• अमेरिका में 57 साल के मरीज को लगा जेनेटिकली मॉडिफाइड सुअर का हार्ट, 7 घंटे चली सर्जरी

न्यूयॉर्क। अमेरिका के डॉक्टरों ने जेनेटिकली मॉडिफाइड सुअर के दिल को 57 साल के बुजुर्ग के शरीर में ट्रांसप्लांट किया है। यह क्रांतिकारी सर्जरी बीते शुक्रवार को की गई थी। यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड मेडिकल के डॉक्टरों ने सोमवार को इस बारे में जानकारी दी। डॉक्टरों ने बताया कि 7 घंटे तक चली सर्जरी के बाद मरीज की हालत में सुधार हो रहा है। हालांकि ये ऑपरेशन पूरी तरह सफल रहा या नहीं, इस बारे में अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।
मिली जानकारी के अनुसार मैरीलैंड में रहने वाले डेविड बेनेट लंबे वक्त से हार्ट प्रॉब्लम का सामना कर रहे थे। परेशानी ज्यादा बढ़ने पर आखिरी ऑप्शन के तौर पर सुअर का दिल ट्रांसप्लांट करने का प्लान बनाया गया। जब डेविड बेनेट को इस बारे में बताया गया तो उनका कहना था कि मेरे सामने दो ही ऑप्शन हैं मौत या फिर ट्रांसप्लांट। यह अंधेरे में तीर चलाने की तरह है, लेकिन मैं जीना चाहता हूं।
उनकी सर्जरी करने वाले डॉ. बार्टली ग्रिफिथ ने कहा कि इस सर्जरी के बाद हमें हर दिन नई जानकारी मिल रही है। हम इस ट्रांसप्लांट के फैसले से काफी खुश हैं। मरीज के चेहरे पर मुस्कान देखकर अच्छा लग रहा है। हालांकि सुअर के हार्ट के वाल्व का भी इंसानों के लिए दशकों से सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया जाता रहा है।
डॉक्टरों के अनुसार अगर यह सर्जरी सफल हो जाती है तो ये विज्ञान के क्षेत्र में एक बड़ा चमत्कार होगा। इसके साथ ही सालों से जानवरों के अंगों को इंसानी शरीर में ट्रांसप्लांट करने की खोज में एक बड़ा कदम साबित होगा। ट्रांसप्लांट के बाद सुअर का दिल ठीक तरह से काम कर रहा है। फिलहाल डेविड बेनेट को हार्ट-लंग बाईपास मशीन पर रखा गया है। यहां पर डॉक्टरों की एक टीम लगातार उनकी निगरानी कर रही है। अगले कुछ हफ्ते उनके लिए बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण हैं।
इस बारे में ऑर्गन ट्रांसप्लांट की रिपोर्ट में बताया गया है कि सुअर का दिल इंसान में ट्रांसप्लांट करने के लिए उपयुक्त होता है, लेकिन सुअर के सेल्स में एक अल्फा-गल शुगर सेल होता है। इस सेल को इंसान का शरीर एक्सेप्ट नहीं करता है, इस वजह से मरीज की मौत भी हो सकती है। इस परेशानी को दूर करने के लिए ही पहले सूअर को जेनेटिकली मॉडिफाइड किया गया।
गौरतलब है कि दुनिया भर की कई बायोटेक कंपनियां ह्यूमन ट्रांसप्लांटेशन के लिए सुअर के अंगों का विकास कर रही हैं। इस ऑपरेशन में इस्तेमाल किया गया दिल भी यूनाइटेड थेरेप्यूटिक्स की सहायक कंपनी रेविविकोर से आया था। फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए), जो जेनो ट्रांसप्लांटेशन एक्सपेरिमेंट की देखरेख करता है, उसने इमरजेंसी यूज के तहत इस ट्रांसप्लांट को मंजूरी दी थी।
हालांकि इससे पहले जब इस तरह के ट्रांसप्लांट किए गए तो वो सफल नहीं रहे। 1984 में एक बच्चे के शरीर में बबून (बंदर की एक प्रजाति) का दिल ट्रांसप्लांट किया गया था, लेकिन वह बच्चा सर्जरी के बाद सिर्फ 21 दिन ही जिंदा रह पाया था। यूनिवर्सिटी के हेल्थ ऑफिसर डॉ. डेविड क्लासेन ने कहा- इस जेनो ट्रांसप्लांटेशन को हम एक बड़ी घटना के तौर पर मार्क कर सकते हैं, लेकिन यह एक अस्थाई कदम है।
अमेरिका में फिलहाल लगभग 1.10 लाख लोग ऑर्गन ट्रांसप्लांट का इंतजार कर रहे हैं। अमेरिका में हर साल 6000 से ज्यादा मरीजों की मौत ऑर्गन ट्रांसप्लांट नहीं होने की वजह से हो जाती है। वहीं, यूनाइटेड नेटवर्क फॉर ऑर्गन शेयरिंग के मुताबिक, पिछले साल अमेरिका में 3800 से ज्यादा रिकॉर्ड हॉर्ट ट्रांसप्लांट किए गए थे। पिछले साल सितंबर में न्यूयॉर्क के एनवाईयू लैंगोन हेल्थ सेंटर में कुछ रिसर्चर ने इसी तरह का एक एक्सपेरिमेंट किया था। इसमें डॉक्टरों ने अस्थाई तौर पर एक सुअर की किडनी को एक मरे हुए इंसान के शरीर में ट्रांसप्लांट किया था।
न्यूयॉर्क में रिसर्च टीम के एक्सपेरिमेंट को लीड करने वाले डॉ. रॉबर्ट मोंटगोमरी का कहना है कि मैरीलैंड में किया गया ट्रांसप्लांट हमारे रिसर्च को अगले लेवल पर ले गया है। यह एक बड़ी कामयाबी है। मैं खुद जेनेटिकली हार्ट प्रॉब्लम का सामना कर रहा हूं, इस खबर का पता चलने के बाद मैं काफी ज्यादा एक्साइटेड हूं। मैरीलैंड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. मुहम्मद मोहिउद्दीन का कहना है कि अगर यह सर्जरी सफल हुई तो लाखों लोगों के लिए उम्मीद की एक नई रोशनी होगी।

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