बीसीसीआई में चलेगी ‘दादागीरी’, गांगुली बने अध्यक्ष

पूर्व कप्तान बोले

  • भारतीय क्रिकेट टीम का कप्तान होने से बढ़कर कुछ नहीं
  • ऐसे वक्त में पद संभाल रहा हूं, जब खराब है बीसीसीआई की छवि
  • बतौर बीसीसीआई चीफ फर्स्ट क्लास क्रिकेटरों की देखभाल प्राथमिकता
  • भाजपा से जुड़ने की खबरों को गांगुली ने बताया अफवाह

मुंबई। पूर्व कप्तान सौरभ गांगुली अब बीसीसीआई के नए बॉस हैं। एक खास इंटरव्यू में उन्होंने कहा, मैं ऐसे वक्त में पद संभाल रहा हूं जब बोर्ड की छवि धूमिल है। बीसीसीआई के नए चीफ ने प्रथम श्रेणी क्रिकेटरों का खास ध्यान रखने को अपनी प्राथमिकता बताया। क्या यह कप्तानी से अलग होगा? यह पूछने पर गांगुली ने कहा, ‘भारतीय टीम का कप्तान होने से बढ़कर कुछ नहीं।’
बीसीसीआई के अगले अध्यक्ष सौरभ गांगुली ने अपनी नई जिम्मेदारी को बहुत चुनौतीपूर्ण मानते हुए कहा कि यह उनके लिए बड़ा मौका है। यह कुछ अच्छा करने का सुनहरा मौका है क्योंकि ऐसे समय में बोर्ड की कमान संभाल रहा हूं जब उसकी छवि काफी खराब हो चुकी है। गांगुली ने अध्यक्ष पद की होड़ में बृजेश पटेल को पछाड़ दिया है और अब इस पद के लिए अकेले उम्मीदवार हैं।
मीडिया से विशेष बातचीत में उन्होंने बीसीसीआई अध्यक्ष पद की चुनौतियां और भविष्य पर अपनी सोच बताई। पूर्व कप्तान ने कहा,‘आपको दोपहर तीन बजे तक इंतजार करना होगा। निश्चित तौर पर यह बहुत अच्छा अहसास है क्योंकि मैंने देश के लिए खेला है और कप्तान रहा हूं।’ बतौर बीसीसीआई अध्यक्ष चुनौतियों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा,‘मैं ऐसे समय में कमान संभालने जा रहा हूं जब पिछले तीन साल से बोर्ड की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। इसकी छवि बहुत खराब हुई है। मेरे लिए यह कुछ अच्छा करने का सुनहरा मौका है।’
घरेलू क्रिकेटरों की सही ट्रेनिंग पर जोर देते हुए गांगुली ने कहा कि उनकी प्राथमिकता प्रथम श्रेणी क्रिकेटरों की देखभाल होगी। पूर्व कप्तान और अब खेल प्रशासक का इरादा भारतीय क्रिकेट के सभी पक्षों से मिलने का और सारे काम करने का है, जो पिछले 33 महीने में प्रशासकों की समिति नहीं कर सकी। उन्होंने अपनी योजना स्पष्ट करते हुए कहा,‘पहले मैं सभी से बात करूंगा और फिर फैसला लूंगा। मेरी प्राथमिकता प्रथम श्रेणी क्रिकेटरों की देखभाल करना होगा। मैं तीन साल से सीओए से भी यही कहता आया हूं, लेकिन उन्होंने नहीं सुनी। सबसे पहले मैं प्रथम श्रेणी क्रिकेटरों की आर्थिक स्थिति दुरुस्त करूंगा।’
कूलिंग ऑफ अवधि के कारण उन्हें जुलाई में पद छोड़ना होगा। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 18 हजार से अधिक रन बना चुके पूर्व कप्तान ने कहा कि निर्विरोध चुना जाना ही बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। कोलकाता के महाराज नाम से लोकप्रिय इस दिग्गज खिलाड़ी ने कहा,‘यह विश्व क्रिकेट का सबसे बड़ा संगठन है और जिम्मेदारी तो है ही, चाहे आप निर्विरोध चुने गए हों या नहीं। भारत क्रिकेट की महाशक्ति है तो यह चुनौती भी बड़ी होगी।’
यह पूछने पर कि कार्यकाल सिर्फ नौ महीने का होने का क्या उन्हें अफसोस है। उन्होंने कहा, ‘हां, यही नियम है और हमें इसका पालन करना है। जब मैं आया तो मुझे पता नहीं था कि मैं अध्यक्ष बनूंगा। पत्रकारों ने मुझसे पूछा तो मैने बृजेश का नाम लिया। मुझे बाद में पता चला कि हालात बदल गए हैं। मैने कभी बीसीसीआई चुनाव नहीं लड़ा तो मुझे नहीं पता कि बोर्ड रूम राजनीति क्या होती है।’
बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष जगमोहन डालमिया का जिक्र आने पर नए अध्यक्ष भावुक हो गए। उन्होंने कहा,‘मैंने कभी सोचा नहीं था कि इस पद पर मैं भी काबिज हो सकूंगा। वह मेरे लिए पितातुल्य थे। बीसीसीआई के कई बेहतरीन अध्यक्ष हुए हैं- एन. श्रीनिवासन, अनुराग जिन्होंने अच्छा काम किया।’

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