उठे सवाल : सिर्फ हस्ताक्षर कर पाने वाले नरेंद्र गिरि का 7 पन्नों का सुसाइड नोट किसने लिखा!

लखनऊ। महंत नरेंद्र गिरि मौत से एक दिन पहले यूपी के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या से प्रसन्नता से मिले थे। हफ्ते भर पहले पुलिस मुखिया मुकुल गोयल भी महंत से मिलने पहुंचे थे। इस दौरान भी वह खुश थे। एक दिन पहले भी अलग-अलग लोगों से मुलाकात करते हुए उनके चेहरे पर कोई तनाव नहीं था। पंखे से लटके मिलने के बाद बाद उनका 7 पन्नों का सुसाइड नोट सामने आ रहा है। इस पर यह सवाल है कि कि महंत ज्यादा लिखते-पढ़ते नहीं थे। ये तमाम बातें महंत की आत्महत्या की थ्योरी पर सवाल खड़े कर रही है।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक घटना स्थल से मिले आठ पन्नों का सुसाइड नोट देखकर ऐसे लग रहा है कि जैसे यह सब पहले से तय हो और कई दिनों से इसको लेकर मंथन चल रहा हो। यदि खुद महंत नरेंद्र गिरि ने लिखा तो उस वक्त उनकी मनोदशा क्या थी? कई शिष्यों का दावा है कि महंत जी बहुत नहीं लिखते थे।
प्रयागराज अखिल भारतीय संत समिति और गंगा महासभा के महासचिव जीतेंद्रानंद सरस्वती ने दावा किया है कि वह इतना बड़ा सुसाइड नोट लिख ही नहीं सकते। महंत जी सिर्फ हस्ताक्षर और काम चलाऊ लिखना जानते थे। गंगा सफाई आंदोलन में कानपुर के श्रमिक नेता रामजी त्रिपाठी के साथ नरेंद्र गिरि भी शामिल हुए थे। रामजी त्रिपाठी का दावा हैं कि नरेंद्र गिरि को कुछ भी पढ़ना लिखना नहीं आता था। वह बताते हैं कि जब भी नरेंद्र गिरि को कुछ भी पढ़ना होता था तो वह अपने शिष्य को बुलाकर पढ़वाते थे। इसी तरह से लिखवाने के लिए भी किसी को बुलाकर ही पत्र लिखवाते थे।
उन्होने बताया कि जब ऐसा पहली बार उनके सामने हुआ कि एक पत्र को पढ़ना था और महंत ने शिष्य को बुलाया और पत्र पढ़वाया। इस पर रामजी त्रिपाठी के पूछने पर उन्होंने बताया था कि वह लिखना पढ़ना नही जानते है। राम जी त्रिपाठी ने बताया कि गंगा सफाई आंदोलन में लिखे गये पत्रों में उनका नाम अंकित कर दिया जाता था। प्रयागराज में नरेंद्र गिरि के शिष्य सतीश शुक्ल ने भी बताया कि गुरु जी पिछले कुछ वर्षों में सिर्फ हस्ताक्षर करना सीख पाये थे, लेकिन वह 7 पन्ने लिख नहीं सकते थे। उनके हस्ताक्षर से आत्महत्या में लिखे पत्र का मिलान बेहद जरूरी है। सतीश का दावा है कि वह एक लाइन भी नहीं लिख सकते थे।
नरेंद्र गिरि के शिष्य आनंद गिरि का भी दावा है कि उनको लिखना पढ़ना नहीं आता था। सुसाइड नोट में आनंद गिरि का नाम आने के बाद उन्होंने हरिद्वार से सुसाइड नोट पर बड़े सवाल खड़े किए और कहा कि गुरुजी को लिखना पढ़ना नहीं आता था। जांच टीम के मुताबिक हत्या की सूचना पर सबसे पहले जार्ज टाउन इंस्पेक्टर महेश सिंह पुलिस टीम के साथ पहुंचे। कमरे में महंत नरेंद्र गिरि का शव पंखे में पीताबंरी के फंदे से लटका था। पास ही सल्फास का डिब्बा था, लेकिन खुला नहीं था। आठ पन्नों का सुसाइड नोट भी बिस्तर के पास रखा था। उनके शिष्य बबलू ने ही सबको घटना की सूचना दी।
बबलू के मुताबिक रविवार को गेहूं में रखने के लिए गुरुजी ने सल्फास की गोलियां मंगाई थी। पुलिस ने मौके से उनके मोबाइल फोन को कब्जे में ले लिया है। साथ ही सोमवार सुबह से आने व मिलने वालों की सूची पुलिस ने लेकर पूछताछ शुरूकर दी। इसमें मठ के सेवादार भी शामिल हैं। श्री मठ बाघम्बरी गद्दी के मुख्य गेट और भीतर लगे अलग अलग सीसीटीवी कैमरों की फुटेज की भी पड़ताल शुरू कर दी है।
पुलिस ने सुसाइड नोट के आधार पर मठ के पुजारी आद्या तिवारी उनके बेटे संदीप तिवारी और शिष्य आनंद गिरि को गिरफ्तार कर लिया है। वहीं आनंद गिरि ने इसे हत्या करार देते हुए इसके पीछे सिपाही अजय सिंह (गनर) के साथ ही मनीष शुक्ल, विवेक व अभिषेक मिश्र पर आरोप लगाया है। ये लोग प्रॉपर्टी का काम करते हैं और महंत के करीबी बताए जा रहे हैं। चर्चा है कि पुलिस की एक टीम इनसे भी पूछताछ कर रही है।

ये विवाद भी हो सकते हैं महंत के मौत की वजह

1- नरेंद्र गिरि और उनके शिष्य आनंद गिरि के बीच प्रॉपर्टी को लेकर हुए विवाद के बाद आनंद के बाघम्बरी गद्दी मठ और लेटे हनुमान मंदिर में प्रवेश पर रोक लगा दी गई थी।
2- मठ की जमीन को लेकर कई विवाद सामने आने लगे थे। इसमें हंडिया के सपा नेता महेश नारायण सिंह से विवाद हो या पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के सचिव महंत आशीष गिरि की नवंबर 2019 को संदिग्ध हालत में मौत।
3-नरेंद्र गिरि ने किन्नर अखाड़े से लेकर परी अखाड़े तक पर सवाल खड़े किए थे।
4. 2004 में तत्कालीन डीआईजी आरएन सिंह से भी एक जमीन बेचने को लेकर विवाद हुआ था। इसमें खुद मुख्यमंत्री मुलायम सिंह को बीच में आना पड़ा था।
5. आनंद गिरि ने आरोप लगाया था कि मठ की जमीन अवैध रूप से बेची जा रही हैं। 

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