अब बहुगुणा पुत्र चले मनीष की राह!

भाजपा को एक और झटका

  • टिहरी लोकसभा सीट को लेकर विजय बहुगुणा के बड़े पुत्र साकेत के कांग्रेस का दामन थामने की अटकलें
  • एक समय भाजपा के लिए जरूरी रहे जनरल खंडूड़ी के पुत्र के कांग्रेस में शामिल होने से हुई भाजपा की किरकिरी

देहरादून। आम चुनाव के गर्म सियासी माहौल में संभव है कि यह केवल एक कोरी अफवाह हो, लेकिन सियासत में कुछ भी असंभव नहीं। यहां की सियासी फिजाओं में अब यह चर्चा जोरों से तैर रही है कि क्या गढ़वाल लोकसभा सीट के बाद टिहरी लोकसभा सीट से भाजपा को एक और सियासी झटका लगने वाला है? प्रदेश की सियासी हवाओं में जिस तरह की अटकलों की बाजार गर्म है, उससे तो यही लगता है।
सियासी हलकों में चर्चाएं हैं कि कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री व वरिष्ठ भाजपा नेता विजय बहुगुणा के पुत्र साकेत भी अब कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं। लेकिन अगर सचमुच ऐसा हुआ तो भाजपा के लिए यह दूसरा बड़ा झटका होगा। साकेत बहुगुणा वर्ष 2012 के लोकसभा उपचुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी थे और वह भाजपा की माला राज्य लक्ष्मी शाह से हार गये थे। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने फिर से कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़ा लेकिन माला राज्य लक्ष्मी शाह से दोबारा हार गए।
यह बात और है कि वर्ष 2007 के उपचुनाव और वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में उनके पिता विजय बहुगुणा ने कांग्रेस के टिकट से टिहरी का चुनाव जीता था लेकिन वर्ष 2016 में हरीश रावत सरकार के खिलाफ कांग्रेस की बगावत के बाद पिता और पुत्र दोनों भाजपा में शामिल हो गए।
कहा जा रहा है कि संभव है कि विजय बहुगुणा इस मामले में पूर्व सीएम भुवन चंद्र खंडूड़ी जैसा ही रुख अपना लें और कहें कि उनका पुत्र फैसला लेने के लिए स्वतंत्र है और वह तो भाजपा में ही रहेंगे क्यूंकि उनके दुसरे पुत्र सौरभ बहुगुणा भाजपा से विधायक हैं और उनकी बहन रीता बहुगुणा जोशी उत्तरप्रदेश सरकार में भाजपा की कैबिनेट मंत्री हैं।
बता दें कि गत रविवार को ही एक समय भाजपा के लिए जरूरी रहे भुवन चंद्र खंडूड़ी के पुत्र मनीष खंडूड़ी कांग्रेस में शामिल हुए जिससे भाजपा की काफी किरकिरी हुई। बताया जाता है कि जब विजय बहुगुणा के नेतृत्व में कांग्रेस विधायक दल में बगावत हुई थी तो भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने विजय बहुगुणा को राज्यसभा भेजने का वादा किया था लेकिन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनिल बलूनी की जुगलबंदी ने उनका रास्ता रोक लिया और अनिल बलूनी राज्यसभा पहुंच गए।
सूत्रों की मानें तो विजय बहुगुणा इस स्थिति से नाराज हैं और अब बेटे को भाजपा से टिहरी का टिकट दिलाना चाहते हैं लेकिन संकेत मिल रहे हैं कि भाजपा टिहरी से माला राज्य लक्ष्मी शाह को ही लड़ाना चाहती है। इन हालात में बहुत संभव है कि नई सियासी खिचड़ी पकनी शुरू हो गई हो वैसे भी कांग्रेस भाजपा को मनोवैज्ञानिक युद्ध में हताश करना चाहती है। ऐसे में इस नई राजनीतिक शतरंज की चाल को नकारा भी नहीं किया जा सकता।

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