नागालैंड हिंसा मामला : सेना ने कोर्ट ऑफ इंक्वायरी बैठाई, सेना की टुकड़ी पर मर्डर का मामला दर्ज

  • सेना की फायरिंग में नागरिकों की मौत के बाद गुस्साए गांव वालों ने सेना के कैंप को किया तहस नहस
  • नागालैंड और मेघालय के मुख्यमंत्रियों ने गृह मंत्री से की दोनों राज्यों में अफस्पा हटाने की मांग

नई दिल्ली। नागालैंड में सेना की फायरिंग में 14 स्थानीय लोगों के मारे जाने के मामले में सेना ने कोर्ट ऑफ इंक्वायरी बैठा दी है। इसकी अगुवाई मेजर जनरल रैंक के एक अधिकारी को सौंपी गई है। नागालैंड में हुए हिंसक टकराव के मामले में सेना की टुकड़ी पर रिपोर्ट दर्ज कर ली गई है। इसमें इरादतन हत्या की धाराएं लगाई गई हैं।
राज्य सरकार ने केस क्राइम ब्रांच को सौंप दिया है और इसकी जांच के लिए 5 सदस्यीय टीम गठित की है। दरअसल यहां मोन जिले में रविवार को आर्मी की फायरिंग में 6 नागरिकों की मौत हो गई थी। इस हादसे के बाद गुस्साए लोगों ने असम राइफल्स पर हमला किया, जिसमें 8 और नागरिक मारे गये और एक जवान शहीद हो गया। एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक मोन टाउन में कर्फ्यू लगा दिया गया है। सोमवार तक के लिए इंटरनेट बंद कर दिया गया है। जरूरी सामान की सप्लाई छोड़कर सभी वाहनों की आवाजाही पर रोक लगा दी गई है।
नागालैंड के सीएम नीफियू रियो और मेघालय के सीएम कोनराड के सांग्मा ने गृह मंत्री अमित शाह से मांग की है कि राज्यों से अफस्पा कानून हटाया जाए। खास बात यह है कि नीफियू रियो डेमोक्रेटिक एलायंस ऑफ नागालैंड पार्टी से हैं जो भाजपा से गठबंधन करके बनी है।
नीफियू रियो ने कहा कि गृह मंत्री इस मामले को गंभीरता से ले रहे हैं। हमने घटना में प्रभावित लोगों को सहायता राशि दी है। हम केंद्र सरकार से कह रहे हैं कि नागालैंड से अफस्पा को हटाया जाए, क्योंकि इस कानून ने हमारे देश की छवि धूमिल कर दी है। मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के सांग्मा ने भी ट्वीट करके अफस्पा को हटाने की बात कही है।
पुलिस का कहना है कि 14 लोगों की ही जान गई है। हादसे में घायल हुए 28 लोगों में से 6 की हालत गंभीर बताई जा रही है और उनका अस्पताल में इलाज चल रहा है। गृह मंत्री अमित शाह इस मामले में दोनों सदनों में जवाब देंगे। हादसे के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाई लेवल की बैठक बुलाई है। इसमें गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत सभी वरिष्ठ नेता शामिल हैं। इसके बाद इस घटना के बारे में अमित शाह शाम को दोनों सदनों में बयान देंगे। लोकसभा में वह 3 बजे और 4 बजे राज्यसभा में जवाब देंगे। वहीं विपक्ष ने इस हादसे के बारे में विस्तार से चर्चा करने की मांग करते हुए सदनों के स्थगन का नोटिस दिया है।इससे पहले असम राइफल्स के अधिकारियों ने बताया कि उग्रवादी संगठन एनएससीएन से जुड़े उग्रवादियों के गुजरने की सूचना मिली थी। इसके चलते सुरक्षाबलों ने शनिवार को ओटिंग गांव के पास मोर्चा जमा रखा था। इसी दौरान टिरू-ओटिंग रोड पर एक ट्रक आया। इनपुट में जिस रंग की गाड़ी के बारे में बताया गया था, ट्रक उसी रंग का था। जवानों ने ट्रक को रोकने के लिए कहा, लेकिन वह नहीं रुका। ट्रक के नहीं रुकने पर उसमें उग्रवादी होने की आशंका के चलते सिक्योरिटी फोर्सेज ने फायरिंग की, जिसमें 6 लोगों की मौके पर और 2 लोगों की बाद में अस्पताल में मौत हो गई।
शनिवार रात की इस घटना के बाद आसपास के गांवों के लोगों ने सुरक्षाबलों को घेर लिया और उन पर जानलेवा हमला कर दिया। असम राइफल्स का एक सैनिक गंभीर घायल हो गया, जिसकी मौत हो गई। सुरक्षाबलों की फायरिंग में 5 लोगों की भी मौत हो गई। असम राइफल्स के अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षा बलों को यहां लोगों से जान बचाने के लिए सेल्फ डिफेंस में फायरिंग करनी पड़ी। इस दौरान सुरक्षा बलों को गंभीर चोटें आई हैं और उनके तीन वाहन भी उत्तेजित भीड़ ने जला दिए हैं। इस घटना को लेकर कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के आदेश दिए गए हैं।
नागालैंड में भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष न्यावांग कोन्याकी ने सेना पर फायरिंग का आरोप लगाया है। मोन जिले के भाजपा नेता ने कहा कि शनिवार को वह कहीं जा रहे थे, इस दौरान सेना ने उन पर फायरिंग की। इसमें उनके साथी की मौत हो गई। पुलिस ने बताया कि फायरिंग की पहली घटना शनिवार की शाम गलत पहचान के कारण हुई, जिसमें मजदूरों को युंग ऑन्ग गुट के उग्रवादी समझकर सैनिकों ने गोलियां चला दी। इस घटना में छह मजदूरों की मौत हो गई। जब ये सभी मजदूर घर नहीं लौटे तो स्थानीय युवा और गांव वाले उनकी तलाश में निकले और सेना की गाड़ियों को घेर लिया। इसके बाद हुई हिंसा में एक जवान की मौत हो गई और सेना की गाड़ियों को आग लगा दी गई। भीड़ से बचने के लिए सैनिकों ने फिर गोली चलाई, जिसमें 7 और स्थानीय लोगों की मौत हो गई। गंभीर रूप से घायल लोगों को इलाज के लिए गुवाहाटी भेजा गया है। 
घटना को लेकर रविवार को भी स्थानीय स्तर पर तनाव बना रहा और गुस्साई भीड़ ने कोनयाक यूनियन और असम राइफल के कैंप को तहस-नहस कर दिया। अफवाहों को फैलने से रोकने के लिए सरकार ने मोन जिले में मोबाइल, इंटरनेट, डाटा सेवा, बल्क एसएमएस पर रोक लगा दी है। पुलिस सेना द्वारा किए गए गलत पहचान के दावे की जांच कर रही है। सेना ने भी घटना की जांच के लिए कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी गठित कर दी है और घटना पर गहरा दुख प्रकट किया है।

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