गोद ली बच्ची के घर पहुंचे त्रिवेंद्र, खूब किया दुलार

सीएम की सराहनीय पहल

  • कुपोषण मुक्ति अभियान और पोषण माह सितंबर के तहत मुख्यमंत्री ने अति कुपोषित बालिका योगिता को लिया है गोद  
  • कहा, सभी कुपोषित बच्चों को कुपोषण से बाहर लाने के लिए हरसंभव करेंगे सहयोग, कुपोषण खत्म करने को सरकार प्रतिबद्ध 
  • प्रमुख व्यवसायी व गीता भवन संस्था से जुड़े राकेश ओबराय ने सीएम के कार्यक्रम में 100 कुपोषित बच्चों को गोद लेने की घोषणा

देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत कुपोषण मुक्ति अभियान के तहत गोद ली गई बच्ची योगिता के घर आज बुधवार सुबह पहुंचे। मुख्यमंत्री ने योगिता के माता पिता से उसके पोषण, खानपान और दिनचर्या की जानकारी ली और योगिता का खूब दुलार किया।      
इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि योगिता सहित सभी कुपोषित बच्चों को कुपोषण से बाहर लाने के लिए हरसंभव सहयोग किया जाएगा। कुपोषण को जड़ से खत्म करने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। गौरतलब है कि कुपोषण मुक्ति अभियान और पोषण माह सितंबर के तहत सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अति कुपोषित बालिका योगिता को गोद लिया है। मुख्यमंत्री के पहल के चलते स्पीकर, विभागीय मंत्री, विधायक, मेयर के साथ ही शासन के अफसरों ने भी अति कुपोषित बच्चों को गोद लिया है। 

कुपोषण के खिलाफ अभियान की शुरुआत करते हुए सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मंगलवार को बड़ा एलान किया था। उन्होंने कहा कि सरकार कक्षा नौ से 12 तक की बालिकाओं का हीमोग्लोबिन टेस्ट कराएगी, ताकि उनमें एनीमिया की असल स्थिति का पता चल पाए। सीएम ने 2022 तक प्रदेश के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों को पक्के भवन उपलब्ध करा देने का संकल्प भी दोहराया था। हमें समाज की शक्ति को पहचानना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोई भी समस्या दूर की जा सकती है अगर सही तरीके से नियोजन किया जाए और समाज को इसमें जोड़ा कर उसे पर्सनल टच दिया जाए। इसके साथ ही कुपोषण मुक्ति अभियान और पोषण माह सितंबर के तहत सीएम ने अति कुपोषित बालिका योगिता को गोद लिया। स्पीकर, विभागीय मंत्री, विधायक, मेयर के साथ ही शासन के अफसरों ने भी अति कुपोषित बच्चों को गोद लिया।

सीएम आवास में जनता दर्शन हॉल में मंगलवार को यह कार्यक्रम आयोजित किया गया। सीएम ने कहा कि हमें समाज की शक्ति को पहचानना चाहिए। कोई भी समस्या दूर की जा सकती है अगर सही तरीके से नियोजन किया जाए और समाज को इसमें जोड़ा कर उसे पर्सनल टच दिया जाए। उन्होंने पिथौरागढ़ का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां भी समाज का सहयोग लेकर बालिका लिंगानुपात में काफी सुधार आया है। इस मौके पर स्पीकर प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि कुपोषण से मुक्ति की चुनौती स्वीकार कर हम आगे बढ़ेंगे। बच्चा स्वस्थ पैदा हो, इसके लिए मां का स्वस्थ रहना जरूरी है। 
महिला सशक्तीकरण और बाल विकास मंत्री रेखा आर्या ने कहा कि यदि कुपोषण से लड़ना है, तो इसकी शुरूआत गर्भवती महिला से होनी जरूरी है। उनको पर्याप्त पोषण मिले, इसके लिए आंगनबाड़ी केंद्रों में उनका पंजीकरण होना जरूरी है। उन्होंने बताया कि पहाड़ की तुलना में मैदान में कुपोषण की समस्या कहीं ज्यादा है। उन्होंने बताया कि पूरे प्रदेश में ऊधमसिंह नगर में सबसे ज्यादा 7978, हरिद्वार में 4952, नैनीताल में 1354 और देहरादून में 1123 कुपोषित बच्चे हैं। मसूरी विधायक गणेश जोशी ने विभाग से कुपोषित बच्चों की सूची देने के लिए कहा, ताकि पूरे विधानसभा क्षेत्र में वह तमाम लोगों की मदद से काम कर सके। दून के मेयर सुनील उनियाल गामा ने कहा कि कुपोषण एक बहुत बड़ा अभिशाप है। इसकी मुक्ति के लिए विशेष प्रयासों की जरूरत हैं। इस मौके पर प्रमुख व्यवसायी और गीता भवन संस्था से जुड़े राकेश ओबराय ने कार्यक्रम में 100 कुपोषित बच्चों को गोद लेने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि गोद लेने की संख्या को और बढ़ाया जाएगा।

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