इस सेवा का संचालन अब पीपीपी मोड में नहीं बल्कि स्वास्थ्य महकमे को दी यह जिम्मेदारी
देहरादून। प्रदेश में ‘खुशियों की सवारी’ का संचालन अब पीपीपी मोड में नहीं बल्कि सरकार खुद संभालेगी। स्वास्थ्य महकमे को यह जिम्मेदारी दी गई है। यह योजना सीएमओ कार्यालय के स्तर पर संचालित की जाएगी।
गौरतलब है कि ‘खुशियों की सवारी’ योजना के माध्यम से राज्य में सरकारी अस्पतालों में प्रसव के उपरात जच्चा-बच्चा को सुरक्षित एवं निशुल्क उनके घर तक पहुंचाने की व्यवस्था की जाती है। इस सेवा से राष्ट्रीय स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत विद्यार्थियों को भी लाभ प्रदान किया जाता है। राज्य में इस सेवा का शुभारंभ 19 सितंबर 2011 को किया गया था। इसके बाद 30 मार्च 2013 को खुशियों की सवारी योजना में 90 नई एंबुलेंस शामिल की गई। बाद में इसमें सात वाहन और जुड़े। वर्तमान समय में प्रदेशभर में 97 खुशियों की सवारी संचालित की जा रही हैं और 108 आपातकालीन सेवा का संचालन कर रही कंपनी जीवीके ईएमआरआई ही इस योजना को भी संचालित कर रही है। अब 108 सेवा का जिम्मा नई कंपनी कैंप को मिल गया है। पर ‘खुशियों की सवारी’ का संचालन अब विभागीय स्तर पर किया जाएगा। योजना में वित्तीय सहयोग देने वाले राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) ने इसकी कार्ययोजना तैयार कर ली है।
जनपदों में सीएमओं ‘खुशियों की सवारी’ के नोडल अधिकारी होंगे। एनएचएम के तहत 500 रुपये प्रति केस भुगतान किया जाएगा। एनएचएम के मिशन निदेशक युगल किशोर पंत ने आचार संहिता के कारण इस पर कोई टिप्पणी तो नहीं की, पर इसकी पुष्टि उन्होंने की है। उनका कहना है कि अगले कुछ दिन में इसके आदेश हो जाएंगे।