अनमोल धरोहर हैं नौनिहाल
- कहा, केंद्र और राज्य सरकारों को मां बाप खोने वाले बच्चों की शिक्षा का भी करनी होगी व्यवस्था
- सर्वोच्च न्यायालय ने अनाथ बच्चों की जानकारी नहीं देने पर प. बंगाल सरकार को लगाई फटकार
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों लालन-पालन से लेकर शिक्षा तक की व्यवस्था को लेकर कई बड़े आदेश दिए हैं। देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा कि कोरोना के कारण जिन बच्चों ने अपने माता-पिता या अभिभावक को खो दिया है, उनके पालन-पोषण और पढ़ाई-लिखाई सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सरकारों की है। उसने राज्य सरकारों से यह सुनिश्चित करने को कहा कि तमाम अनाथ हुए बच्चों की पढ़ाई निर्बाध गति से जारी रहे।
अनाथ बच्चों की पढ़ाई और परवरिश सुनिश्चित करे सरकार : सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि इसके लिए जो बच्चा सरकारी या प्राइवेट स्कूल, जहां पर भी पढ़ रहा है, उसकी पढ़ाई वहीं पर जारी रहनी चाहिए। उसने राज्य सरकारों के साथ-साथ केंद्र सरकार को भी ऐसे बच्चों को वित्तीय सहायता देने को कहा है। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि अनाथ हुए सभी बच्चों को तुरंत खाना, दवाई और कपड़े मुहैया कराए जाएं। साथ ही जिन बच्चों के गार्जियन उन्हें रखने में सक्षम नहीं हैं, उन बच्चों को अभी बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) को सौंपा जाए।
30 हजार बच्चों ने कोरोना में खोये गार्जियन : ध्यान रहे कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की रिपोर्ट के मुताबिक देशभर में 30 हजार बच्चों के पैरेंट्स की मौत कोविड-19 महामारी के कारण हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे बच्चों का पता लगाकर लगातार वेबसाइट अपडेट किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बच्चे अनमोल धरोहर हैं, इसलिए किसी भी कारण से उनका भविष्य खराब नहीं होना चाहिए। अदालत ने केंद्र और राज्य सरकारों को इसके लिए स्पष्ट आदेश दिए।
प. बंगाल सरकार को लगाई फटकार : सुप्रीम कोर्ट ने बीते सोमवार की सुनवाई में पश्चिम बंगाल सरकार को जबर्दस्त फटकार लगाई और कहा कि राज्य सरकार अनाथ हुए बच्चों की जानकारी वेबसाइट पर अपलोड नहीं कर रही है जो चिंता का विषय है। उसने कहा कि राज्य सरकार सर्वोच्च अदालत के आदेश का फैसला नहीं समझ पाने का बहाना बना रही है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के प्रतिनिधि से कहा कि सभी राज्यों ने जानकारी मुहैया करा दी है तो फिर सिर्फ प. बंगाल को ही कन्फ्यूजन क्यों हो रहा है। अदालत ने राज्य से अनाथ बच्चों की जानकारी तुरंत वेबसाइट पर अपडेट करने का आदेश दिया था।
पीएम केयर्स फंड से वित्तीय मदद का ऐलान : सुप्रीम कोर्ट ने 28 मई को ही सभी जिला प्रशासन को आदेश दिया था कि वो मार्च 2020 के बाद से अनाथ हुए सभी बच्चों की जानकारी एनसीपीसीआर के ‘बाल स्वराज’ पोर्टल पर डाल दें। इसके बाद अगले दिन 29 मई को प्रधानमंत्री ने ऐसे अनाथ बच्चों के लिए पीएम केयर्स फंड से वित्तीय सहायता देने का ऐलान किया था।