लेज और पेप्सी बेचने वाली कंपनी पेप्सिको ने उसके रजिस्टर्ड आलू उगाने पर गुजरात के नौ किसानों पर केस दर्ज कर की थी हर्जाने की मांग
अहमदाबाद। लेज और पेप्सी बेचने वाली कंपनी पेप्सिको ने अब उन नौ किसानों के सामने समझौते का प्रस्ताव रखा है, जिनके खिलाफ कंपनी ने उसके रजिस्टर्ड आलू उगाने पर मुकदमा दर्ज करा दिया था। जिसमें उन किसानों से 4.2 करोड़ रुपए के हर्जाने की मांग की गई थी। पेप्सिको इंडिया ने एक बयान में कहा कि किसान अगर उसका रजिस्टर्ड आलू उगाना बंद कर देंगे तो वो केस वापस ले लेगी। गौरतलब है कि पेप्सिको ने ‘एफसी 5’ नाम की आलू की किस्म रजिस्टर्ड करवाई थी। पेप्सिको ने प्रस्ताव के तहत किसानों से मौजूदा स्टॉक को नष्ट करने के लिए भी कहा। गौरतलब है कि अहमदाबाद में पेप्सिको ने कोर्ट में मौखिक तौर पर ये बात कही है। कंपनी ने कहा कि किसान उसके साथ एग्रीमेंट कर बीज ले सकते हैं और उसके रजिस्टर्ड आलू वापस उसे ही बेच सकते हैं। पेप्सिको इंडिया ने दावा किया था कि एफसी 5 नाम के आलू की किस्म उसने प्लांट वैरायटी प्रोटेक्शन अधिकार नियम के मुताबिक रजिस्टर्ड कर रखी है। ये रजिस्ट्रेशन 2031 तक वैध रहेगा। किसान आलू की इस किस्म को नहीं उगा सकेंगे। इसके बाद कंपनी ने साबरकंठा जिले के चार किसानों पर डेढ़—डेढ़ करोड़ रुपए के हर्जाने का केस कर दिया। वर्ष 2017-18 में गुजरात के पांच किसानों के खिलाफ भी इसी तरह का मुकदमा किया गया था। अहमदाबाद में अदालत में आए चार किसानों ने इसके लिये 12 जून तक का समय मांगा है। पेप्सिको के बयान के मुताबिक उसने किसानों को समझौते का प्रस्ताव दिया है। इनमें से एक किसान ने कहा कि हमें पता होता कि ये बीज एफसी 5 है तो हम इसको नहीं बोते। हमने पहले भी पेप्सिको के एग्रीमेंट के ऑफर को मना कर दिया था जिसमें उसने कहा था कि उनके बीज खरीद कर उन्हें ही आलू बेचें। इसमें ज्यादा पैसा नहीं मिल रहा था इसलिए हमने उनका ऑफर ठुकरा दिया था। ऑल इंडिया किसान सभा के जनरल सेक्रेटरी हन्नन मुल्ला ने इस बारे मेुं कहा कि ये डब्लूटीओ के जमाने में कारपोरेट शोषण का एक नमूना है। उनके संगठन इस संस्था ने लेज चिप्स और पेप्सिको के आलू से बने दूसरे उत्पादों के बॉयकाट की घोषण की है।
देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्तराखंड विशेष अधीनस्थ शिक्षा (प्रवक्ता संवर्ग) और सहायक अध्यापक (कला संवर्ग )सेवा नियमावली, में संशोधित करने...