शीर्ष अदालत की खरी-खरी
- दिल्ली के 5-7 स्टार होटलों में बैठकर किसानों पर टिप्पणी करना बहुत आसान
- लेकिन कोई यह नहीं समझना चाहता कि किसानों को क्यों जलानी पड़ती है पराली
- टीवी चैनलों पर हो रही बहसबाजी से सबसे ज्यादा प्रदूषण, सबका अपना-अपना एजेंडा
नई दिल्ली। आज बुधवार को दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 379 है, जो बहुत खराब कैटेगरी में आता है। सुप्रीम कोर्ट प्रदूषण के मसले पर केंद्र और दिल्ली सरकार से एक्शन प्लान मांग चुका है। आज बुधवार को फिर इस मामले में कोर्ट में सुनवाई हुई, जिसमें कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकारों से कहा कि वे किसानों के पराली जलाने पर विवाद करना बंद करें। मामले में अगली सुनवाई 24 नवंबर को होगी।
केंद्र और राज्य सरकारों के बीच पराली जलने का लेकर आरोप-प्रत्यारोप पर मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि सरकार अगर पराली जलाने को लेकर किसानों से बात करना चाहती है तो बेशक करे, लेकिन हम किसानों पर कोई जुर्माना नहीं लगाना चाहते। दिल्ली के 5-7 स्टार होटलों में बैठकर किसानों पर टिप्पणी करना बहुत आसान है, लेकिन कोई यह नहीं समझना चाहता कि किसानों को पराली क्यों जलानी पड़ती है।
उन्होंने कहा कि किसी भी स्रोत से ज्यादा प्रदूषण टीवी चैनलों पर होने वाली बहस-बाजी से फैलता है। वहां हर किसी का कोई न कोई एजेंडा है। हम यहां उपाय ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मेरे पास एक रिपोर्ट है, जिसमें लिखा है कि प्रदूषण में पटाखों का कोई योगदान नहीं है, तो क्या इस रिपोर्ट को मान लें। ऐसी तमाम रिपोर्ट आती हैं कि किसकी गलती है और किसकी नहीं, लेकिन ये वक्त यह सब देखने का नहीं है। यह वक्त है प्रदूषण की समस्या को मिलकर दूर करने का।इस मामले में केंद्र सरकार ने आज सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल करके बताया कि वे केंद्रीय कर्मचारियों से वर्क फ्रॉम होम नहीं करा सकते। केंद्र सरकार जितने वाहनों का इस्तेमाल करती है, वह दिल्ली-एनसीआर के कुल वाहनों का एक बहुत छोटा हिस्सा है। इन वाहनों की आवाजाही रोकने से वायु प्रदूषण में कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
गौरतलब है कि दिल्ली-एनसीआर में अगले कुछ दिनों तक एयर क्वालिटी खराब रहने वाली है। इसके गंभीर होने की भी आशंका है। हवा की गुणवत्ता में 21 नवंबर के बाद ही कुछ सुधार होने की उम्मीद है। मंगलवार को भी दिल्ली की एयर क्वालिटी 403 थी, जो कि गंभीर श्रेणी में आती है।