रोपित
  • वृक्षों को लगाने के साथ-साथ बड़े होने तक उनका संरक्षण करने पर भी हो फोकस
  • संकल्प से सिद्धि तक पहुंचाने के लिए आपके निरंतर प्रयास हैं जरूरी

देहरादून। आगामी 16 जुलाई को प्रदेश भर में लोकपर्व हरेला मनाया जाएगा। हरेला महापर्व को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत कहते हैं, उनका हमेशा से ही प्रयास रहा है कि अधिक से अधिक वृक्षों को लगाया जाए तथा बड़े होने तक उनका संरक्षण भी किया जाए। उन्होंने ख़ुशी जताते हुए कहा कि विगत वर्षों में लोगों में वृक्षारोपण के प्रति बेहद जागरूकता आई है। विगत वर्षों में हमारे प्रयासों और जनसहयोग के चलते प्रदेश में लाखों वृक्ष रोपे गए और उन्होंने कहा कि जब भी वो उन स्थानों की हरियाली को देखते हैं तो उनकी आंखों को, मन को अत्यंत खुशी मिलती है। त्रिवेन्द्र ने कहा कि प्रदेश में नदियों के पुनर्जीवन के लिए उनके तथा जनसहयोग से वृहद वृक्षारोपण किया गया और समय-समय पर उनकी देखभाल हेतु जाना भी हुआ। उन्होंने कहा कि संकल्प से सिद्धि तक पहुंचाने के लिए निरंतर प्रयास की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हरियाली! जीव जंतुओं के लिए, पक्षियों के लिए जल संरक्षण के लिए, पर्यावरण के लिए अत्यंत जरूरी है।
उन्होंने कहा कि अपने आने वाली पीढ़ी के लिए, उनके स्वस्थ जीवन के लिए जरूर वृक्षारोपण करें। घर में कोई मांगलिक कार्य हो, किसी के जन्म के समय, विवाह के समय या किसी भी शुभ कार्य में हम अवश्य संकल्प लें की हम एक वृक्ष अवश्य लगाएंगे। उन्होंने कहा कि अपने पर्यावरण की रक्षा खुद से कैसे कर सकते हैं, इसके लिए आज से ही सोचना होगा, विचार करना होगा। उन्होंने कहा कि तमाम शोध और वैज्ञानिकों द्वारा प्रमाणित किया जा चुका है कि वृक्ष होंगे तो पानी होगा। वृक्षों को लगाने के साथ-साथ बड़े होने तक उनका संरक्षण भी अत्यंत जरूरी है।

उन्होंने कहा कि आने वाले हरेला पर्व यानी 16 जुलाई को हम एक व्यक्ति एक वृक्ष का अवश्य संकल्प लें। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री रहते हुए हरेला पर्व पर राजकीय अवकाश घोषित करने का उन्हें सौभाग्य प्राप्त हुआ। उन्होंने कहा इस अवकाश के दिन हमारे प्रदेश का हर एक व्यक्ति एक वृक्ष अवश्य लगाए और उसके बड़े होने तक उसका संरक्षण भी करे। उन्होंने कहा कि आने वाला समय पर्यावरण की दृष्टि से अत्यंत चुनौतीपूर्ण हो सकता है लेकिन अगर हमारे प्रयास अपने पर्यावरण को बचाने में निरंतर लगे रहे तो हम अपनी आने वाली पीढ़ी को शुद्ध वायु, स्वस्थ जीवन प्रदान करने में बहुत बड़ी भूमिका निभा सकेंगे।
उन्होंने कहा कि इस लोकपर्व हरेला पर हम संकल्प लें कि हम एक वृक्ष अवश्य लगाएंगे। उन्होंने सभी से विशेष अपील की है कि हम ऐसे वृक्ष लगाएं जो अधिक से अधिक प्राणवायु देने का काम करते हैं जैसे पीपल, बरगद, नीम, पिलखन, बांस आदि प्रजाति, पीपल और बरगद के वृक्षों का औषधीय और आध्यात्मिक महत्व तो है ही इसके अलावा तमाम शोध यह भी बताते हैं कि ये वृक्ष ब्लैक कार्बन को सोखने तथा भरपूर मात्रा में हमें ऑक्सीजन भी प्रदान करते हैं।

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