परंपरागत खेती से आर्थिकी सुधारें किसान : दर्शन दानू

दुनियाभर में जैविक फसलों की भारी मांग

  • कृषि विभाग ने परम्परागत कृषि योजना के तहत देवाल ब्लाक के उलंग्रा व लौसरी गांवों में किया शिविर का आयोजन
  • अभियान के तहत थराली और देवाल विकास खंडों के कुल 58 क्लस्टरों में चलाया जाएगा जागरूकता अभियान

थराली/देवाल से हरेंद्र सिंह बिष्ट।
कोरोना वायरस से बचाव एवं इस के संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए कृषि विभाग ने परम्परागत कृषि योजना के तहत देवाल ब्लाक के उलंग्रा व लौसरी गांवों में शिविर का आयोजन किया। इसके तहत थराली व देवाल विकास खंडों के कुल 58 क्लस्टरो में जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।
कृषि इकाई देवाल के सौजन्य से देवाल के लौसरी एवं उलंग्रा गांवों में ब्लाक प्रमुख दर्शन दानू की अध्यक्षता में सैनिटाइजर करने के साथ ही ग्रामीणों को कोरोना संक्रमण के प्रसार को रोकने व बचाव के लिए मास्क, साबुन, ग्लव्ज आदि के वितरण के साथ ही जैविक खाद, कीटनाशकों का वितरण भी किया गया। इस मौके पर प्रमुख दर्शन दानू ने कहा कि विलुप्त होती परंपरागत खेती से ग्रामीण किसान बेहतरीन आर्थिक लाभ ले सकते हैं। आज पूरे देश ही में नहीं, विश्व में भी उत्तराखंड में उगने वाले मडुवा, लाल धान, झंगोरा, कोणी, काला भट्ट, गहत, चौलाई, फाबर सहित तमाम जैविक रूप से उगने वाली फसलों की भारी मांग है, किंतु अधिकांश फसलें लुप्त प्राय हो गई है। जिन्हें दुबारा उत्पादित करने बेहद लाभकारी होगा।

इस मौके पर प्रधान संघ के अध्यक्ष राजेंद्र बिष्ट, क्षेपंस हीरा परिहार, पान सिंह तुलेरा, गोपी मेहरा, कृषि विभाग के अरविंद भंडारी आदि ने विचार व्यक्त किए।
इधर थराली कृषि एवं भूमि संरक्षण अधिकारी आंनद गोस्वामी ने बताया कि परंपरागत कृषि विकास के तहत देवाल ब्लाक में 25 एवं थराली में 33 क्लस्टर बनायें गये हैं।जिन में जैविक खेती को प्रोत्साहन देने के लिए जैविक खाद, बीज, कीटनाशकों का वितरण किया जा रहा हैं। कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए इसका व्यापक स्तर पर प्रचार किया जा रहा हैं। इसी के तहत किसानों को खतरनाक कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए सैनिटाइजरों के वितरण के साथ ही परंपरागत खेती के लाभ की जानकारी दी जा रही है।

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