सेंगर पर मेहरबानी : कुछ तो है जिसकी पर्दादारी है!

भाजपा विधायक का गैंगरेप मामला 

  • उन्नाव गैंगरेप पीड़िता के साथ हुए सड़क हादसे के बाद जताई जा रही हैं कई तरह की आशंकाएं 
  • पीड़िता की मां ने कहा, पूरे परिवार को खत्म करने की साजिश थी, इस हादसे में मिले कई सुराग
  • गैंगरेप केस भी सुर्खियों में, सेंगर के खिलाफ गत वर्ष चार्जशीट फाइल, अभी तक ट्रायल ही शुरू नहीं

उन्नाव। वर्ष 2017 में गैंगरेप के आरोपी भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर भाजपा आलाकमान इतना मेहरबान क्यों हैं, इस पर गैंगरेप पीड़िता को मारने के लिये सड़क हादसे का रूप देने पर पूरे देश से तीखी प्रतिक्रियायें सामने आ रही हैं। साथ ही कई तरह की आशंकाएं जताई जा रही हैं। पीड़िता की मां ने कहा है कि पूरे परिवार को खत्म करने की यह साजिश थी। वहीं, इस हादसे में अब कई ऐसे सुराग भी मिल रहे हैं जो इस घटना के पीछे गहरी साजिश की ओर इशारा कर रहे हैं। इस बीच अब पुराना मामला (गैंगरेप केस) भी सुर्खियों में आ गया है, जिसमें सीबीआई ने पिछले साल ही भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ चार्जशीट फाइल कर दी थी, पर अभी तक ट्रायल ही शुरू नहीं हो पाया है। इसे लेकर भी अब कई तरह के सवाल उठने लगे हैं। गौरतलब है कि विधायक सेंगर फिलहाल सीतापुर जिला जेल में बंद हैं। 
बता दें कि गैंगरेप पीड़िता ने पिछले महीने (जून में) ही सीबीआई से इस केस को दिल्ली ट्रांसफर करने की अपील की थी, जहां वह फिलहाल रह रही हैं। हालांकि सीबीआई के पास केस ट्रांसफर करने का अधिकार नहीं है। फिलहाल सीबीआई की लखनऊ इकाई द्वारा मामले की जांच की जा रही है और दिल्ली की विशेष अपराध इकाई जांच में सहायता कर रही है। पीड़िता के मुताबिक 4 जून 2017 को उसके साथ गैंगरेप किया गया। पिछले साल आठ अप्रैल को पीड़िता के पिता को फर्जी तरीके से आर्म्स एक्ट के तहत गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। बाद में पुलिस हिरासत में उनकी पीट- पीटकर हत्या कर दी गई। इस मामले में भी सीबीआई ने पांच लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। पीड़िता के पिता की हत्या के मामले में नामजद विनीत, बउआ, सोनू के साथ सुमन सिंह उर्फ शशि प्रताप सिंह और विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के भाई अतुल सिंह सेंगर के खिलाफ चार्जशीट दाखिल हुई। 
पिछले साल 17 मई को सीबीआई ने इस मामले में माखी पुलिस थाने के एसएचओ अशोक सिंह भदौरिया और सब इंस्पेक्टर कमता प्रसाद सिंह को पीड़िता के पिता को फर्जी मुकदमे में फंसाने, तमंचा लगाकर गिरफ्तारी दिखाने और आपराधिक साजिश में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया था। 
पिछले साल 12 अप्रैल को सीबीआई ने इस मामले की जांच शुरू की। सीबीआई ने इस मामले में चार केस दर्ज किए। पहला केस नाबालिग लड़की के साथ गैंगरेप का दर्ज हुआ। इसके बाद जेल में पीड़िता के पिता को प्रताड़ित करने और उनकी हत्या का केस दर्ज हुआ। तीसरा मामला सेंगर के सहयोगी सहित तीन पुरुषों द्वारा सामूहिक बलात्कार के आरोपों से जुड़ा था। चौथा केस आरोपी विधायक के भाई द्वारा पीड़िता के परिजनों द्वारा हमला करने का आरोप लगाते हुए दर्ज की गई शिकायत थी। 
गत 7 और 11 जुलाई 2018 को सीबीआई ने दो मामलों में चार्जशीट दाखिल की। एक मामले में विधायक और एक महिला पर अपहरण और रेप का आरोप लगाया गया। वहीं दूसरी चार्जशीट में पीड़िता के पिता की हत्या के मामले में पांच लोगों को आरोपी बनाया गया। तीसरी चार्जशीट में विधायक और अन्य पर पीड़िता के पिता को फर्जी मुकदमे में फंसाने का आरोप है। गौरतलब है कि रायबरेली में उन्‍नाव गैंगरेप पीड़‍िता सड़क हादसे में बुरी तरह से जख्मी हैं। इस हादसे में उनकी मौसी और चाची की मौत हो गई। वहीं उनके वकील भी गंभीर रूप से घायल हैं। 
इन आशंकाओं पर कि रेप पीड़िता की मौत के बाद केस कमजोर हो सकता है, सीबीआई के एक अधिकारी ने कहा, ‘हमारे पास पर्याप्त सबूत हैं। चार्जशीट में इस बारे में विस्तार से उल्लेख भी है। इसके अलावा मैजिस्ट्रेट के सामने भी पीड़िता का बयान दर्ज कराया जा चुका है। ऐसे में किसी भी स्थिति में यह (पीड़िता का दर्ज बयान) हमारे साक्ष्य और अन्य गवाहों के बयानों की पुष्टि करेगा।’ 
उधर, ताजा सड़क हादसे को लेकर विपक्ष ने साजिश की आशंका जताते हुए सीबीआई जांच की मांग की। योगी सरकार ने मामले को सीबीआई को सौंप दिया है। राज्‍य सरकार ने सोमवार देर रात इस संबंध में एक औपचारिक अनुरोध केंद्र सरकार को भेज दिया है। वहीं, भारी दबाव के बीच प्रशासन ने अब इस मामले में विधायक कुलदीप सिंह सेंगर समेत 10 लोगों के खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास, आपराधिक साजिश जैसी कई धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। इसके अलावा 15 से 20 अज्ञात लोगों के खिलाफ भी मुकदमा केस दर्ज किया गया है। 
इस समय देशभर के लोग ये सवाल उठा रहे हैं कि दो वर्ष पहले गैंगरेप के आरोप में फंसे भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर योगी सरकार और पार्टी आलाकमान इतना मेहरबान क्यों हैं। ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ का नारा देने वाली पार्टी के रहनुमा इस मामले में चुप्पी साधे क्यों बैठे हुए हैं। क्या गैंगरेप पीड़िता किसी की बेटी नहीं है। आरोपी विधायक की शह पर पीड़िता के पिता को थाने में पुलिस वालों ने पीट—पीटकर मौत के घाट उतार दिया और अभी तक उसका ट्रायल ही शुरू नहीं किया गया है। इससे योगी सरकार और भाजपा नेतृत्व की नीयत संदेह के घेरे में आ गई है। 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here