उत्तराखंड : एक चौथाई मरीजों ने नहीं लिया स्टेरॉयड, फिर भी ब्लैक फंगस के हुए शिकार!

देहरादून। ब्लैक फंगस को लेकर अब तक माना जा रहा है था कि हाई ब्लड शुगर और स्टेरॉयड का सेवन करने वाले कोविड संक्रमितों को ही ब्लैक फंगस (म्यूकोरमाइकोसिस) का संक्रमण होता है, लेकिन अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश ने चौंकाने वाला खुलासा किया है।
एम्स में भर्ती ब्लैक फंगस के 25 फीसद मरीजों ने स्टेरॉयड का सेवन नहीं किया। इसके बावजूद वे ब्लैक फंगस की चपेट में आ गए। एम्स के म्यूकोरमाइकोसिस कंट्रोल टीम के प्रभारी डॉ. अमित त्यागी ने बताया कि एम्स में ब्लैक फंगस के 118 केस मिले हैं। इनमें से 30 कोविड मरीज ऐसे हैं, जिनमें ब्लैक फंगस का संक्रमण पाया गया, लेकिन इन मरीजों ने स्टेरॉयड का सेवन नहीं किया था। खून में कोरोना वायरस पहुंचने के कारण ये मरीज ब्लैक फंगस की गिरफ्त में भी आ गए।
डॉ. त्यागी ने बताया कि जब कोरोना संक्रमण खून मेें पहुंचता तो वायरस हीमोग्लोबिन को तोड़कर आइरन की मात्रा को बढ़ा देता है। प्रतिरोधक क्षमता कम होने और खून में आयरन की मात्रा बढ़ने से ब्लैक फंगस को मरीज के शरीर में पनपने का मौका मिल जाता है। एम्स ऋषिकेश के निदेशक प्रो. रविकांत ने बताया कि 40 से 60 साल की उम्र वाले अधिकांश लोगों में या तो डायबिटीज की समस्या हो जाती है या डायबिटीज होने की प्रबल संभावना बनी रहती है। इस उम्र के कोविड ग्रसित मरीजों के लिए अपने शुगर लेवल पर नियंत्रण रखना बेहद जरूरी है।
डॉ. अमित त्यागी ने बताया कि किसी भी व्यक्ति को कोविड ग्रसित होने पर बिना चिकित्सक की सलाह के स्टेरॉयड का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए। फंगस संक्रमण की दृष्टि से ऐसा करना बेहद घातक साबित हो सकता है। स्वस्थ होने के अगले छह हफ्ते बाद तक भी कोविड मरीज को अपने शुगर लेवल की दैनिक जांच करानी चाहिए। ताकि किसी अनचाही स्थिति से बचाव हो सके।

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