कर्ज की किस्त देने में मिली और तीन माह की छूट

आरबीआई के फैसले

  • अगस्त तक बढ़ाई छूट और रेपो रेट में की 0.40% की कमी, सस्ते होंगे होम-ऑटो लोन
  • आरबीआई गवर्नर ने कहा, लॉकडाउन से आर्थिक गतिविधियों पर पड़ा बुरा असर
  • कोरोना के असर के चलते वर्ष 2020-21 में निगेटिव रह सकती है जीडीपी ग्रोथ

नई दिल्ली : आज शुक्रवार को आम आदमी और कारोबारियों पर लॉकडाउन के असर को देखते हुए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने कई अहम घोषणाएं कीं।आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि लोन की किश्त चुकाने में 3 महीने की जो छूट मार्च में दी गई थी, उसे अगले 3 महीने और बढ़ा रहे हैं। होम लोन, ऑटो लोन सस्ते करने के लिए प्रमुख ब्याज दर रेपो रेट 0.40% कम किया गया है।

आरबीआई के फैसले कुछ इस प्रकार हैं…

1. जिन्होंने कर्ज ले रखा है, उन्हें किस्त चुकाने में छूट दी : आरबीआई ने मार्च माह में ऐलान किया था कि लोन की किश्त चुकाने में 3 महीने की छूट दी जाएगी। अब इसे 3 महीने और बढ़ा दिया है। यानी बैंकों को अगस्त तक लोन की ईएमआई वसूलने से रोक दिया है। ग्राहक खुद चाहें तो भुगतान कर सकते हैं, बैंक दबाव नहीं डालेंगे। अगले 3 महीने तक ऐसे किसी भी व्यक्ति के खाते से किश्त नहीं कटेगी, जिन्होंने कर्ज ले रखा है। अगस्त तक किश्त नहीं भरेंगे तो इसे डिफॉल्ट नहीं माना जाएगा। हालांकि इसके ये मायने नहीं हैं कि बकाया कभी चुकाना ही नहीं होगा, बल्कि बाद में पेमेंट करना होगा। यह उन लोगों को राहत देने के लिए है जिनके पास लॉकडाउन की वजह से वाकई नकदी की कमी हो गई है।
2. कंपनियों के लिए वर्किंग कैपिटल पर ब्याज के पेमेंट में छूट बढ़ाई : आरबीआई ने मार्च में बैंकों को छूट दी थी कि वे अगले तीन महीने तक वर्किंग कैपिटल लोन पर ब्याज नहीं वसूलें। इसे अगले 3 महीने और बढ़ा दिया है। वर्किंग कैपिटल लोन वह कर्ज होता है, जिसे कंपनियां अपनी रोज की जरूरतों के लिए लेती हैं। आरबीआई ने कहा है कि वर्किंग कैपिटल पर ब्याज चुकाने में जो छूट ली जाएगी, उसे एक अलग लोन की तरह किश्तों में चुका सकेंगे।
3. कर्ज सस्ते करने के लिए रेपो रेट घटाया : रेपो रेट पहले 4.40% था, अब 0.40% घटाकर 4% कर दिया गया है। रेपो रेट वह दर है, जिस पर बैंकों को आरबीआई से कर्ज मिलता है। बैंकों को सस्ता कर्ज मिलेगा तो वे ग्राहकों के लिए भी रेट घटाएंगे।
4.एक्सपोर्टर को कर्ज चुकाने के लिए ज्यादा समय : कोरोना संकट को देखते हुए एक्सपोर्ट क्रेडिट पीरियड 12 महीने से बढ़ाकर 15 महीने कर दिया गया है। यानी एक्सपोर्टर को कर्ज चुकाने के लिए 3 महीने ज्यादा मिलेंगे।
5. एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट बैंक के लिए 15,000 करोड़ की क्रेडिट लाइन : ये बैंक एक्सपोर्ट- इम्पोर्ट से जुड़े कारोबारियों को लोन देता है। कोरोना की वजह से एग्जिम बैंक को फंड जुटाने में दिक्कत हो रही है। इसलिए एग्जिम बैंक को 90 दिन के लिए 15,000 करोड़ रुपए का क्रेडिट दिया जाएगा। इसे एक साल तक बढ़ाया जा सकता है।
6. कॉर्पोरेट को लोन की लिमिट बढ़ाई : कॉर्पोरेट ग्रुप को उनकी नेटवर्थ के आधार पर बैंकों से कर्ज मिलता है। इस लिमिट को 25% से बढ़ाकर 30% कर दिया गया है। यानी किसी ग्रुप को अब 5% ज्यादा कर्ज मिल पाएगा। यह लिमिट पूरे ग्रुप के लिए है नाकि ग्रुप की किसी एक कंपनी के लिए।
7. बैंक ज्यादा कर्ज बांटे, इसलिए रिवर्स रेपो रेट कम किया : इस रेट को 3.75% से घटाकर 3.35% कर दिया है। रिवर्स रेपो रेट यानी बैंकों को अपना पैसा आरबीआई के पास रखने से जो ब्याज मिलता है। इस रेट में कमी आने से बैंक आरबीआई के पास ज्यादा पैसा रखने की बजाय कर्ज ज्यादा बांटेंगे, इससे बाजार में नकदी बढ़ेगी।
8. राज्यों के लिए एक्स्ट्रा 13,300 करोड़ रुपए के इंतजाम : राज्यों सरकारों को कन्सॉलिडेटेड सिंकिंग फंड (सीएसएफ) के जरिए आरबीआई के पास एक तय रकम रखनी पड़ती है। ताकि, जरूरत पड़ने पर अपने कर्ज चुकाने और दूसरे जरूरी पेमेंट करने के लिए पैसा निकाल सकें। आरबीआई ने इस फंड से विड्रॉल के नियमों में छूट दी है। इससे राज्य इस वित्त वर्ष में 13,300 करोड़ रुपए एक्स्ट्रा निकाल सकेंगे।
जीडीपी ग्रोथ : आरबीआई गवर्नर ने कहा कि कोरोना महामारी से दुनियाभर की अर्थव्यवस्था को नुकसान हुआ है। इस साल देश की जीडीपी ग्रोथ निगेटिव रहने का अनुमान है, हालांकि दूसरी छमाही (अक्टूबर-मार्च) में थोड़ी तेजी आ सकती है।
महंगाई दर : हालांकि कोरोना वायरस की वजह से इसका अनुमान लगाना मुश्किल है। दालों के रेट बढ़ना चिंता की बात है। अप्रैल-सितंबर में महंगाई दर स्थिर रह सकती है, अक्टूबर-नवंबर में इसमें कमी आ सकती है। इस वित्त वर्ष की तीसरी या चौथी तिमाही में महंगाई दर 4% से नीचे जा सकती है।
लॉकडाउन का असर : दो महीने के लॉकडाउन से देश में आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। टॉप-6 इंडस्ट्रियल राज्यों के ज्यादातर इलाके रेड और ऑरेंज जोन में हैं। इन राज्यों की इंडस्ट्री का आर्थिक गतिविधियों में 60% कॉन्ट्रिब्यूशन होता है।

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