उत्तराखंड : 71 प्रतिशत प्रवासियों को भायी अपने गांव की माटी!

देहरादून। कोरोना महामारी के चलते उत्तराखंड वापस लौटै प्रवासियों में से 71 प्रतिशत को अपने गांव की मिट्टी भा गई है। ये प्रवासी अभी तक अपने गांव में रुके हुए हैं। इनमें से 33 प्रतिशत ने खेती बाड़ी करना भी शुरू कर दिया है। हालांकि 29 प्रतिशत प्रवासी अनलॉक के बाद दोबारा से पलायन कर चुके हैं। राज्य पलायन आयोग ने प्रवासियों की वापसी को लेकर अंतिम रिपोर्ट जारी कर दी है।
कोरोना संकट काल में रिवर्स माइग्रेशन के मोर्चे पर यह रिपोर्ट प्रदेश के लिए राहत भरी खबर लेकर आई है। लॉकडाउन के दौरान करीब तीन लाख से अधिक प्रवासी राज्य में लौटे थे। इनमें से अधिकतर की वापसी का अंदाजा लगाया जा रहा था। यह माना जा रहा था कि अनलॉक में काम धंधों की रफ्तार तेज होने पर ये लोग वापस लौट जाएंगे, लेकिन आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक इनमें से मात्र 29 प्रतिशत ही वापस लौटे। आयोग ने यह रिपोर्ट विकासखंड स्तर पर किए गए सर्वे के आधार पर तैयार की है।
आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक अल्मोड़ा में लौटे प्रवासियों में से करीब 33 प्रतिशत ने स्वरोजगार अपनाया है। नैनीताल, ऊधमसिंह नगर और टिहरी जिलों में भी यही देखने को मिला है। हरिद्वार जिले में वापस लौटे प्रवासियों में से करीब 75 प्रतिशत की निर्भरता मनरेगा योजना पर है। पौड़ी में 53 प्रतिशत, टिहरी में 51 प्रतिशत और चमोली में 43 प्रतिशत प्रवासी मनरेगा से जुड़े हैं।

आयोग की तरफ से की गईं सिफारिशें
1. सीएम स्वरोजगार योजना और मनरेगा का बेरोजगारों को मिल रहा है फायदा। इस पर पूरा फोकस किया जाए।
2. राज्य और जिला स्तर पर रिवर्स पलायन करने वालों के आर्थिक पुनर्वास को प्रकोष्ठ गठन किया जाए।
3. रिवर्स पलायन के लिए डेटा बेस तैयार किया जाए।
4. कृषि, उद्यान, पशुपालन विभाग लौटे लोगों से संपर्क स्थापित किया जाए।
5. मनरेगा के स्कोप का विस्तार किया जाए।
6. स्वरोजगार में लगे लोगों को सहायता दी जाए। करीब 12 प्रतिशत लोग इससे जुड़े हैं।
7. कौशल विकास किया जाए। लौटने वाले कई लोग आतिथ्य क्षेत्र से हैं और प्रशिक्षित हैं, लेकिन ये अब कृषि, बागवानी और मनरेगा से जुड़े हैं। 
उत्तराखंड पलायन आयोग के उपाध्यक्ष एसएस नेगी ने बताया कि आयोग की यह रिपोर्ट रिवर्स माइग्रेशन के मोर्चे पर भी राहत देने वाली है। खास बात यह है कि वापस लौटे लोगों में से अधिकतर अपने मूल स्थान या फिर आसपास के क्षेत्र में ही गए हैं। आयोग की ओर से अब प्रवासियों से संवाद बनाए रखने की सिफारिश प्रमुख रूप से की गई है।
उधर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राज्य के युवाओं के साथ ही कोविड-19 महामारी के कारण राज्य में लौटे प्रवासियों को स्वरोजगार एवं रोजगार के बेहतर अवसर उपलब्ध कराने के लिए विभागीय सचिवों को जिम्मेदारी सौंपी है। उन्होंने इस कार्यक्रम को मिशन मोड में संचालित करने के भी निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने बताया कि हमारा उद्देश्य राज्य के युवाओं को अधिक से अधिक रोजगार व स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराना है। इसके लिए विभागवार रोजगार परक योजनाओं को चिह्नित करने के साथ ही आपसी समन्वय के साथ कार्य योजना तैयार की जाएगी।
उत्तराखंड कौशल विकास मिशन व ग्राम्य विकास विभाग (उत्तराखंड राज्य आजीविका मिशन) के बीच एमओयू हुआ। इसके तहत ग्राम्य विकास विभाग के स्वयं सहायता समूहों को रूरल सेल्फ इंप्लायमेंट ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट के माध्यम से कौशल प्रशिक्षण दिया जाएगा।
उन्होंने बताया कि एकीकृत आजीविका सहयोग परियोजना के तहत राज्य का ब्रांड विकसित किए जाने की भी योजना है। इसी तरह उत्तराखंड कौशल विकास मिशन, तकनीकी शिक्षा एवं नेसकॉम के मध्य त्रिपक्षीय एमओयू हुआ। इसमें तकनीकी शिक्षा विभाग के छात्र-छात्राओं को फ्यूचर स्किल्स, हाई एंड स्किल्स में प्रशिक्षित कर रोजगार व स्वरोजगार के अवसरों से जोड़े जाने की योजना है।

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