अब नहीं छिपा सकेंगे कोरोना से मौत के आंकड़े!

छंटा कुहासा

  • सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के 10 दिन बाद मोदी सरकार ने जारी की गाइडलाइन
  • कोरोना काल में हुई डेथ सर्टिफिकेट पर होगा कोरोना से मौत का जिक्र

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की तरफ से कोरोना काल में हुई मौतों के मामले में सख्ती दिखाए जाने के 10 दिन बाद मोदी सरकार ने गाइडलाइन जारी की हैं। अब कोरोना से जान गंवाने वाले लोगों के डेथ सर्टिफिकेट पर इसे मौत के कारण के तौर पर दर्ज किया जाएगा। यह जानकारी केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को दी है। मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि स्वास्थ्य मंत्रालय और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने नई गाइडलाइन तैयार की हैं, जिसके तहत कोरोना से संबंधित मौतों में आधिकारिक डॉक्यूमेंट जारी किया जाएगा।
गाइडलाइन के मुताबिक सिर्फ उन मौतों को कोरोना संबंधित माना जाएगा, जिनमें मरीज का आरटी-पीसीआर टेस्ट, मॉलिक्यूलर टेस्ट, रैपिड-एंटिजन टेस्ट किया गया हो या किसी हॉस्पिटल या घर में डॉक्टर ने जांच करके कोरोना संक्रमण की पुष्टि की हो। ऐसे मरीजों की मौत का कारण कोरोना मानकर डेथ सर्टिफिकेट में इसकी जानकारी दी जाएगी। जहर खाने, आत्महत्या, हत्या या एक्सीडेंट समेत दूसरे कारणों से होने वाली मौतों को कोरोना संबंधित मौत नहीं माना जाएगा। चाहे मरने वाला व्यक्ति कोरोना संक्रमित क्यों न हो।
गाइडलाइंस में बताया गया है कि ऐसे मरीज जिनकी अस्पताल में या घर पर मौत हुई और जिसमें पंजीकरण संस्था को जीवन और मृत्यु पंजीकरण एक्ट 1969 (सेक्शन 10) के तहत के मेडिकल सर्टिफिकेट का फॉर्म 4 और 4A दिया गया है, सिर्फ उनकी मौत ही कोरोना संबंधित मानी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट को सौंपे गए हलफनामे में कहा गया है कि आईसीएमआर के अध्ययन के मुताबिक किसी व्यक्ति के कोरोना संक्रमित होने के 25 दिनों के अंदर 95% मौतें हो जाती हैं। नियमों में बदलाव करते हुए अब कोरोना टेस्ट की तारीख या कोरोना संक्रमित पाए जाने के दिन से 30 दिन के अंदर होने वाली मौतों को कोरोना संबंधित मौत माना जाएगा, भले ही मरीज की मौत अस्पताल या घर में बनी फैसिलिटी से बाहर हो।
हालांकि अगर किसी कोरोना मरीज की अस्पताल या घर में बनी फैसिलिटी में भर्ती रहते हुए 30 दिन के बाद मौत होती है तो इसे कोरोना संबंधित मौत माना जाएगा। गाइडलाइन में यह भी बताया गया है कि अगर किसी मौत के मामले में डेथ सर्टिफिकेट उपलब्ध नहीं है, या मृतक का परिवार डेथ सर्टिफिकेट में दिए गए मृत्यु के कारण से संतुष्ट नहीं है और जो गाइडलाइन के मानकों से कवर नहीं होते, ऐसे मामलों में राज्य व केंद्रशासित प्रदेश जिला स्तर पर बनी एक कमेटी को सूचना देंगे।

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