पुत्र मोह में कहीं धृतराष्ट्र न बन जायें खंडूड़ी!

  • लोकसभा चुनाव का शंखनाद होते ही गुणा भाग में जुटे सियासतदां
  • खंडूड़ी के बेटे की कांग्रेस में जाने की चर्चाओं से उत्तराखंड में चढ़ा सियासी पारा
  • टिकट हथियाने के लिये दावेदारों ने आजमाने शुरू ​​किये सभी दांव

देहरादून। मोहब्बत और जंग में सब कुछ जायज भले हो या न हो लेकिन राजनीति में यह बात पूरी तरह लागू होती है। चुनाव के समय टिकटों के दावेदार किसी न किसी तरह टिकट हथियाने के लिये पूरी जान झोंक देते हैं। उत्तराखंड में इस समय राहुल गांधी की रैली के दौरान भाजपा के किसी बड़े नेता के कांग्रेस का हाथ थामने की चर्चायें जोरों पर चल रही हैं। इस चर्चा की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस बारे में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और पर्यटन म़ंत्री सतपाल महाराज तक को बयान जारी करने पड़े। इस कयासबाजी में सबसे उपर पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी का नाम चल रहा है। जिससे सियासी हलकों में आश्चर्य और अविश्वास के साथ देखा जा रहा है।
जैसे—जैसे लोकसभा चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं, वैसे—वैसे टिकटों के दावेदार टिकट पाने के लिये जुगत भिड़ाने में जुट गये हैं। भाजपा में जहां एक—एक सीट पर कई दावेदार सामने आ रहे हैं, वहीं कांग्रेस में प्रत्याशियों का टोटा पड़ा हुआ है। वर्तमान में गढ़वाल लोकसभा सीट से सांसद और भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी अधिक उम्र के चलते स्वास्थ्य कारणों से चुनाव न लड़ने की इच्छा जता चुके हैं। उनके इस बयान ने कई प्रत्याशियों की उम्मीदों को पंख लगा दिये हैं। हालांकि चुनाव लड़ने की अनिच्छा जताने के बावजूद खंडूड़ी बरसों से काबिज अपनी विरासत किसी गैर को सौंपने के लिये तैयार नहीं दिख रहे। इसलिये वह अपनी पुत्री ऋतु खंडूड़ी को भाजपा के टिकट पर यमकेश्वर से विधायक बनवा चुके हैं। जिसके लिये उन्होंने अपनी वीटो पावर का इस्तेमाल करते हुए लगातार दो बार यमकेश्वर की विधायक रही विजया बड़थ्वाल का टिकट कटवाकर अपनी बेटी को टिकट दिलवाया था। अब जबकि खंडूड़ी शारीरिक रूप से अगला चुनाव लड़ने के योग्य नहीं दिख रहे तो वह अपनी लोकसभा सीट को अपने पुत्र मनीष खंडूड़ी के लिये तैयार करने में लग गये हैं।
राजनीति के क्षेत्र में मनीष एक अनजाना सा चेहरा हैं जिसे गढ़वाल लोकसभा क्षेत्र की जनता ने किसी भी सार्वजनिक मंच से अपने बीच नहीं देखा है। एक तरफ भाजपा में जहाँ इस संसदीय सीट के लिये ब्राह्मण प्रत्याशियों के रूप में प्रधानमंत्री मोदी के करीबी माने जाने वाले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल के बेटे शौर्य डोभाल और कर्नल अजय कोठियाल ने अपनी दावेदारी पेश की है । वहीँ दूसरी तरफ हरक सिंह रावत, सतपाल महाराज और उनकी पत्नी अमृता रावत सहित तीरथ रावत की भी प्रबल इच्छा गढ़वाल लोकसभा से चुनाव लड़ने की है । ऐसे में खंडूड़ी को अपने प़ुत्र को भाजपा प्रत्याशी बनवाना नामु​मकिन सा लग रहा है। इसलिये उन्होंने भाजपा हाईकमान के उपर प्रेशर पॉलीटिक्स का फार्मूला अपनाकर कांग्रेस से नजदीकियां बढ़ा ली हैं। जिससे राजनीतिक गलियारों में हलचल शुरू हो गई है। गौरतलब है कि कांग्रेस में भी सुरेंद्र सिंह नेगी, शूरवीर सिंह सजवाण, गणेश गोदियाल व राजेंद्र भंडारी जैसे दिग्गज कांग्रेसियों के होते मनीष खंडूड़ी के लिए गढ़वाल सांसद बनने की राह बड़ी पथरीली है। हालांकि खंडूड़ी के लिये रिटायरमेंट के वक्त कांग्रेस का दामन थामना इतना भी आसान नहीं है क्योंकि भाजपा ने एक फौजी जनरल होने के नाते खंडूड़ी को पहली बार लोकसभा का टिकट दिया था और तबसे पार्टी उन्हें कई बार अपना प्रत्याशी बना चुकी है। जिस पार्टी ने उन्हें विधायक, सांसद, मुख्यम़ंत्री और केंद्रीय मंत्री बनाया तथा उनकी पुत्री को भी मोदी लहर में टिकट देकर विधायक बनाया, उसी पार्टी को सिर्फ पुत्र मोह के कारण त्यागना पार्टी, समर्पित कार्यकर्ताओं व अपने परंपरागत मतदाताओं के साथ विश्वासघात होगा। अगर ऐसा होता है तो राजनीति और उम्र के अंतिम चरण में खंडूड़ी के लिये यह पुत्र मोह में धृतराष्ट्र बनने जैसी बात होगी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here