सैनिक स्कूल में अब बेटियां भी करेंगी पढ़ाई!

हम किसी से कम नहीं
  • मोदी सरकार वर्ष 2020 से सभी 26 सैनिक स्कूलों में दाखिले के  नियमों में कर सकती है बदलाव, लड़कियों के लिये खुलेगा रास्ता
  • मिजोरम सैनिक स्कूल में सफल रहा छात्रों संग छात्रायें पढ़ाने का पायलट प्रोजेक्ट, छठी कक्षा में 30 छात्राओं को दिया था प्रवेश 

नई दिल्ली। बेटियां भी जल्द ही सैनिक स्कूल में पढ़ाई कर सकेंगी। मिजोरम सैनिक स्कूल में लड़कों के साथ लड़कियों को पढ़ाने का पायलट प्रोजेक्ट सफल रहा है। प्रोजेक्ट के तहत 30 छात्राओं को छठीं कक्षा में दाखिला दिलाया गया था। इस प्रोजेक्ट की सफलता के चलते अब मोदी सरकार शैक्षणिक सत्र 2020 में देश के सभी 26 सैनिक स्कूलों में बेटियों को दाखिला दिलाने के लिए दाखिला नियमों में बदलाव की योजना बना रही है।
सूत्रों के मुताबिक वर्ष 1961 में रक्षा मंत्रालय के अधीनस्थ आवासीय सैनिक स्कूल बनाए गए थे। छठी से 12वीं कक्षा तक आवासीय स्कूल में लड़के ही पढ़ाई कर सकते थे। लड़कियों को इसमें दाखिला नहीं मिलता था। तीन सालों से लड़कों की तर्ज पर लड़कियों को भी सैनिक स्कूलों में भी दाखिला दिलवाने क मांग उठ रही थी। सैनिक स्कूल में पढ़ाई के दौरान छात्रों में देश सेवा की भावना जागृत हो जाती है, क्योंकि पढ़ाई के साथ-साथ कठिन अनुशासन सेना में नौकरी के लिहाज से बिल्कुल फिट बैठता है।
भारतीय सेना में लड़कों के साथ-साथ लड़कियां भी अब अधिकारी के रूप में काम करती हैं। ऐसे में भारतीय सेना में भविष्य बनाने की चाह रखने वाली छात्राओं को सैनिक स्कूल में पढ़ने का मौका मिलता है तो और अधिक सीखने को मिलेगा। सैनिक स्कूल में लड़कियों की संख्या भी आईआईटी की तर्ज पर गर्ल्स सुपर न्यूमेरी कोटे के रूप में बढ़ायी जाएगी। जैसे पहले साल दस फीसद, अगले साल पंद्रह और फिर 20 फीसद तक बढ़ाई जाएगी।
मोदी सरकार ने सैनिक स्कूलों में बेटियों को दाखिला दिलाने के लिए राज्य सरकारों को अपने-अपने सैनिक स्कूल में सुविधाएं तैयार करने को कहा था। इसमें गर्ल्स हॉॅस्टल, महिला शिक्षक, नर्स व डॉक्टरों की व्यवस्था करने जैसी सुविधाएं मुहैया कराने को कहा गया था। अभी तक सैनिक स्कूल में सिर्फ लड़कों के पढ़ने के कारण शिक्षिकाओं की संख्या बेहद कम है।

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