यौन उत्पीड़न केस : सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व जज से कहा- आप बर्फ पर चल रहे हैं…

दिखाया ‘सुप्रीम’ आईना

  • जूनियर जज ने पूर्व जिला जज पर लगाया है यौन प्रताड़ना का आरोप
  • पूर्व जिला जज ने जांच कार्यवाही के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में लगाई थी गुहार
  • देश की सबसे बड़ी अदालत ने अर्जी पर सुनवाई से इनकार कर दी नसीहत

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आज शुक्रवार को यौन उत्पीड़न की शिकायत पर सुनवाई करते हुए आरोपी पूर्व जज को ‘बर्फ की रपटीली’ सतह पर न चलने की नसीहत दी। कोर्ट ने कहा कि यौन प्रताड़ना को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। गौरतलब है कि जूनियर जज की सेक्सुअल हरासमेंट की शिकायत पर पूर्व जिला जज के खिलाफ जांच कार्यवाही चल रही है और इस कार्यवाही के खिलाफ पूर्व जिला जज ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सुप्रीम कोर्ट ने अर्जी पर सुनवाई से इनकार करते हुए उक्त टिप्पणी की।
सुप्रीम कोर्ट में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ओर से पेश वकील ने कहा था कि पूर्व जिला जज ने जो मेसेज अपने जूनियर लेडी ऑफिसर को भेजा था वह बेहद आपत्तिजनक था। महिला जज की शिकायत पर हाई कोर्ट द्वारा कार्रवाई शुरू की गई है। हाई कोर्ट द्वारा सेक्सुअल प्रताड़ना की शिकायत के मामले में पूर्व जिला जज के खिलाफ अनुशासनात्क कार्यवाही की जा रही है।
आप बर्फ की चादर पर फिसलन वाली जगह पर चलने की हिमाकत कर रहे हैं। आप कभी भी गिर सकते हैं। आप जांच कमेटी के सामने पेश हों। वहां आपको अपना पक्ष रखने का मौका मिलेगा
‘…आप बर्फ की चादर पर चल रहे हैं’ : सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के पूर्व जिला जज से कहा कि वह अर्जी वापस लें। शीर्ष अदालत ने कहा कि इस तरह की हरकत को नजरअंदाज नहीं कर सकते। अदालत ने याची से कहा कि आप बर्फ की चादर पर फिसलन वाली जगह पर चलने की हिमाकत कर रहे हैं आप कभी भी गिर सकते हैं। आप जांच कमिटी के सामने पेश हों वहां आपको अपना पक्ष रखने का मौका मिलेगा।
सुप्रीम कोर्ट के तेवर देख वापस ले ली अर्जी : शीर्ष अदालत का रुख देखते हुए याची के वकील ने अर्जी वापस लेने की इजाजत मांगी। सुप्रीम कोर्ट ने अर्जी वापस लेने की इजाजत देते हुए कहा कि याचिकाकर्ता को इस बात की लिबर्टी है कि वह जांच कमिटी के सामने पेश सकते हैं। पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एक सीनियर जूडिशल ऑफिसर का कंडक्ट ज्यादा उचित होना चाहिए और जब आप लेडी ऑफिसर को डील कर रहे हैं तो आपका कंडक्ट बेहतर होना चाहिए। चीफ जस्टिस ने कहा कि जूनियर ऑफिसर को फ्लर्ट करना स्वीकार्य नहीं है।
‘ऐसे मेसेज कतई स्वीकार नहीं किए जा सकते’ : सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एक जज अगर जूनियर लेडी ऑफिसर को आपत्तिजनक मेसेज भेजता है और फ्लर्ट करने वाला मेसेज भेजता है तो ये स्वीकार नहीं किया जा सकता है। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट द्वारा इस मामले में जज के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर रखी है इसी कार्रवाई के खिलाफ पूर्व जिला जज ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई से साफ इनकार करते हुए उन्हें नसीहत दी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here