लाचार मजदूरों की घर वापसी पर संग्राम
- रेलवे ने अपनी गाइडलाइन्स में कहा, मजदूरों से किराया वसूल कर रेलवे को सौंपेंगे सभी राज्य
- यहां से ही शुरू हुआ मोदी सरकार की आलोचनाओं का दौर, जिस पर हो रही खूब राजनीति
- अब बैकफुट पर आये बिहार के सीएम ने भी कहा, टिकट दिखाने पर मजदूरों को देंगे 500-500 रुपये
- मध्यप्रदेश के सीएम ने कहा, मजदूरों का लाने का किराया खुद वहन करेगी मध्य प्रदेश सरकार
- सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा- ‘भूखे-प्यासे प्रवासी मज़दूरों से रेल किराया वसूल रही मोदी सरकार
- जबकि विदेशों में फंसे भारतीयों को फ्लाइट से फ्री में स्वेदश वापस लाने पर खर्च किये करोड़ों रुपये
नई दिल्ली। देश भर में फंसे मजदूरों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए रेलवे ने श्रमिक ट्रेनें चलाईं। लेकिन सवाल ये था कि आखिर इसका खर्च कौन वहन करेगा? केंद्र सरकार या राज्य सरकार? इस बाबत रेलवे ने अपनी गाइडलाइन्स में साफ कहा कि रेल किराए का बोझ राज्य वहन करेंगे और वह ये किराया यात्रियों से वसूल कर के रेलवे को सौंपेंगे।
यहां से ही शुरू हुआ केंद्र सरकार की आलोचनाओं का दौर, जिस पर खूब राजनीति हुई। आखिरकार मोदी सरकार को भी इसमें कूदना ही पड़ गया। रेल किराए पर जो राजनीतिक बवाल मचा है, उसका मौका खुद के मोदी सरकार ने ही दिया है। सोनिया गांधी के इस ऐलान के बाद कि सभी मजदूरों का किराया कांग्रेस देगी तो बैकफुट पर आते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी कहा कि किसी भी मजदूर को रेल किराया देने की जरूरत नहीं है। वह उन्हें टिकट दिखाने पर 500-500 रुपये देंगे। वहीं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने भी ट्वीट कर कहा है कि किसी भी मजदूर से ट्रेन में किराया नहीं लिया जाएगा। मजदूरों का लाने का किराया खुद मध्य प्रदेश सरकार वहन करेगी। बाकी पार्टियां भी केंद्र सरकार के फैसले पर अपना विरोध करने से नहीं चूकीं। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि राज्यों से किराया वसूलने की बात मजाक लगती है। मजदूरों के लिए चलाई जाने वाली ट्रेन में राज्यों से किराया नहीं वसूलना चाहिए।रेलवे ने ही अपनी गाइडलाइंस में साफ-साफ कहा था कि किराया राज्यों द्वारा यात्रियों से वसूला जाएगा और फिर रेलवे को सौंपा जाएगा। न तो रेलवे और ही केंद्र सरकार के किसी मंत्री ने ये सोचा कि जो मजदूर पहले से ही सरकारी सहायता के तहत खाना खा रहे हैं, वह किराए के पैसे कहां से लाएंगे। वैसे भी श्रमिक ट्रेन कमाई करने के लिए नहीं, बल्कि बचाव और राहत कार्य के लिए चलाई जा रही हैं।
मोदी सरकार ने कांग्रेस को रेल किराए पर राजनीति करने का एक मौका दिया, जिसे सोनिया गांधी ने तुरंत भुना लिया। उन्होंने कहा कि जो मजदूर देश की रीढ़ हैं, इस मुश्किल घड़ी में उन्हें हर मदद दी जानी चाहिए, इसलिए कांग्रेस ने फैसला किया है कि मजदूरों का रेल किराया कांग्रेस वहन करेगी। इससे पहले राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर सवाल भी उठाया कि जब गुजरात में एक कार्यक्रम के लिए सरकार 100 करोड़ रुपये ट्रांसपोर्ट और खाने के नाम पर खर्च कर सकती है, रेलवे 151 करोड़ रुपए पीएम कोरोना फंड में दे सकती है तो मजदूरों के मुफ्त रेलयात्रा क्यों नहीं करा सकती?
एक तरफ रेलवे दूसरे राज्यों में फँसे मजदूरों से टिकट का भाड़ा वसूल रही है वहीं दूसरी तरफ रेल मंत्रालय पीएम केयर फंड में 151 करोड़ रुपए का चंदा दे रहा है। सोनिया गांधी के विरोध के बाद भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने भी मोदी सरकार की आलोचना करते हुए कहा- ‘केंद्र सरकार की यह कैसी संवेदनहीनता है कि भूखे-प्यासे प्रवासी मज़दूरों से रेल किराया वसूल रही है! जो भारतीय विदेशों में फंसे थे उन्हें फ्लाइट से मुफ़्त में वापस लाया गया। अगर रेलवे अपने फ़ैसले से नहीं हटती है तो पीएम केयर्स के पैसे का इस्तेमाल क्यों नहीं किया जा रहा है?’
रेल किराए को लेकर मोदी सरकार की इतनी आलोचना हुई कि खुद भाजपा को ही मैदान में कूदना पड़ा। भाजपा के आईटी सेल हेड अमित मालवीय ने ट्वीट कर कहा, “गृह मंत्रालय की गाइडलाइन में स्पष्ट है कि स्टेशनों पर कोई टिकट नहीं बिकेगा। रेलवे 85 प्रतिशत सब्सिडी दे रही है तो 15 प्रतिशत खर्च राज्य सरकार वहन करेगी। प्रवासी मजदूरों को कोई पैसा नहीं देना है। सोनिया गांधी क्यों नहीं कांग्रेस शासित प्रदेशों को खर्च उठाने के लिए कहतीं।”
रेल किराए पर हो रही राजनीति के बीच बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि किसी भी मजदूर को रेल किराया देने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा- ‘मैं बिहार के लोगों को वापस भेजने के सुझाव पर विचार करने के लिए केंद्र को धन्यवाद देना चाहता हूं। अन्य राज्यों में फंसे बिहार के लोगों को वापस बिहार भेजने के लिए केंद्र को शुक्रिया। किसी को भी टिकट के लिए भुगतान नहीं करना पड़ेगा। उनके लिए यहां क्वारनटीन सेंटर बनाया गया है।’
वहीं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने भी ट्वीट कर के कहा है कि किसी भी मजदूर से ट्रेन में किराया नहीं लिया जाएगा। मजदूरों का लाना का किराया खुद मध्य प्रदेश सरकार वहन करेगी। बाकी पार्टियां भी केंद्र सरकार के फैसले पर अपना विरोध करने से नहीं चूकीं। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि राज्यों से किराया वसूलने की बात मजाक लगती है। मजदूरों के लिए चलाई जाने वाली ट्रेन में राज्यों से किराया नहीं वसूलना चाहिए।
यूपी के पूर्व सीएम और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा ट्रेन से वापस घर ले जाए जा रहे गरीब, बेबस मजदूरों से भाजपा सरकार द्वारा पैसे लिए जाने की खबर बेहद शर्मनाक है। आज साफ हो गया है कि पूंजीपतियों का अरबों माफ करने वाली भाजपा अमीरों के साथ है और गरीबों के खिलाफ। विपत्ति के समय शोषण करना सूदखोरों का काम होता है, सरकार का नहीं।
भले ही अब केंद्र से लेकर राज्य सरकारें तक मजदूरों की हिमायती बन रही हैं, लेकिन जिनसे किराया वसूला जा चुका है उनका क्या? कांग्रेस और सपा ने भी विरोध करने में काफी देर कर दी, वरना शायद जिन मजदूरों को किराया देना पड़ा, उन्हें भी रियायत मिल जाती। बता दें कि नासिक से भोपाल के लिए मजदूरों से रेलवे ने 315 रुपए प्रति यात्री वसूल किया है। हद की बात तो ये है कि मजदूरों का दावा है वो टिकट 305 रुपए का था, जिसके उन्होंने 315 रुपए चुकाए। देखना दिलचस्प होगा कि मोदी सरकार उनके लिए क्या घोषणा करती है।