लद्दाख की पहाड़ियों की तुलना में चौगुना तेजी से ऊपर उठी थीं काराकोरम की पहाड़ियां!

देहरादून। लद्दाख की पहाड़ियों की तुलना में काराकोरम की पहाड़ियां चार गुना तेजी से ऊपर उठी थीं। इस बात का खुलासा वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के भू वैज्ञानिकों की टीम के शोध में हुआ है। वैज्ञानिकों ने गलवान और श्योक वैली में स्थित पहाड़ियों का अध्ययन करके यह पता लगाने की कोशिश की कि आखिर काराकोरम और लद्दाख की पहाड़ियों का निर्माण कैसे हुआ? वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के वरिष्ठ भूविज्ञानी डॉ. विकास अदलखा के मुताबिक 16 करोड़ साल पहले काराकोरम और लद्दाख की पहाड़ियों का निर्माण शुरू हुआ।
शोध में पता चलता है कि लद्दाख और काराकोरम की पहाड़ियां लगभग साढ़े आठ करोड़ साल पहले एक-दूसरे के नजदीक आईं, लेकिन काराकोरम की पहाड़ियां लद्दाख की पहाड़ियों की तुलना में चार गुना तेजी से ऊपर उठीं। डेढ़ करोड़ साल पहले काराकोरम की पहाड़ियों के ऊपर उठने की प्रक्रिया में तेजी आयी थी।
वैज्ञानिकों के मुताबिक इंडियन प्लेट के यूरेशियन प्लेट के नीचे आने से स्लैब में कटाव शुरू हो गया। परिणामस्वरूप भूगर्भीय हलचल में तेजी आयी और भूगर्भ में अधिक दबाव के चलते काराकोरम का क्षेत्र तेजी से ऊपर उठ गया। वैज्ञानिकों ने अध्ययन के लिए लद्दाख क्षेत्र में छह से लेकर सात हजार मीटर की ऊंचाई पर पायी जाने वाली ग्रेनाइट के नमूनों को लेकर उसका रासायनिक विश्लेषण किया।
अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों की टीम में वरिष्ठ भू विज्ञानी डॉ. विकास अदलखा, डॉ. कौशिक सेन, डॉ. शैलेंद्र पुंडीर, डॉ. संतोष कुमार, डॉ. सौरभ सिंघल समेत कई वैज्ञानिक शामिल थे। वैज्ञानिकों की ओर से किए गए शोध को दुनिया की प्रतिष्ठित जियोलॉजिकल मैगजीन में प्रकाशित किया गया है। वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के वरिष्ठ भूवैज्ञानिक  डॉ. विकास अदलखा ने बताया कि संस्थान के वैज्ञानिकों की ओर से काराकोरम और लद्दाख की पहाड़ियों का अध्ययन किया गया है। वैज्ञानिक तथ्यों का पता लगाने के लिए गलवान और श्योक वैली में नमूने लिए गए थे। ग्रेनाइट के नमूनों को लेकर उनकी डेटिंग की गई है। इससे कई तथ्य सामने आए हैं।

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