नैनीताल से अजेय थे भगतदा!

  • अधिक उम्र के नेताओं की कतार में शामिल भगतदा को भी भुगतना पड़ा भाजपा के फार्मूले का खमियाजा
  • बुजुर्ग नेता कलराज मिश्रा ने मौके की नजाकत भांपते हुए खुद ही की चुनाव न लड़ने की घोषणा
  • आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, शांता कुमार जैसे कई दिग्गज नेता भी पार्टी की मुख्यधारा से हुए बाहर

भाजपा हाईकमान ने बुजुर्ग नेता आडवाणी के अलावा कई अन्य वरिष्ठ नेताओं को भी चुनाव मैदान से बाहर करने का फैसला पहले ही कर लिया था। इनमें शांता कुमार, भगत सिंह कोश्यारी, कलराज मिश्रा और मुरली मनोहर जोशी जैसे नेताओं के नाम भी शामिल हैं। 
जिन नेताओं को पार्टी ने रिटायर कर दिया है, उनमें भगत सिंह कोश्यारी को अगर देखा जाए तो वह सबसे सक्रिय नेताओं में से एक हैं। आज तक भी यह माना जा रहा था कि नैनीताल सीट पर उनसे बेहतर प्रत्याशी पार्टी के पास नहीं था। संगठन में पकड़ और उनके सरल स्वभाव को देखते हुए
कोश्यारी को इस सीट पर अजेय माना जा रहा था। शायद यही वजह थी कि हरीश रावत ने खुद के लिये नैनीताल के साथ—साथ हरिद्वार का विकल्प भी रखा हुआ था। हरदा ने पार्टी फोरम पर इस बात को रखा था कि अगर भगतदा नैनीताल से चुनाव लड़ते हैं तो वह उनके सामने चुनाव नहीं लड़ेंगे बल्कि फिर वह हरिद्वार से मैदान में ताल ठोकेंगे। 
हालांकि अभी तक मुरली मनोहर जोशी की कानपुर सीट से प्रत्याशी का ऐलान नहीं हुआ है, लेकिन बताया जा रहा है कि वह भी चुनाव मैदान से हटने पर सहमति जता चुके हैं। भाजपा द्वारा तय किये गये फार्मूले के तहत आयु सीमा पार कर चुके भाजपा के वरिष्ठ नेता भुवनचंद्र खंडूड़ी भी चुनाव मैदान से खुद ही बाहर हो गये। हालांकि खंडूड़ी स्वास्थ्य कारणों से चुनाव लड़ने के लिये असमर्थ दिख रहे थे क्योंकि वह पिछले ढाई साल से अपने लोकसभा क्षेत्र में आये ही नहीं। हालांकि वयोवृद्ध नेता आडवाणी की गांधीनगर सीट से अमित शाह को उतारकर भाजपा ने एक तीर से दो शिकार करने वाला फैसला लिया है। इस सीट पर आडवाणी बीते तीन दशक से प्रतिनिधित्व करते रहे हैं और इस बार भी पूरे मन से चुनाव में उतरना चाहते थे, लेकिन पार्टी संगठन ने काफी मशक्कत के बाद उन्हें हटने के लिए राजी किया।
सूत्रों के मुताबिक आडवाणी को इस सीट से न उतरने के लिए मनाने के लिए भी भाजपा हाईकमान को काफी मशक्कत करनी पड़ी। संगठन महामंत्री रामलाल और मुरली मनोहर जोशी ने 91 वर्षीय आडवाणी से मिलकर उन्हें चुनाव मैदान से हटने के लिए मनाने का काम सौंपा गया था। इस बीच भाजपा ने गुरुवार को लोकसभा चुनाव के 184 उम्मीदवारों की सूची घोषित कर दी। इसमें गांधीनगर से लालकृष्ण आडवाणी की जगह पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को टिकट मिला है। भाजपा की राजनीति के ‘पितामह’ माने जाने वाले लालकृष्ण आडवाणी का टिकट कटने को लेकर पार्टी में हलचल मची हुई है और सोशल मीडिया पर भी लोगों की प्रतिक्रियाएं आ रहीं हैं। 
यूं तो पार्टी की ओर कहा गया था कि मार्गदर्शक मंडल के सदस्य 91 वर्षीय आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को लड़ने का फैसला उन पर छोड़ दिया गया है, लेकिन सूत्र बताते हैं कि आडवाणी से पार्टी ने इसको लेकर संपर्क नहीं किया। एक अन्य बुजुर्ग नेता कलराज मिश्रा ने मौके की नजाकत भांपते हुए टिकट घोषित होने से पहले ही खुद ही चुनाव न लड़ने की घोषणा कर दी थी। हालांकि इससे पहले बीजेपी ने कहा था 75 पार के नेता चुनाव लड़ सकते हैं  मगर मंत्री पद या संगठन में पद नहीं मिलेगा।

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