स्कूल फीस : सुप्रीम कोर्ट ने लगाई उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश पर मुहर

अभिभावकों को मिली ‘सुप्रीम’ राहत

  • 26 लाख से अधिक स्कूली बच्चों के अभिभावकों से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
  • ‘कोरोना काल में अभिभावकों से फीस के लिए दबाव नहीं डाल सकते’ फैसले के खिलाफ याचिका खारिज 

नई दिल्ली/देहरादून। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के उस आदेश में दखल देने से इनकार कर दिया है, जिसमें कहा गया था कि कोरोना काल में निजी स्कूल अभिभावकों से फीस के लिए दबाव नहीं डाल सकते। चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। 
गौरतलब है कि कुछ स्कूल और उनकी एसोसिएशनों ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर की थी। स्कूलों का कहना था कि ऑनलाइन क्लास दे रहे हैं, लेकिन 10 फीसद छात्र ही फीस दे रहे हैं। उनका कहना था कि नियमित रूप से ऑनलाइन क्लास ले रहे हैं, लिहाजा अभिभावकों को फीस देने का निर्देश दिया जाना चाहिए।जबकि उत्तराखंड हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि शिक्षा सचिव के 22 जून के आदेशानुसार स्कूल प्रबंधन अभिभावकों पर फीस के लिए दबाव नहीं बनाएगा। सिर्फ वही स्कूल फीस ले सकते हैं जो छात्रों को ऑनलाइन पढ़ा रहे हैं, लेकिन फीस के लिए दबाव नहीं बनाया जा सकता।
हाईकोर्ट के याचिकाकर्ता कुंवर जपिंदर सिंह ने बताया कि यह 26 लाख से अधिक अभिभावकों से जुड़ा मामला है। सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला दिया है। हम शुरुआत से ही यह मांग कर रहे थे कि प्राइवेट स्कूल अभिभावकों को राहत दें। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल होने के बाद प्राइवेट स्कूलों को अभिभावकों को राहत देनी पड़ेगी। 

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