मोदी सरकार के सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को ‘सुप्रीम’ झटका!

  • केंद्र सरकार के तरीके को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराजगी
  • कहा- पेंडिंग अर्जियों पर फैसले तक न निर्माण होगा, न पेड़ काटे जाएंगे

नई दिल्ली। नए संसद भवन के सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तरीके पर आज सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई है। इस मामले में दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट नेकहा कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत कोई कंस्ट्रक्शन, तोड़फोड़ या पेड़ काटने का काम तब तक नहीं होना चाहिए, जब तक कि पेंडिंग अर्जियों पर आखिरी फैसला न सुना दिया जाए। अदालत ने केंद्र ने सिर्फ पांच मिनट में जवाब देने को कहा। इस पर सरकार की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को भरोसा दिया कि कंस्ट्रक्शन या तोड़-फोड़ नहीं की जाएगी। हालांकि कोर्ट ने शिलान्यास पर रोक नहीं लगाई है।
याचिकाकर्ताओं के दावे : प्रोजेक्ट के लिए पर्यावरण मंजूरी गलत तरीके से दी गई। कंसल्टेंट चुनने में भेदभाव किया गया। जमीन के इस्तेमाल में बदलाव की मंजूरी गलत तरीके से दी गई।
10 दिसंबर को मोदी करेंगे सेंट्रल विस्टा का शिलान्यास : लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने शनिवार को ही यह जानकारी दी थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10 दिसंबर को दोपहर एक बजे दिल्ली में संसद भवन की नई बिल्डिंग का भूमि पूजन करेंगे। बिड़ला ने कहा था कि 2022 में देश की आजादी के 75 साल पूरे होने पर हम नए संसद भवन में दोनों सदनों के सेशन की शुरुआत करेंगे। उन्होंने बताया कि नए भवन में लोकसभा सांसदों के लिए लगभग 888 और राज्यसभा सांसदों के लिए 326 से ज्यादा सीटें होंगी। पार्लियामेंट हॉल में 1,224 सदस्य एक साथ बैठ सकेंगे।
सेंट्रल विस्टा का मास्टर प्लान : मोदी सरकार ने राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट के बीच नई इमारतें बनाने के लिए सेंट्रल विस्टा का मास्टर प्लान तैयार किया है। इसी इलाके में सेंट्रल सेक्रेटेरिएट के लिए 10 बिल्डिंग बनाई जाएंगी। राष्ट्रपति भवन, मौजूदा संसद भवन, इंडिया गेट और राष्ट्रीय अभिलेखागार की इमारत को वैसा ही रखा जाएगा।

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