उत्तराखंड : स्टोन क्रशर व स्क्रीनिंग प्लांट को दूरी में मिली इतनी छूट

  • प्रदेश में संचालित हो रहे 250 से अधिक स्क्रीनिंग प्लांट संचालकों को त्रिवेंद्र सरकार ने दी राहत

देहरादून। प्रदेश के मैदानी क्षेत्रों में स्टोन क्रशर व स्क्रीनिंग प्लांट को दूरी के मानकों में छूट दे दी गई है। औद्योगिक विकास (खनन) ने उत्तराखंड स्टोन क्रेशर नीति 2020 जारी कर दी है। नीति में नदी से स्टोन क्रशर की दूरी तीन किमी निर्धारित थी। इससे पुराने स्टोन क्रेशर और स्क्रीनिंग प्लांट के उजड़ने और नए प्लांट लगाने की दिक्कत खड़ी हो गई थी।
त्रिवेंद्र कैबिनेट ने व्यावहारिक दूरी के लिए मंत्रिमंडलीय उपसमिति बनाई थी। उपसमिति के अध्यक्ष सुबोध उनियाल की सिफारिशों पर कैबिनेट ने मुहर लगा दी थी। प्रदेश में पुरानी नीति के तहत संचालित हो रहे स्टोन क्रशर, स्क्रीनिंग प्लांट, मोबाइल स्टोन क्रशर मोबाइल स्क्रीनिंग प्लांट व पलराइजर प्लांट, हाट मिक्स प्लांट पर दूरी के पुरानी शर्ते ही लागू होंगे। बाकी सभी शर्तें नई नीति के तहत प्रभावी रहेंगी।
पिछले दिनों प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में नई नीति पर मुहर लगी थी। इस निर्णय से प्रदेश में संचालित हो रहे 250 से अधिक स्क्रीनिंग प्लांट संचालकों को राहत मिलेगी। नई नीति के तहत वे दूरी के मानकों को पूरा नहीं कर रहे थे। मंगलवार को संयुक्त सचिव एनएस डुंगरियाल ने नई नीति का शासनादेश जारी कर दिया। जिसके बाद अब स्टोन क्रेशर और स्क्रीनिंग प्लांट की दूरी सरकारी वन से 100 मी., हरिद्वार गंगा नदी के किनारे 1.50 किमी, अन्य मैदानी क्षेत्रों की नदी किनारे 1.00 किमी, मैदान में बरसाती नदी नाला, गधेरा किनारे 500 मी, धार्मिक स्थल, स्कूल शिक्षण संस्थान, अस्पताल नर्सिंग होम और आबादी  से 300 मी., पर्वतीय क्षेत्र में 250 मीटर होगी।

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