खुशखबरी
- सुप्रीम कोर्ट ने प्राइवेट सेक्टर के कार्मिकों की पेंशन में भारी बढ़ोतरी का रास्ता किया साफ
- अदालत ने केरल हाईकोर्ट के उस फैसले को जारी रखा जिसमें ईपीएफओ को कर्मियों की पूरी सैलरी के हिसाब से पेंशन देने को कहा था
सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में सोमवार को प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए बंपर पेंशन का रास्ता साफ कर दिया है। इससे पेंशन कई गुनी बढ़ जाएगी। उच्चतम न्यायालय ने ईपीएफओ की उस याचिका को खारिज कर दिया जो केरल हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर की गई थी।
गौरतलब है कि केरल हाईकोर्ट ने ईपीएफओ को ऑर्डर दिया था कि वह रिटायर हुए सभी कर्मचारियों को उनकी पूरी सैलरी के हिसाब से पेंशन दे। जबि वर्तमान में ईपीएफओ 15 हजार रुपये वेतन की सीमा के साथ योगदान की गणना करता है।
इससे प्रोविडेंट फंड में कमी आएगी क्योंकि अब ज्यादा हिस्सा पीएफ की जगह ईपीएस वाले फंड में जाएगा, लेकिन नए नियम से पेंशन इतनी ज्यादा बढ़ जाएगी तो वह गैप पूरा हो जाएगा। ईपीएस की शुरुआत वर्ष 1995 में की गई थी। तब नियोक्ता कर्मचारी की सैलरी का अधिकतम सालाना 6,500 (541 रुपये महीना) का 8.33 प्रतिशत ही ईपीएस के लिए जमा कर सकता था। मार्च 1996 में इस नियम में फेरबदल किया गया कि अगर कर्मचारी फुल सैलरी के हिसाब से स्कीम में योगदान देना चाहे और नियोक्ता भी राजी हो तो उसे पेंशन भी उसी हिसाब से मिलनी चाहिए। गत सितंबर 2014 में ईपीएफओ ने नियम फिर बदले। अब अधिकतम 15 हजार रुपये का 8.33 प्रतिशत योगदान को मंजूरी मिल गई। इसके साथ ही यह नियम भी लाया गया कि अगर कोई कर्मचारी फुल सैलरी पर पेंशन लेना चाहता है तो उसकी पेंशन वाली सैलरी पिछली पांच साल की सैलरी के हिसाब से तय होगी। इससे पहले तक यह पिछले साल की औसत आय सैलरी पर तय हो रहा था। इससे कई कर्मचारियों की सैलरी कम हो गई।
इसके बाद इस तरह के मामले कोर्ट में पहुंचने लगे। केरल हाईकोर्ट ने 1 सितंबर 2014 को हुए बदलाव खारिज करके पुराना सिस्टम चालू कर दिया। इसके बाद पेंशन वाली सैलरी पिछले साल की औसत सैलरी पर तय होने लगी। इसके बाद वर्ष 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने ईपीएफओ से कहा कि इसका फायदा उन लोगों को भी दिया जाए जो पहले से फुल सैलरी के बेस पर पेंशन स्कीम में योगदान दे रहे थे। इस फैसले से कई कर्मचारियों को फायदा हुआ। निजी क्षेत्र में काम करने वाले एक व्यक्ति की पेंशन जो सिर्फ 2,372 रुपये थी, इस फैसले के बाद 30,592 रुपये हो गई। इसके बाद लाभार्थी ने ने बाकी कर्मचारियों को इसका फायदा दिलाने के लिए मुहिम भी चलाई। हालांकि, फिर ईपीएफओ की आनाकानी शुरू हो गई। उसने उन कंपनियों को इसका फायदा देने से मना कर दिया जिनका ईपीएफ ट्रस्ट द्वारा मैनेज होता है।
गौरतलब है कि नवरत्नों में शामिल ओएनजीसी, इंडियन ऑइल आदि कंपनियों का अकाउंट भी ट्रस्ट ही मेंटेन करता था, क्योंकि इसकी सलाह पहले ईपीएफओ ने ही दी थी। इस बीच केरल, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, मद्रास आदि हाईकोर्टों में केसों की बाढ़ आ चुकी थी और सबने ईपीएफओ को उन्हें भी स्कीम में शामिल करने के लिए कहा। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से आए फैसले से उम्मीद की जा रही है कि यह मामला अब पूरी तरह सुलझ गया है। जिन लोगों ने 1 सितंबर 2014 के बाद काम करना शुरू किया है वे भी फुल सैलरी पर पेंशन का लाभ ले सकेंगे।