…और फिर इमोशनल हुए हरक!

  • आंखों से छलके आंसू, बोले- अपने सामने पहली बार असहाय होकर लोगों को मरते हुए देखा 
  • आयुष मंत्री पहली बार नहीं रोए हैं, इससे पहले भी उनकी आंखों से निकले हैं आंसू

देहरादून। कोरोना के कहर के चलते अपनों को खोने का जिक्र करते-करते आयुुष मंत्री हरक सिंह की आंखों से आंसू छलक आए। कुछ शायद अपनों को खोने का दर्द, कुछ असहाय होकर देखते रह जाने की कसक और कुछ खुलकर कुछ न कर पाने का दर्द ही है जो आंखों से बयां हो गया। 
कर्मकार बोर्ड के विवाद के दौरान भी सार्वजनिक रूप से बात करते हुए कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रोए थे, लेकिन सोमवार को विधानसभा में कारण अलग था। ये कारण शायद कोविड संक्रमण के इस दौर में बहुत कुछ न पाने का अहसास भी है। हरक सिंह के मुताबिक दो डॉक्टरों, एसडीएम, सीएमओ की मौजूदगी में वार्ड में शिफ्ट करते-करते उनके एक जानने वाले ने दम तोड़ दिया। एक से दिन में कुशल क्षेम पूछी, शाम को खबर आई, अब वह नहीं है। दवा है, डॉक्टर हैं, आक्सीजन है लेकिन जिंदगी बच नहीं रहीं हैं।
उनकी कोरोना की तीसरी लहर का सामना करने की जिद भी उभर कर सामने आई और यह स्वीकारोक्ति भी कि समय रहते तैयारी नहीं हो पायी। ऑक्सीजन का इंतजाम आज हम कर रहे हैं, वह कुछ दिन पहले हो जाना चाहिए था। 
उनके मुताबिक 2013 की केदारनाथ आपदा में वह 18 जून को केदारनाथ का दौरा कर आए थे। उस समय तबाही का मंजर देखकर वे विचलित हुए थे, लेकिन इतने नहीं, जितने इस समय हो रहे हैं। उस समय उन्होंने जो कुछ देखा वह बीत चुका था। इस बार अच्छे खासे व्यक्ति को अपने सामने पल भर में जाते हुए देखना सहा नहीं जा रहा है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here