आधे वोटरों के दर तक जाने में ही हांफे ‘नेताजी’

आसान नहीं पहाड़ की डगर

  • नैनीताल और हरिद्वार के अलावा अन्य संसदीय सीटें पर्वतीय भूभाग में विकट भौगोलिक परिस्थितियों के चलते आसान नहीं गांव-गांव तक पहुंच पाना
  • दुर्गम क्षेत्रों और दूरदराज के गांवों में प्रचार के लिए गए प्रत्याशी और समर्थकों ने आखिरकार पकड़ी वापसी की राह

देहरादून। पहाड़ में एक पुरानी कहावत—‘कख रैगी नीति कख रैगी माणा, श्याम सिंह पटवारी ने कख-कख जाणा’(कहां रह गया नीति और कहां माणा, श्याम सिंह पटवारी ने कहां-कहां जाना) चुनाव प्रचार में जुटे प्रत्याशियों और उनके समर्थकों पर सही साबित हो रही है। यह बात उस जमाने की है जब नीति व माणा एक ही पटवारी के अंतर्गत हुआ करते थे। इतने बड़े इलाके का दारोमदार एक ही पटवारी श्याम सिंह के पास था। नीति से माणा पहुंचने में पटवारी जी को हफ्ताभर लग जाता था। 
ठीक ऐसी ही स्थिति बनी हुई है लोकसभा चुनाव में भाग्य आजमाने के लिए मैदान में उतरे प्रत्याशियों की। प्रदेश की सभी पांच सीटों पर स्थिति कमोबेश एक जैसी ही है। नेताजी अपने-अपने लोकसभा क्षेत्रों में आधे वोटरों तक पहुंचने में हांफने लगे हैं। अगले दो दिन बाद यानी 11 अप्रैल को मतदान होना है। ऐसे में चुनाव प्रचार में जुटे प्रत्याशियों का इन छूटे हुए वोटरों तक पहुंच पाना संभव नहीं है। बताया जा रहा है कि जो प्रत्याशी व प्रत्याशियों के समर्थक प्रचार के लिए दूर-दराज के क्षेत्रों में गये हुए हैं उन्होंने भी अब वापसी की राह पकड़ ली है। अन्य राज्यों की अपेक्षा उत्तराखंड की भौगोलिक परिस्थितियां अलग तरह की हैं। मैदानी जिलों को छोड़कर अन्य पर्वतीय जिलों में हालात विकट हैं। पहाड़ में तो स्थिति यहां तक विषम बनी हुई हैं कि एक विधानसभा क्षेत्र का ही भ्रमण करने में कई दिन लग जाते हैं। ऐसे में अनुमान ही लगाया जा सकता है कि 14-14 विस क्षेत्रों वाले लोकसभा सीट में वोटरों के दर तक पहुंचने में नेताओं को किस हद तक पापड़ बेलने पड़ रहे हैं। 
हरिद्वार व नैनीताल संसदीय क्षेत्र को छोड़कर अन्य तीन संसदीय क्षेत्रों का अधिकांश हिस्सा पर्वतीय भूभाग में हैं। पौड़ी लोकसभा सीट क्षेत्र में चमोली, रुद्रप्रयाग व पौड़ी जिला शामिल है। टिहरी जिले का आंशिक हिस्सा भी इस सीट में शामिल है। यहां से चुनाव मैदान में खड़े नेताजी को नरेन्द्रनगर, यमकेश्वर से लेकर रामनगर, थराली, देवाल, नारायणबगड़, घाट, गोपेश्वर से बदरीनाथ तक की दौड़ लगानी पड़ रही है। चमोली जिला 7520 वर्ग किमी में, रुद्रप्रयाग 2440 वर्ग किमी में और पौड़ी 5400 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैला हुआ है। ऐसे में गांव-गांव के वोटर तक नेताजी की पहुंच इतने बड़े क्षेत्र में इतनी आसान नहीं है। टिहरी लोकसभा सीट भी अधिकांश पर्वतीय भूभाग में है। इसमें देहरादून, टिहरी व उत्तरकाशी जिला शामिल है। देहरादून जिले में टिहरी लोकसभा क्षेत्र में आने वाले अन्य आठ विधानसभा क्षेत्र पर्वतीय भूभाग में हैं। टिहरी जनपद 4080 वर्ग किमी में और उत्तरकाशी जिला 8016 वर्ग किमी में क्षेत्रफल में फैला हुआ है। वहीं 3088 वर्ग किमी में विस्तारित देहरादून जिले का आधे से अधिक हिस्सा भी इस सीट में शामिल है। 
ऐसे में देहरादून के राजपुर, रायपुर व कैंट से लेकर विकासनगर, चकराता, पुरोला, घनशाली व यमुनोत्री-गंगोत्री तक नेताजी को वोटरों के दर तक पहुंचने में महीनों लग सकते हैं। शायद यही वजह है कि नेताजी भी हवा-हवाई दौरे कर अब वापसी की राह पर हैं। अल्मोड़ा लोकसभा क्षेत्र में चाल जिलों पिथौरागढ़, चंपावत, बागेश्वर व अल्मोड़ा की 14 विस सीटें हैं। सभी विस क्षेत्र पूरी तरह पर्वतीय भूभाग में हैं। अगर सभी चार जिलों के क्षेत्रफल को जोड़ दिया जाए तो इस लोस सीट का आकार 1500 वर्ग किमी से ज्यादा बैठता है। यानी सांसद बनने के लिए सियासी मैदान में भाग्य आजमाने के लिए खड़े नेताजी को अल्मोड़ा से लेकर धारचूला, लोहाघाट, जागेश्वर, बागेश्वर व कपकोट तक की खाक छाननी पड़ रही है। वह भी अब तक आधे ही क्षेत्र में जा पाये हैं। 
नैनीताल व हरिद्वार लोकसभा सीट की भौगोलिक परिस्थिति कुछ ठीक जरूर है, लेकिन इलाका इतना वृहद कि मैदान में खड़े प्रत्याशियों की पहुंच अब तक 50 फीसद वोटरों तक भी नहीं हो सकी है। नैनीताल सीट पर खड़े प्रत्याशियों को हल्द्वानी, नैनीताल, लालकुंआ, भीमताल, किच्छा, रुद्रपुर, गदरपुर, काशीपुर व सितारगंज तक की दौड़ लगानी पड़ रही है। वहीं हरिद्वार लोकसभा सीट पर भाग्य आजमा रहे प्रत्याशियों को भी देहरादून की धर्मपुर व डोईवाला विस सीट से लेकर ऋषिकेश, हरिद्वार, भगवानपुर, रुड़की से लेकर पिरान कलियर तक की दौड़ लगाने को मजबूर होना पड़ रहा है। कई विस क्षेत्रों में रहने वाले मतदाता अब भी प्रत्याशियों की पहुंच से दूर हैं और सबसे बड़ी बात यह है कि ऐसे वोटरों के मूड के बारे में कोई अनुमान लगाना भी मुश्किल ही है कि वे किस प्रत्याशी की किस्मत का ताला खोलेंगे?

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