कोरोना की दूसरी लहर पर मोदी सरकार को ‘सुप्रीम’ हिदायतें!

सुप्रीम कोर्ट ने दिखाई राह

  • कहा- देशभर में लॉकडाउन और वैक्सीन पॉलिसी पर फिर विचार करे केंद्र
  • लोकल आईडी के नाम पर मरीजों को भर्ती करने से इनकार न करें अस्पताल

नई दिल्ली। देशभर में कोरोना की दूसरी लहर रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार को वैक्सीन पॉलिसी पर दोबारा विचार के लिए कहा है। केंद्र सरकार अभी खुद 50% वैक्सीन खरीदती है, बाकी 50% वैक्सीन को निर्माता कंपनी सीधे राज्यों और निजी संस्थानों को बेच सकती है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस एस रवींद्र भट्ट ने कहा- ये संविधान में दिए गए जनता के जीने के अधिकार, जिसमें स्वास्थ्य का अधिकार जुड़ा है, उसे साफ तौर पर नुकसान पहुंचा रहा है।
इन 3 मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट ने दीं हिदायतें :

1. लॉकडाउन : केंद्र और राज्य कोरोना संक्रमण रोकने के लिए लॉकडाउन लगाने पर विचार करें। अदालत कमजोर तबके पर पड़ने वाले लॉकडाउन के सामाजिक-आर्थिक नतीजों से वाकिफ है। ऐसे में अगर संक्रमण रोकने के लिए लॉकडाउन लागू किया जाता है तो इससे पहले इस तबके की जरूरतों को पूरा करने का ध्यान रखा जाए।

2. मरीजों का इलाज : अस्पताल लोकल आईडी प्रूफ के नाम पर मरीज को भर्ती करने या जरूरी दवाएं देने से इनकार न करें। केंद्र अस्पतालों में मरीजों को भर्ती कराने के मुद्दे पर दो हफ्ते में नेशनल पॉलिसी बनाए। इस पॉलिसी को सभी राज्यों को मानना होगा।

3. वैक्सीनेशन पॉलिसी : केंद्र वैक्सीन निर्माताओं से दामों पर मोलभाव करे। वह सारी वैक्सीन खुद खरीदे और इसके बाद राज्यों के लिए इसका अलॉटमेंट और डिस्ट्रीब्यूशन किया जाए। केंद्र राज्यों को वैक्सीन निर्माताओं के साथ दाम पर बातचीत के लिए कह रहा है। केंद्र का तर्क है कि इससे कम्पटीशन बढ़ेगा और निजी मैन्युफैक्चरर्स मार्केट में आएंगे। इससे वैक्सीन का प्रोडक्शन भी बढ़ेगा, लेकिन ऐसा करना 18-44 साल तक के आयु वर्ग के लिए नुकसान देह होगा। इस आयुवर्ग में बहुजन, हाशिये पर रह रहे और कमजोर तबके के लोग भी हैं। ऐसे लोगों के लिए वैक्सीन का दाम चुकाना संभव नहीं होगा।
इससे 2 दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि निजी कंपनियां डिस्ट्रिब्यूशन तय नहीं करेंगी। ऑक्सीजन और बेड की कमी को लेकर बीते शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा था- निजी मैन्युफैक्चरर्स ये तय नहीं करेंगे कि किसे, कितनी वैक्सीन दी जाए। उन्हें इसकी आजादी न दी जाए। केंद्र खुद ही क्यों नहीं सारी वैक्सीन खरीद लेता, क्योंकि राज्यों को समान रूप से वैक्सीन देने के लिए वो बेहतर पोजिशन पर है।

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