गजब कर दिया गुरु : अमरिंदर से कप्तानी छीनी और खुद भी चलते बने!

  • अब नवजोत सिद्धू ने पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष पद से दिया इस्तीफा

जालंधर। आज मंगलवार को पंजाब कांग्रेस के भीतर फिर नया सियासी भूचाल आया है। प्रदेश कांग्रेस के प्रधान नवजोत सिद्धू ने आज दोपहर को इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने सोनिया गांधी को इस्तीफा भेजा है। जिसमें लिखा है… ‘वह पंजाब के भविष्य और लोगों के भले से समझौता नहीं कर सकते। समझौता करने से इंसान का चरित्र खत्म होता है। मैं कांग्रेस के लिए काम करता रहूंगा।’ सिद्धू को 18 जुलाई को ही पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था।
इस बारे में सिद्धू के मीडिया एडवाइजर सुरिंदर डल्ला ने कहा कि नवजोत सिद्धू सैद्धांतिक राजनीति कर रहे हैं। नई सरकार ने कांग्रेस हाईकमान के नए 18 सूत्रीय फार्मूले पर कोई काम नहीं किया। पिछले 5 दिनों में नई सरकार में ऐसा कुछ देखने को नहीं मिला।
उधर कैप्टन ने भी ट्वीट किया… ‘मैंने पहले ही कहा था कि सिद्धू की मानसिक स्थिति स्थिर नहीं है।’ माना जा रहा है कि सिद्धू उन्हें सीएम न बनाए जाने से नाराज चल रहे थे। इसके बाद मंत्री पद और मंत्रालय बंटवारे में भी सिद्धू की नहीं चली। आज मंगलवार को मंत्रालय बांटे गए तो गृह विभाग सुखजिंदर रंधावा को दे दिया गया। जिसके बाद दोपहर में सिद्धू का इस्तीफा सामने आया है।
नवजोत सिंह सिद्धू की अगुवाई में पंजाब कांग्रेस में हुई बगावत के नतीजे के तौर पर 18 सितंबर को कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी। इसके बाद 20 सितंबर को चरणजीत सिंह चन्नी को राज्य का नया मुख्यमंत्री बनाया गया था। हालांकि, उनके मंत्रिमंडल में अपनी राय को तरजीह न मिलने से सिद्धू नाराज बताए जा रहे थे।
सिद्धू ने कैप्टन अमरिंदर को कुर्सी से हटाने के लिए पूरा जोर लगाया। माना गया कि पर्दे के पीछे रहकर सिद्धू ने पूरा खेल खेला। कैप्टन के बाद सिद्धू चाहते थे कि वो कैप्टन की जगह मुख्यमंत्री बनें। हालांकि हाईकमान की पसंद सुनील जाखड़ को बनाना चाहते थे। इसलिए सिद्धू पीछे हट गए। इसके बाद कुछ विधायकों ने सिख स्टेट-सिख सीएम का मुद्दा उठाया। जिसके बाद सुखजिंदर रंधावा का नाम चलने लगा। यह देख सिद्धू ने कहा कि अगर जट्‌ट सिख को सीएम बनाना है तो फिर उन्हें बनाया जाए।
कांग्रेस हाईकमान इसके लिए राजी नहीं हुआ तो वो गुस्से में पर्यवेक्षकों और पंजाब इंचार्ज हरीश रावत वाले होटल से चले गए। यहां तक कि उन्होंने मोबाइल भी स्विच ऑफ कर लिया। इसके बाद रंधावा की जगह चरणजीत चन्नी सीएम बन गए तो सिद्धू चन्नी के साथ चलने लगे। हालांकि उन पर आरोप लगा कि वह सुपर सीएम की तरह व्यवहार कर रहे हैं। इसके बाद सिद्धू को पीछे हटना पड़ा। माना जा रहा है कि कांग्रेस हाईकमान की तरफ से सिद्धू को इस बारे में टोका गया था। इसी वजह से वो पिछले कुछ दिनों से अलग हो गए थे।
माना जा रहा है कि चन्नी सरकार में सिद्धू 4 चेहरों के विरोध में थे। सिद्धू का तर्क था कि उन पर पहले ही दाग लगे हुए हैं, इसलिए उन्हें शामिल नहीं किया जाए। इसके बावजूद उनका विरोध दरकिनार हो गया।सिद्धू ने एडवोकेट डीएस पटवालिया को पंजाब का नया एडवोकेट जनरल बनाने की सिफारिश की। इसके बावजूद अब एपीएस देयोल पंजाब के नए एजी बन गए हैं। सिद्धू डिप्टी सीएम सुखजिंदर रंधावा को गृह विभाग देने के पक्ष में नहीं थे। वो चाहते थे कि चरणजीत चन्नी इसे अपने पास रखें। इसके बावजूद सिद्धू की नहीं सुनी गई। होम मिनिस्ट्री रंधावा को दे दी गई।

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