नाम के लिए झूठ का सहारा

  • मीडिया में वाइरल हुई 124 करोड़ की मसूरी पेयजल योजना की मंजूरी की खबर
  • झूठा क्रेडिट राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी को
  • अभी तक स्वीकृत नहीं हुई योजना
  • मसूरी में कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने इस योजना की सैद्वां​तिक स्वीकृति की बात कही थी

देहरादून: बिना काम के नाम का ताजा उदाहरण है मसूरी पेयजल योजना का मीडिया के जरिए देवभूमि की भोली—भाली जनता के बीच झूठा श्रेय लेना। बीते शुक्रवार से सोशल मीडिया में 124 करोड़ की मसूरी पेयजल योजना की मंजूरी की खबर खूब वाइरल हो रही है जिसका पूरा क्रेडिट राज्यसभा सांसद और भाजपा के राष्र्टीय मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी को दिया गया है। इस काम के लिए बलूनी को ढेर सारी बधाइयां भी मिल रही है, यहां तक कि अखबारों में रंगीन विज्ञापनों के जरिए राज्यसभा सांसद का आभार भी जताया गया है। लेकिन मजेदार बात यह है कि जिस योजना का श्रेय लेने के लिए इतना सबकुछ किया जा रहा है वह योजना अभी तक स्वीकृत हुई ही नहीं है। कुछ दिन पूर्व मसूरी में एक कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत ने इस योजना की सैद्वां​तिक स्वीकृति की बात कही थी। सूत्रों से पता चला है कि इस योजना की स्वीकृति आज शाम तक मिलने की उम्मीद है, क्योंकि जल्द ही पूरे देश में लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगने वाली है, खुद मुख्यमंत्री द्वारा भी इस बात की पुष्टि की गई है। लेकिन अपनी वाहवाही का मोह नेताओं में इस कदर बढ गया है कि वे इस बात की भी तसल्ली करना मुनासिब नहीं समझ रहे है कि जिन कामों के क्रेडिट लिए जा रहे है वो हुए भी है या नहीं, और अगर हुए है तो उनमें असली भागीदारी किसकी है। कुछ दिन पहले भी तमाम अखबारों में प्रमुखता से टनकपुर से कर्णप्रयाग तक रेललाइन के सर्वे को मंजूरी की खबर छपी है जिसका पूरा क्रेडिट सांसद बलूनी को गया है, लेकिन सोशल मीडिया में भाजपा के ही पूर्व मुख्यमंत्री और नैनीताल के सांसद भगत सिंह कोश्यारी ने भी अपने फेसबुक के आफिशियल एकाउंट से एक खबर पोस्ट कर दी जिसमें उन्होनें रेलमंत्री पीयूष गोयल को सौंपे गये पत्र और उस समय की ली गई तस्वीर भी अपलोड की। उसमें उनके साथ केंद्रीय राज्य कपड़ा मंत्री अजय टम्टा भी साथ खड़े थे। एैसे ही विशिष्ट बीटीसी शिक्षकों और नैनी-दून जन शताब्दी नयी रेल चलाने के मामले में भी राजनीतिक लाभ लेने की होड़ लग गयी थी। इन दोनों मामलों को लेकर स्वंय मुख्यमंत्री त्रिवेन्र्द रावत, शिक्षामंंत्री अरविन्द पांडे के साथ ही प्रदेश के अन्य सभी सांसद अपने—अपने स्तर से प्रयास कर रहे थे लेकिन मीडिया मैनेजमेंट के चलते तब भी आखिरी समय में पूरा क्रेडिट सांसद बलूनी ही ले गये थे।
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार के प्रयासों से केंद्र सरकार द्वारा जितनी भी योजनाएं प्रदेश के लिए मंजूर हुई है उनका क्रेडिट लेने के लिए बलूनी ने मीडिया को भी भर्मित करने की कोशिश की ​है। भाजपा के राष्र्टीय मीडिया प्रमुख होने के नाते और दिल्ली में बैठे होने के कारण वे काफी हद तक उसमें सफल भी रहे। पहले काम किसी का और नाम किसी का और अब बिना काम का नाम, क्या—क्या राजनीतिक रंग दिखाएगा यह तो आने वाला वक्त बताएगा।

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