कोरोना संकट : सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार को लगाई फटकार!

सुनवाई जारी

  • नोटिस भेजकर मोदी सरकार से चार मुद्दों पर नेशनल प्लान मांगा
  • पूछा- कोरोना के खिलाफ लड़ाई के लिए अब तक क्या तैयारी की?

नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों और बिगड़ते हालात को लेकर अब सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए मोदी सरकार को फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने देशभर के अस्पतालों में ऑक्सीजन, वेंटिलेटर, बेड और जरूरी दवाओं की किल्लत को देखते हुए स्वत: संज्ञान लिया है और मोदी सरकार से 4 मुद्दों पर नेशनल प्लान मांगा है। इस मामले में अब कल 23 अप्रैल को भी सुनवाई होगी।
आज गुरुवार को चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अगुआई वाली तीन जजों की बेंच ने कहा, ‘हम देख रहे हैं कि इस वक्त कोरोना और ऑक्सीजन जैसे मुद्दों पर छह अलग-अलग हाईकोर्ट यानी दिल्ली, बॉम्बे, सिक्किम, मध्य प्रदेश, कलकत्ता और इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है। इससे कन्फ्यूजन पैदा हो सकता है। बेंच ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वे इस मुद्दे पर नेशनल प्लान बताएं। हाईकोर्टों को भी इस बारे में बताएं।’
लॉकडाउन का अधिकार राज्यों के पास रहे : चीफ जस्टिस ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट 4 मुद्दों पर गौर कर रही है- ऑक्सीजन की सप्लाई, जरूरी दवाओं की सप्लाई, वैक्सीनेशन का तरीका, लॉकडाउन लगाने का राज्यों का अधिकार। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम चाहते हैं कि लॉकडाउन का अधिकार राज्यों के पास रहे, यह ज्यूडिशियल फैसला नहीं होना चाहिए। फिर भी हम लॉकडाउन लगाने के हाईकोर्ट के न्यायिक अधिकारों पर गौर करेंगे। इससे पहले 5 राज्यों के हाईकोर्ट पहले ही मोदी सरकार को फटकार लगा चुके हैं।
19 और 22 अप्रैल : बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा, हम इस बुरे समाज का हिस्सा होने पर शर्मिंदा हैं। महाराष्ट्र में रेमडेसिविर की कमी पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने नोटिस लिया है। कोर्ट की नागपुर बेंच ने सोमवार को केंद्र सरकार से सवाल किया कि राज्यों को यह इंजेक्शन किस आधार पर बांटा जा रहा है? कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र में देश के 40% कोरोना मरीज हैं तो उन्हें रेमडेसिविर भी उसी हिसाब से दिए जाने चाहिए। हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को भी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि जिलों को मनमाने तरीके से रेमडेसिविर का बंटवारा किया जा रहा है। महाराष्ट्र सरकार ने 13 अप्रैल और 18 अप्रैल को नागपुर में रेमडेसिविर की एक भी वायल (शीशी) क्यों नहीं भेजी? अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिए कि सोमवार रात 8 बजे तक 10 हजार डोज नागपुर भेजी जाए। कोर्ट का आदेश पालन न होने पर 22 अप्रैल यानी आज एक बार फिर से हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को लताड़ लगाई। हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने सुनवाई के वक्त यह भी कहा कि वह इस ‘दुष्ट और बुरे’ समाज का हिस्सा होने पर शर्मिंदा है। हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि वह महाराष्ट्र में कोरोना वायरस के मरीजों के लिए कुछ नहीं कर पा रहा है।
19 अप्रैल : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी के 5 शहरों में लॉकडाउन का आदेश दिया।  उत्तर प्रदेश कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई। इस दौरान जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजीत कुमार की डिवीजन बेंच ने प्रदेश के सबसे ज्यादा कोविड-19 प्रभावित पांच शहर प्रयागराज, लखनऊ, वाराणसी, कानपुर नगर और गोरखपुर में आगामी 26 अप्रैल तक लॉकडाउन लगाने का आदेश दिया था, लेकिन सरकार ने इसे मानने से इंकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले को चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी।

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