इनसे भी कुछ सीखे नौकरशाही : इस आईएएस अफसर ने ढहा दी आजम खान की सल्तनत!

  • कभी इनसे जूते साफ कराने चले नेताजी अब जेल की कोठरी में याद कर पछता रहे अपने बड़बोलेपन पर

मुरादाबाद। पब्लिक का हीरो आईएएस आन्जनेय कुमार सिंह। ये वो नाम है जिससे रामपुर में आजम खां का खेमा इन दिनों सबसे ज्यादा खौफजदा है। कभी 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रचार पर निकले आजम खां ने इसी अफसर से जूते साफ कराने की बात कही थी। आन्जनेय तब रामपुर के डीएम थे। आजम ने कहा था- ‘कलेक्टर-फलक्टर से मत डरियो, ये तनखैय्ये हैं, अल्लाह ने चाहा तो चुनाव बाद इन्हीं से जूते साफ कराऊंगा।’
तब शायद आजम ने सोचा भी नहीं होगा कि यही कलेक्टर उनकी पूरी सल्तनत को नेस्तनाबूद कर डालेगा। आज इसी कलेक्टर की कलम की वजह से रामपुर के सपा सांसद मोहम्मद आजम खां करीब 23 महीने से जेल की सलाखों में कैद हैं। उनके बेटे अब्दुल्ला आजम की विधायकी चली गई। पत्नी डॉ. तंजीन फातिमा को जेल जाना पड़ा। बेटा 23 महीने बाद जेल से जमानत पर छूटा है। जौहर यूनिवर्सिटी की चारदीवारी में कैद 172 एकड़ सरकारी जमीन भी आजम से छिन गई। अब आजम खां के खेमे को चुनावों में आन्जनेय के डंडे का डर सता रहा है।
आयोग ने की आन्जनेय की वर्किंग की प्रशंसा : आजम खां नहीं चाहते कि चुनावों में आन्जनेय मुरादाबाद के कमिश्नर रहें। उनके खेमे से इसकी शिकायत भी शुरू हो गई हैं। दूसरी तरफ चुनाव आयोग आन्जनेय कुमार सिंह की वर्किंग की तारीफ कर चुका है। पिछले दिनों लखनऊ में हुई मीटिंग में आयोग ने 2019 के लोकसभा चुनावों में रामपुर में किए गए प्रशासनिक इंतजामों की तारीफ की। निर्देश दिया कि बाकी अफसर भी निष्पक्ष, निर्भीक और शांतिपूर्ण चुनावों के लिए इसी तरह की व्यवस्था करें।
आन्जनेय कुमार सिंह सिक्किम कैडर के 2005 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। 16 फरवरी 2015 को वह सपा सरकार के समय में प्रतिनियुक्ति पर उत्तर प्रदेश आए थे। प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद 19 फरवरी 2019 को आन्जनेय कुमार सिंह को रामपुर का डीएम बनाया गया था।
आन्जनेय करीब 2 साल तक रामपुर के डीएम रहे। प्रमोशन के बाद प्रदेश सरकार ने उन्हें मुरादाबाद मंडल का कमिश्नर बना दिया। इन दिनों आन्जनेय कमिश्नर मुरादाबाद हैं और आजम खां का जिला रामपुर इसी कमिश्नरी में आता है। केंद्र सरकार उनकी प्रतिनियुक्ति को 2 साल के लिए बढ़ा चुकी है। आन्जनेय कुमार सिंह अब 14 फरवरी 2023 तक उत्तर प्रदेश में ही रहेंगे।
सरकार किसी की भी रही हो, लेकिन रामपुर में हमेशा आजम खां की ही तूती बोलती रही है। दूसरे दलों की सत्ता होने पर भी रामपुर की ब्यूरोक्रेसी हमेशा आजम के ही इशारे पर नाचती थी। पहला मौका था जब 2019 में रामपुर के डीएम की कुर्सी पर बैठे आन्जनेय कुमार सिंह ने आजम के खिलाफ आने वाली शिकायतों पर बेखौफ होकर एक्शन लेना शुरू किया।
जब 27 किसान डीएम के पास शिकायत लेकर पहुंचे कि जौहर विश्वविद्यालय के लिए आजम खां ने उनकी जमीनों पर जबरन कब्जा कर लिया है तो आन्जनेय ने सभी मामलों में एफआईआर के आदेश कर दिए। इसके बाद शिकायतों का ऐसा अंबार उमड़ा कि एक के बाद एक आजम के खिलाफ 98 मुकदमे दर्ज हो गए। सरकारी जमीन कब्जाने के मामले में डीएम ने आजम का नाम प्रदेश सरकार के एंटी भू माफिया पोर्टल पर रजिस्टर कर उन्हें भू माफिया भी घोषित कर दिया।   आजम खान इस समय सीतापुर जेल में बंद हैं। उनके बेटे अब्दुल्ला आजम पिछले हफ्ते जेल से छूटे हैं।
आजम से 172 एकड़ सरकारी जमीन वापस ली : आजम के खेमे में आईएएस आन्जनेय कुमार सिंह के नाम का खौफ बेवजह भी नहीं है। यही वो अफसर है जिसने आजम के साम्राज्य की बुनियाद तक की ईंटें हिलाकर रख दी हैं। 2005 में तत्कालीन प्रदेश सरकार ने मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट के अध्यक्ष आजम खां को यूनिवर्सिटी के लिए 12.5 एकड़ भूमि की अनुमति दी थी, लेकिन सपा सरकार में आजम की जौहर यूनिवर्सिटी की चारदीवारी में 172 एकड़ सरकारी जमीन और समा गई। 2019 में डीएम ने इसकी जांच के आदेश दिए। बाद में नियम विरुद्ध यूनिवर्सिटी में शामिल की गई इस 172 एकड़ भूमि को वापस राज्य सरकार के नाम दर्ज करा दिया गया।
बेटे अब्दुल्ला की गई विधायकी : वर्ष 2017 के चुनाव में आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम स्वार टांडा सीट से सपा के विधायक चुने गए थे। अब्दुल्ला के सामने बसपा से चुनाव लड़े नवाब काजिम अली खां ने नॉमिनेशन के समय अब्दुल्ला की उम्र 25 वर्ष से कम होने की बात कहकर निर्वाचन रद्द करने की मांग की थी। 2019 में जब यह मामला आन्जनेय सिंह के सामने आया तो उन्होंने जांच कराई।
जांच में पता चला कि अब्दुल्ला आजम ने फर्जी आयु प्रमाणपत्र पर चुनाव लड़ा था और वह नामांकन के समय 25 साल के नहीं थे। यह रिपोर्ट डीएम ने चुनाव आयोग को भेज दी। इसके बाद अब्दुल्ला का निर्वाचन रद्द कर दिया गया। जांच में अब्दुल्ला के 2 पैन कार्ड और 2 पासपोर्ट भी सामने आए। डीएम ने इस मामले में भी मुकदमा दर्ज करा दिया। जिसमें अब्दुल्ला आजम के साथ उनके पिता आजम और मां तंजीन फातिमा को भी जेल जाना पड़ा।
स्टेट प्लेन से आजम को ड्रॉप करने आते थे सीएम : सपा सरकार में ऐसा कई बार हुआ कि सीएम अखिलेश यादव स्टेट प्लेन से मुरादाबाद की हवाई पट्टी तक महज इसलिए आए कि उन्हें आजम खां को ड्रॉप करना था। हवाई पट्टी पर उतरे अखिलेश वहीं से वापस चले जाते थे। आजम रामपुर शहर सीट से 9 बार विधायक रहे हैं। उनका जलवा यहां कभी कम नहीं हुआ। पहला मौका है जब किसी अफसर ने इतनी बेरहमी से आजम खां के खिलाफ अपनी कलम चलाई है। इसी कड़ी कार्रवाई ने आन्जनेय को प्रदेश सरकार का पसंदीदा अफसर भी बना दिया है। वैसे भाजपा के शासन में ही आन्जनेय से पहले महेंद्र बहादुर सिंह रामपुर के डीएम थे, लेकिन सरकार के फ्री हैंड के बावजूद वो एक्शन लेने की हिम्मत नहीं जुटा सके।
पब्लिक के हीरो हैं आन्जनेय : माफिया पर कड़ी कार्रवाई की वजह से आन्जनेय कुमार सिंह बेशक आजम खेमे की नजरों में चुभ रहे हैं। लेकिन रामपुर में पब्लिक के बीच आन्जनेय काफी लोकप्रिय रहे हैं। उनके ट्रांसफर के समय रामपुर के लोगों ने उन्हें बग्गी पर बैठाकर बैंड बाजे के साथ विदाई दी थी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here