उत्तराखंड : पहाड़ में मातृशक्ति की खुशहाली को त्रिवेंद्र ने लिये ये ऐतिहासिक फैसले!

देहरादून। त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते हुए अपनी प्राथमिकताओं में पहाड़ के विकास के साथ ही सदियों से पहाड़ की त्रासदी झेल रही महिलाओं के जीवन को खुशहाल बनाने को पहले पायदान पर रखा था। इस दिशा में उन्होंने अपनी इस सोच को धरातल पर उतारते हुए ऐसे अनेक ऐतिहासिक फैसले लिये जिससे पहाड़ की मातृशक्ति की जिंदगी में खुशहाली दिखने लगी है।
उनका ताजातरीन फैसला मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना को कैबिनेट में हरी झंडी दिखाना है। जिसमें पहाड़ में माताओं और बहनों के सिर से घास का बोझ उतारने की पूरी तैयारी है। इस बाबत मुख्यमंत्री ने कहा था कि राज्य में महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में राज्य सरकार तेजी से काम कर रही है। जंगली जानवरों से महिलाओं की सुरक्षा के लिए सरकार जल्द ही मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याणकारी योजना शुरू करने जा रही है। इस योजना के तहत सस्ते गल्ले की तरह प्रदेशभर में 7771 केंद्रों के माध्यम से गांवों तक पशुओं के लिए सस्ता चारा उपलब्ध कराया जाएगा। पशुचारे पर प्रदेश सरकार अपनी तरफ से अनुदान भी देगी। इस समय पशु चारे पर प्रति किलोग्राम करीब 15 रुपये खर्च किए जा रहे हैं।त्रिवेंद्र ने कहा, सरकार की योजना है कि पहाड़ों में यह चारा करीब तीन रुपये प्रति किलोग्राम की दर से लोगों को मिले। यह उस काम के बोझ की तुलना में काफी कम है जो महिलाओं को घास के लिए उठाना पड़ता है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य महिलाओं के सिर से घास का बोझ खत्म करना है। इससे जंगलों में चारा लाने के दौरान वन्यजीवों से जान का खतरा तो कम होगा ही, अन्य हादसों में भी कमी आएगी।
मुख्यमंत्री ने मातृशक्ति को और अधिक अधिकार संपन्न बनाने के लिये महिलायों को अब पैतृक सम्पति में सह खातेदार बना दिया है। जिससे उनको नये कारोबार व अन्य कार्य हेतु ऋण प्राप्ति में सुविधा होगी। यह एक बहुत बड़ा सुधारवादी कदम है जिसकी शुरूआत उत्तराखंड से हुई है।
मुख्यमंत्री के अनुसार स्वरोजगार में जुटे महिला स्वयं सहायता समूहों को बिना ब्याज के पांच लाख तक का ऋण मुहैया कराया जा रहा है। जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में आशातीत सुधार आया है और राज्य सरकार भी महिला सशक्तिकरण के लिए सतत प्रयास कर रही है। आज हर क्षेत्र में महिलायें आगे आई हैं, चाहे वो महिला स्वयं सहायता समूह हो या रूरल ग्रोथ सेन्टर हो या फिर महिला मंगल दल की भूमिका हो। मुख्यमंत्री का कहना है कि हमें ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान को और आगे बढ़ाना होगा। आज बेटियां किसी भी क्षेत्र में लड़कों से कमतर नहीं हैं। वे हर क्षेत्र में अच्छा कार्य कर रही हैं।

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