राफेल दस्तावेज सार्वजनिक हुए तो संप्रभुता को खतरा!

  • केंद्र सरकार ने राफेल मसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल नये हलफनामे में किया दावा
  • नये हलफनामे में कहा, केंद्र सरकार अपने पुराने रुख और दलीलों पर ही कायम  
  • राफेल पर पुनर्विचार के लिये सारी याचिकाएं खारिज करने का किया आग्रह

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने राफेल मामले में सुप्रीम कोर्ट में नया हलफनामा दाखिल किया है। इसमें सरकार अपने पुराने रुख और दलीलों पर कायम है। केंद्र सरकार ने हलफनामे में कहा है कि सुरक्षा संबंधी गोपनीय दस्तावेज के सार्वजनिक खुलासे से देश की संप्रभुता और अस्तित्व पर खतरा है। राफेल पर पुनर्विचार याचिकाओं में कोई आधार नहीं है, इसलिए सारी याचिकाएं खारिज की जानी चाहिए।
हलफनामे में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के राफेल सौदे के गोपनीय दस्तावज की जांच से रक्षाबलों की तैनाती, परमाणु प्रतिष्ठानों, आतंकवाद निरोधक उपायों आदि से संबंधित गुप्त सूचनाओं का खुलासा होने की आशंका बढ़ गई है। केंद्र सरकार ने कहा कि 14 दिसंबर, 2018 को राफेल की सरकारी खरीद की जांच की मांग वाली सभी याचिकाओं को खारिज करने का सुप्रीम कोर्ट का फैसला सही था। हलफनामे में सरकार ने कहा कि राफेल पुनर्विचार याचिकाओं के जरिये सौदे की जांच की कोशिश की गई। जबकि मीडिया में छपे तीन लेख लोगों के विचार हैं, न कि सरकार का आखिरी फैसला। ये तीन लेख केंद्र सरकार के पूरे आधिकारिक रुख को प्रदर्शित नहीं करते।
केंद्र सरकार ने कहा कि सीलबंद नोट में सरकार ने कोई गलत जानकारी सुप्रीम कोर्ट को नहीं दी है कैग ने राफेल के मूल्य संबंधी जानकारियों की जांच की है और कहा है कि यह पहले से 2.86 प्रतिशत कम है। हालांकि केंद्र सरकार ने कहा कि शीर्ष न्यायालय जो भी मांगेगा, सरकार राफेल संबंधी दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए तैयार है। 
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने राफेल विमान सौदे में कथित घोटाले की याचिका पर फैसला सुनाते हुए इस प्रक्रिया को सही बताया था। जिसके बाद केंद्र सरकार दावा कर रही थी कि उन्हें इस मसले पर सर्वोच्च अदालत से क्लीन चिट मिली है, लेकिन इसके बाद वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने एक पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी, इसमें एक अखबार द्वारा छापे गए दस्तावेज, सरकार द्वारा अदालत में जमा किए गए गलत कागज़ात का हवाला दिया था। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका को सुनवाई के लिये मंजूर कर लिया था।

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